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Friday 31 January 2020 05:48:29 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज संसद के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में कहा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून ऐतिहासिक है। यह सुनते ही दोनों सदन देरतक मेजों की थाप से गूंजते रहे। राष्ट्रपति ने इस बात का क्रम जारी रखते हुए जब ये कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून महात्मा गांधी के सपने को पूरा करता है तो सदस्य फिर से मेजें थपथपाने लगे। इस दौरान दोनों बार राष्ट्रपति को बोलते हुए रुकना भी पड़ा। उन्होंने कहा कि यह दशक भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसमें हमारी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होंगे, हम सभी को मिलकर नई ऊर्जा के साथ नए भारत के निर्माण को गति देनी है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में पिछले पांच वर्ष में इस दशक को भारत का दशक और इस सदी को भारत की सदी बनाने की मजबूत नींव रखी जा चुकी है। राष्ट्रपति ने कहा कि चाहे महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज का सपना हो, बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर की सामाजिक न्याय की नीति हो, पंडित जवाहरलाल नेहरू का आधुनिक भारत बनाने का स्वप्न हो, सरदार वल्लभभाई पटेल का एक भारत-श्रेष्ठ भारत का संकल्प हो, दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय का लक्ष्य हो या लोहियाजी के समता समाज का दर्शन हो, हम भारत के लोग मिलकर इन सपनों को पूरा करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का संविधान इन सपनों को पूरा करने में हम सभी का मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि सरकार का स्पष्ट मत है कि पारस्परिक चर्चा-परिचर्चा तथा वाद-विवाद लोकतंत्र को और सशक्त बनाते हैं, वहीं विरोध के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा, समाज और देश को कमजोर करती है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमारा संविधान देश के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा के साथ ही देश के नागरिकों को उनके कर्तव्यों का बोध भी कराता है। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से हुए निर्णयों को देशवासियों द्वारा स्वीकार किए जाने की अपेक्षा रखता है, इसके साथ ही संसद तथा इस सदन में उपस्थित प्रत्येक सदस्य से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए देशवासियों की आशाओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करने और उनके लिए आवश्यक कानून बनाने की अपेक्षा भी रखता है। राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि इन 7 महीने में संसद ने काम करने के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं, इस लोकसभा के पहले सत्र में सदन का कार्य निष्पादन पिछले सात दशक में एक नया रिकॉर्ड रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण मुस्लिम महिलाओं को न्याय और अधिकार देने वाला तीन तलाक विरोधी कानून, देशवासियों को नए अधिकार देने वाला उपभोक्ता संरक्षण कानून, गरीबों की बचत की रक्षा करने वाला अनियमित जमा योजना प्रतिबंध कानून, गरीबों को चिटफंड स्कीमों के धोखे से बचाने वाला चिटफंट संशोधन कानून, बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की सज़ा सख्त करने वाला कानून, सड़क हादसों में कमी लाने के लिए मोटर वाहन संशोधन कानून और ट्रांस्जेंडर व्यक्तियों के अधिकारों को संरक्षण देने वाले जैसे अनेक ऐतिहासिक कानून बनाए गए हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के हरेक सदस्य का अभिनंदन किया और कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर जनता का विश्वास लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के श्रीराम जन्मभूमि पर फैसले के बाद देशवासियों ने जिस तरह परिपक्वता से व्यवहार किया, जो प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबसे पवित्र होता है लोगों से मिला जनादेश और देश की जनता ने मेरी सरकार को ये जनादेश नए भारत के निर्माण के लिए दिया है। उन्होंने कहा कि एक ऐसा भारत, जिसमें हमारी पुरातन संस्कृति का गौरव हो और जो 21वीं सदी के विश्व को अपने ज्ञान की शक्ति से समृद्ध करे, एक ऐसा भारत, जिसमें पुरानी समस्याओं के समाधान के साथ ही विकास के नए अध्याय लिखे जाएं, एक ऐसा भारत, जिसमें गरीब, दलित, महिला, युवा, आदिवासी और अल्पसंख्यक को पर्याप्त सुविधा मिले और आगे बढ़ने के नए अवसर भी हों, एक ऐसा भारत, जिसका हर क्षेत्र विकास करे, कोई क्षेत्र पिछड़ा न रह जाए, जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ समाज के आखिरी छोर तक पहुंचे तथा जो चौथी औद्योगिक क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाए और विश्व मंच की नई ऊंचाइयों पर पहुंचे, ऐसे नए भारत के लिए तथा लोगों की अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए सरकार हर क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए सराहनीय गति और निर्णायक क्षमता दिखाते हुए काम कर रही है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सरकार के पांच वर्ष में जमीनी स्तरपर सुधारों का ही परिणाम है कि अनेक क्षेत्रों में भारत की अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में ये सुधार अंतर्राष्ट्रीय जगत को भी एक आह्वान है कि भारत ने 5-6 वर्ष में किस तरह अपनी बुनियाद मजबूत की है और भारत के लोग कैसे नए भारत के निर्माण के लिए उत्साहित हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मंत्र पर चलते हुए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बंगाल की धरती के महान सपूत और जवाहरलाल नेहरू सरकार में उद्योग मंत्री रहे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने लोकसभा में कहा था कि एक लोकतांत्रिक संघीय राज्य में एक इकाई के नागरिकों के मौलिक अधिकार किसी अन्य इकाई के नागरिकों से अलग नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि क्या जम्मू-कश्मीर के लोग उन मूलभूत अधिकारों के हकदार नहीं हैं, जो हमने शेष भारत के लोगों को दिए हुए हैं? राष्ट्रपति ने कहा कि आज देश में इस बात की खुशी है कि करोड़ों स्वतंत्रता सेनानियों का सपना साकार हुआ है और जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के लोगों को वहां के दलितों और महिलाओं को भी वही अधिकार मिले हैं, जो बाकी देशवासियों को प्राप्त होते आ रहे हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाया जाना न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि इससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के समान विकास का भी मार्ग प्रशस्त हुआ है। राष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का तेज विकास, वहां की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा, पारदर्शी व ईमानदार प्रशासन और लोकतंत्र का सशक्तिकरण सरकार की प्राथमिकताओं में है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान और केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास की सभी परियोजनाओं में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की सफलता ने तथा सरकार के ऐतिहासिक फैसलों ने देशवासियों की अपेक्षाएं भी बढ़ाई हैं और सरकार का दायित्व भी बढ़ाया है। राष्ट्रपति ने कहा कि देशवासियों की बरसों से यह अपेक्षा थी कि वे सुगमता के साथ करतारपुर साहिब के दर्शन कर पाएं, सरकार ने रिकॉर्ड समय में करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण करके, श्रीगुरु नानक देवजी के 550वें प्रकाश पर्व पर इसे राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि सरकार श्रीगुरु तेग बहादुरजी का 400वां प्रकाश पर्व भी पूरी भव्यता और दिव्यता के साथ मनाएगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में रहने वाले 40 लाख से ज्यादा लोग बरसों से इस अपेक्षा में थे कि एक दिन उन्हें अपने घर का मालिकाना हक और गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार मिलेगा, दिल्ली की 1,700 से अधिक कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की इस अपेक्षा को भी सरकार ने पूरा किया है। रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश के किसानों, खेतिहर मजदूरों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों तथा छोटे व्यापारियों की अपेक्षा थी कि वृद्धावस्था में उनकी सहायता के लिए पेंशन योजना शुरू हो, सरकार ने न सिर्फ उनकी इस इच्छा को पूरा किया, बल्कि अबतक इन पेंशन योजनाओं से करीब 60 लाख लाभार्थी जुड़ भी चुके हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी का दायित्व है कि इस दशक में अपने शहरों और गांवों को और अधिक स्वच्छ और सुंदर बनाएं। उन्होंने कहा कि देश के गांव औरहर घर तक पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेय जल पहुंचे, इसके लिए सरकार ने जल जीवन मिशन शुरू किया है, केंद्र सरकार और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर इस अभियान को जनआंदोलन में बदल रही हैं, इस योजना पर आने वाले समय में 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के सबसे संकटग्रस्त ऐसे सात राज्यों में जहां भूजल का स्तर तेजी से घट रहा है, वहां विशेष तौरपर अटल भूजल योजना शुरू की है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी बढ़ाने, इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने और लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए अभूतपूर्व गति से कार्य किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के प्रयासों की वजह से वर्ष 2022 तक सिक्किम, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड की राजधानियां रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगी, अगरतला-अखौरा रेल लिंक पर भी काम तेजी से चल रहा है, वर्ष 2022 में ही अरुणाचल प्रदेश के ‘हलोंगी’ में बन रहे नए एयरपोर्ट का काम भी पूरा हो जाएगा,इसके अलावा गुवाहाटी में एम्स, नुमालीगढ़ में बायो रिफाइनरी, मणिपुर में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी का भी निर्माण तेज गति से हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने नॉर्थ ईस्ट गैस ग्रिड प्रोजेक्ट के लिए लगभग 9 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं, यह प्रोजेक्ट नॉर्थ ईस्ट के सभी 8 राज्यों में गैस आधारित अर्थव्यवस्था का आधार बनेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि पांच दशक से चली आ रही बोडो समस्या को समाप्त करके केंद्र और असम सरकार ने बोडो संगठनों के साथ ऐतिहासिक समझौता किया है। राष्ट्रपति ने कहा सरकार ने इस ऐसी जटिल समस्या का समाधान निकाला है, जिसमें 4 हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस समझौते के बाद बोडो समुदाय के विकास के लिए सरकार यहां 1,500 करोड़ रुपए खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा, मिजोरम, केंद्र सरकार और ब्रू जनजाति के बीच हुए ऐसे ही एक और ऐतिहासिक समझौते से न सिर्फ दशकों पुरानी समस्या हल हुई है, बल्कि इससे ब्रू जनजाति के हजारों लोगों के लिए सुरक्षित जीवन भी सुनिश्चित हुआ है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने हमेशा सर्वपंथ समभाव पर विश्वास किया है, लेकिन विभाजन के समय सबसे ज्यादा प्रहार भारत और भारतवासियों के इसी विश्वास पर किया गया, विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा भी था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं, उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है, वही भारत सरकार कर भी रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, उनकी इच्छा को पूरा किया गया है, विशेषकर ऐसे समय में जब देश गांधीजी की 150वीं जयंती का पर्व मना रहा है, तब सभी सांसदों ने उनकी भावना को सर्वोपरि रखा है। राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी इस बात के साक्षी रहे हैं कि समय के साथ पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाला अत्याचार और बढ़ा है, हाल ही में ननकाना साहिब में जो हुआ, उसे हम सभी ने देखा है, हम सभी का यह भी दायित्व है कि पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार से पूरा विश्व परिचित हो। उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए, विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का भी आग्रह करता हूं।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार यह पुन: स्पष्ट करती है कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं, किसी भी पंथ का व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को पूरा करके भारत का नागरिक बन सकता है। राष्ट्रपति ने कहा किहमारा देश हमारे अन्नदाता किसानों का ऋणी है, जिनके परिश्रम से हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हैं और निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करने वाले किसानों की जिंदगी बदले, ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हो, ये मेरी सरकार की प्राथमिकता है। उनहोंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आने वाले वर्ष में सरकार 25 लाख करोड़ रुपये की राशि खर्च करने जा रही है, किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकार आय केंद्रित व्यवस्था विकसित करने की रणनीति पर काम कर रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 8 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में 43 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा कराई जा चुकी है, इसी महीने 2 जनवरी को एकसाथ 6 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 12 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर करके सरकार ने रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने के लिए समर्पित भाव से काम कर रही है, खरीफ और रबी की फसलों के लिए एमएसपी में लगातार की गई वृद्धि इसी दिशा में उठाया गया कदम है, सरकार के प्रयासों से दलहन और तिलहन की खरीद में 20 गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार खेती के वैकल्पिक उपायों पर भी जोर दे रही है, प्राकृतिक आपदा से किसान को राहत दिलाने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य को लेकर समग्रता के साथ काम कर रही है, प्रिवेंटिव हेल्थकेयर और क्यूरेटिव हेल्थकेयर, हर स्तरपर गंभीर प्रयास हो रहे हैं, स्वच्छ भारत अभियान, जल जीवन मिशन, पोषण अभियान, फिट इंडिया अभियान, आयुष्मान भारत योजना, ऐसी अनेक योजनाएं देशवासियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक हो रही हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना का व्यापक असर देश के हेल्थ सेक्टर पर देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत अब तक 75 लाख गरीब अपना मुफ्त इलाज करा चुके हैं, इसके साथ ही 27 हज़ार से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी तैयार हो चुके हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के प्रयासों से महिला उद्यमशीलता और आजीविका को बढ़ावा देने के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप अभियान से अभी तक 6 करोड़ 60 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं, इन महिलाओं को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, समानता के इसी उद्देश्य के साथ पहलीबार सैनिक स्कूलों में बेटियों के दाखिले को स्वीकृति दी गई है, मिलिट्री पुलिस में महिलाओं की नियुक्ति का काम भी जारी है।,भारतीय वायुसेना ने पहली बार फाइटर स्ट्रीम और डिफेंस अटैची के रूपमें भी उन्हें नया अवसर दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों की पहचान करने के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया गया है, बच्चों के यौन शोषण जैसे जघन्य अपराधों में सरकार ने फांसी तक की सज़ा का प्रावधान किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता इस क्षेत्र में युवा लीडरशिप तैयार करने पर भी है, इसमें रिसर्च, इनोवेशन, इंक्यूबेशन और स्टार्टअप के क्षेत्र का नेतृत्व देश के युवा ही करेंगे, इस दिशा में सरकार के नीतिगत निर्णयों का लाभ युवा शक्ति को निरंतर मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट अप इकोसिस्टम भारत में है, स्टार्ट अप इंडिया अभियान के तहत देश में 27 हज़ार नए स्टार्ट अप्स को मान्यता दी जा चुकी है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी सेवाओं और सरकारी लाभ की तेज और सटीक डिलिवरी सरकार की विशेषता रही है, ऐसा इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि टेक्नोलॉजी को अभूतपूर्व स्तर पर सुशासन का आधार बनाया गया है, पारदर्शिता के साथ लाभार्थियों की पहचान, लाभार्थियों के बैंक खाते में शत प्रतिशत राशि का ट्रांसफर और योजनाओं की मॉनीटरिंग में आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग ने गरीब और मध्यम वर्ग का जीवन आसान बनाया है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्रांति का आधार डिजिटल टेक्नोलॉजी है, सरकार 21वीं सदी में औद्योगिक क्रांति का पूरा लाभ उठाने के लिए डिजिटल इंडिया अभियान के माध्यम से डिजिटल एक्सेस, डिजिटल समावेश और डिजिटल सशक्तिकरण पर अभूतपूर्व बल दे रही है। उहोंने कहा कि देश को इस बात पर गर्व है कि पांच वर्ष में भारत में विकसित हुईं डिजिटल व्यवस्थाएं विश्व के अनेक देशों के लिए प्रेरणा बन रही हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि आज देश में 121 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास आधार कार्ड है, लगभग 60 करोड़ लोगों के पास रुपे कार्ड है, दिसंबर 2019 में यूपीआई के माध्यम से रिकॉर्ड 2 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है, हाल ही में सरकार ने भीम ऐप का नया वर्जन भी लॉंच किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि जनधन-आधार और मोबाइल की त्रिशक्ति का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने लगभग 450 योजनाओं को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि छोटे और लघु उद्यमियों को जहां सरकार के रूपमें बहुत बड़ा बाज़ार मिला है, वहीं इससे सरकार की पहुंच सीधे उद्यमी तक हुई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी की मदद से सरकार ने इंस्पेक्टर राज को समाप्त करने में अनेक बड़े कदम उठाए हैं, अब हम इनकम टैक्स विभाग में भी ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जहां मानव दखल यानि ह्यूमन इंटरफेस न हो, इस व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और टैक्स विभाग की कार्यसंस्कृति में बड़ा सुधार आएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे संघीय प्रणाली वाले देश में विकास की गति बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि राज्यों के बीच विकास की योजनाओं में स्पर्धा भी हो और राज्य अपनी योजनाओं के अनुभव का लाभ दूसरे राज्यों को भी दें। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत करके अर्थव्यवस्था में हर स्तर पर काम किया जा रहा है, दुनियाभर से आने वाली चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 450 बिलियन डॉलर से भी ऊपर के ऐतिहासिक स्तर पर है, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी निरंतर बढ़ रहा है, वहीं पब्लिक सेक्टर के छोटे बैंकों के विलय से बैंक सुदृढ़ हुए हैं और ऋण देने की उनकी क्षमता भी बढ़ी है, इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में 12 सरकारी बैंक मुनाफे में रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि बदलते समय में देश की रक्षा से जुड़ी नई और जटिल चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार सेनाओं को और भी सशक्त, प्रभावशाली और आधुनिक बना रही है, भारत की सेनाओं और सुरक्षाबलों के पास पर्याप्त हथियार, सुरक्षा उपकरण तथा बुलेट प्रूफ जैकेट हों, इस पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सरकार आतंकवाद के खतरे से देश को बाहर निकालने के लिए पूरे सामर्थ्य और दृढ़ता से काम कर रही है, आतंक के बदलते स्वरूप को देखते हुए नागरिकों की सतर्कता भी बहुत काम आती है, जनता के सहयोग से आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में कितनी मदद मिलती है, ये जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में आई कमी से भी पता चलता है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने आतंकवाद फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई के लिए सुरक्षा बलों को पूरी छूट दी हुई है, सरकार के निरंतर प्रयास से नॉर्थ ईस्ट में सुरक्षा की स्थिति में भी बहुत सुधार हुआ है, देश में नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों का दायरा निरंतर सिमट रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार विदेश नीति को देश की आर्थिक और सामरिक सुरक्षा से जुड़ा महत्वपूर्ण पहलू मानती है, हम अपने पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी को बढ़ाकर आर्थिक विकास और संपन्नता को गति दे रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि देशहित के लिए देश का हर नागरिक अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक हो, कर्तव्य के प्रति समर्पित हो तथा यह कर्तव्य बोध हमारे नागरिक जीवन की प्राथमिकता बने, इस दिशा में हम सभी को काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि किसी भी विचारधारा के नेता या समर्थक होने से पहले हम देश के नागरिक हैं, हमारे देश की प्रतिष्ठा हमारी दलीय प्रतिबद्धताओं से कहीं बढ़कर है।