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Saturday 1 February 2020 04:32:13 PM
नई दिल्ली। प्रखर राष्ट्रवादी, भाजपा के विख्यात नेता और सांसद वरुण गांधी ने एबीपी न्यूज़ से देश में सीएए एनआरपी और एनआरसी जनित हालात पर केंद्रित एक इंटरव्यू में कहा है कि नागरिकता क़ानून में संशोधन नागरिकता को मानवता से जोड़ने का प्रयास है। वरुण गांधी ने अपनी राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ मौजूदा राष्ट्रीय घटनाक्रम पर अकाट्य तर्कों से टिप्पणियां करते हुए कहा कि जिस तरह से आज से नहीं बल्कि 1947 से पाकिस्तान में अल्पसंख्यक जी रहे हैं, वैसे कोई जानवर भी नहीं जीना चाहेगा। सवालों के उत्तर देते हुए वरुण गांधी ने कहा कि देश के मुख्य विपक्षी दल ने एक बैठक की थी, जिसमें कई दल नहीं आए, वह विभाजित हैं, हर व्यक्ति अपने आपको बचाकर चल रहा है, क्योंकि वह जानता है कि वह राष्ट्रनीति के लिए नहीं, बल्कि वोटनीति के लिए यह मुद्दा उठा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदीजी की राजनीति राष्ट्रनीति के इर्दगिर्द है, वे राष्ट्रनीति के केंद्र बिंदु हैं, जबकि विपक्षी दल आज दो नाव पर सवार हैं, वे वोट भी चाहते हैं और किसी का बुरा बनना भी नहीं चाहते हैं।
वरुण गांधी से सीएए और एनआरसी को लेकर देश के मुस्लिम समाज के मन में भय और डर पर सवाल हुआ था, जिसपर उनका कहना है कि कि हमें पहले इसके इतिहास में जाना चाहिए, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को केंद्रित करके यह कानून आया है, अगर हम 1950 से जनसंख्या की गिनती करते हुए आज तक आएं तो वहां का समूचा अल्पसंख्यक परेशान और पीड़ित है, मैं यहां अकेले हिंदू की बात नहीं कर रहा हूं बल्कि ईसाई जैन बौद्ध पारसी भी हैं, 1950 की गिनती की तुलना में आज 12% से लेकर 21% तक उनकी जनसंख्या घटी है, जिसमें या तो उनका क़त्ल हुआ है या उनका धर्म परिवर्तन हुआ है या उनको वहां से भगाया गया है, इसके अलावा इसमें चौथी बात हो नहीं सकती। उन्होंने कहा कि अगर हम भारत की नीति को हमेशा से उदारवादी और मानवतावादी मानें, अगर भारत को अपनी माँ माने तो माँ तो अपने बच्चों को बचाने का काम करेगी और करती है, दूसरी बात इस पर जब विरोध होता है तो कहा जाता है कि इसमें म्यांमार के रोहिंग्याओं को शामिल क्यों नहीं करते हैं, तमिल को क्यों नहीं शामिल करते हैं, इसपर मैं यह कहना चाहता हूं कि 2017 की संयुक्त राष्ट्र में पेश साउथ ईस्ट एशिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार और श्रीलंका में खासकर के म्यांमार में संसाधनों की खींचातानी और भौगोलिक प्रतिस्पर्धा की वजह से, भाषाओं की भिन्नता की वजह से या हम बड़े कि तुम बड़े की वजह से वहां स्थिति विस्फोटक हुई है।
वरुण गांधी आगे कहते हैं कि इस स्थिति के शिकार रोहिंग्या भी हिंदू भी सिख भी ईसाई भी और वह मुसलमान भी हैं, जो रोहिंग्या नहीं हैं वह भी बौद्धधर्मी बहुसंख्यकों के शिकार बने हैं। उन्होंने कहा कि वहां पर संसाधनों और भौगोलिक परिस्थितियों से खींचातानी बढ़ी है, लेकिन उसका मूल, धर्म नहीं है। नागरिकता संशोधन को तो धर्म से जोड़ा गया है इसी पर विवाद है, इस सवाल पर वरुण गांधी ने कहा कि बिल्कुल नहीं, नागरिकता संशोधन क़ानून को धर्म से नहीं, मानवता से जोड़ने का प्रयास है, इसे आप ऐसे मानिए कि जिस तरह से आजसे नहीं बल्कि 1947 से पाकिस्तान में अल्पसंख्यक जी रहा है, वैसे कोई जानवर भी नहीं जीना चाहेगा। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने सदन के पटल पर स्पष्ट रूपसे यह बात रखी है कि इन 2 वर्षों में 403 मुसलमानों को भारत की नागरिकता मिली है, जिससे यह बात सामने आ जाती है कि सरकार की नियत में कोई खोट नहीं है, अब हम एनआरसी की बात करें तो इसमें डर किस बात का है? वरुण गांधी ने कहा कि दो डर हैं-मुख्य विपक्षी दल के एक पूर्व मंत्री ने यह कहा है कि जब वह मंत्री थे तो उन्होंने देखा कि दिल्ली में जो फॉर्म टेस्ट केस में बांटे गए थे उनमें कई ऐसे लोग थे जो उस फॉर्म में किसी भी बॉक्स को टिक नहीं कर पाए थे, उनको आशंका यह थी कि उन्हें देश से बाहर किया जाएगा, एनआरसी की कोई प्रक्रिया आज तक शुरू ही नहीं की गई या बनाई ही नहीं गई है, इसपर भी गृहमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक ने कईबार कहा है तो फिर हम लोग क्यों आशंकित हों?
वरुण गांधी संवाददाता से ही प्रश्न करते हैं कि एनआरसी का मुख्य मुद्दा क्या है? और स्वयं कहते हैं कि मान लीजिए कि मैं एक हिंदू हूं और आप एक मुसलमान हैं और हम दोनों के पास कागज नहीं हैं तो आपके मन में ग़लत तरीके से यह डर डाला गया है कि मैं बोलूंगा कि मैं उत्पीड़न का शिकार हूं तो इसलिए मैं बच जाऊंगा, आप सीएए के अंतर्गत नहीं आते आप फंस जाएंगे और आप देश से बाहर निकाल दिए जाएंगे। वरुण गांधी कहते हैं यह दूसरी बात बिल्कुल झूंठ है वह इसलिए कि जब इस सरकार में 403 लोगों को नागरिकता दी गई है और इससे पहले भी यहां लाखों मुसलमानों को नागरिकता दी जा चुकी है तो वह देश की सामान्य नागरिकता प्रणाली के तहत दी गई है, जो आज भी है। असम की एनआरसी पर एक सवाल के उत्तर में वरुण गांधी ने कहा कि राष्ट्रवादी विचारधारा की सोच हमेशा यह बताती है कि यह भारत एक अखंड भारत था, यह कानून इसलिए लाया गया है, ताकि उन लोगों को राहत मिले जो पीड़ित हैं शोषित हैं और जिनपर रोज आक्रमण हो रहे हैं, कुछ लोग तो एनपीआर का भी विरोध कर रहे हैं, अगले साल सेंसस आ रहा है तो उसका भी विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि 110 देश हैं, जिनके पास रजिस्टर आफ सिटीजंस है, यह सारे देश षड्यंत्रकारी देश तो नहीं हैं, रही एनपीआर की बात तो अगर सरकार अपनी नीतियोंका लाभ देश के आखिरी आदमी तक पहुंचाना चाहती है तो यह किसी ना किसी डाटा क्लासिफिकेशन के तहत ही तो होगा...।
वरुण गांधी कहते हैं कि सीएए और एनआरसी को क्लब नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि शाहीन बाग में एक टीवी एंकर से एक महिला को यह कहते हुए सुना गया कि हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं, जब उससे यह पूछा गया कि मूल मुद्दा क्या है परेशानी क्या है तो वह बोलती है कि हमने गृहमंत्री को संसद में यह कहते हुए सुना है कि एक भी मुसलमान को देश की नागरिकता नहीं देंगे। वरुण गांधी कहते हैं कि अब या तो वह महिला पढ़ी-लिखी कम है या उसको किसी ने बरगलाने का काम किया है, इस ठंड में वहां गरीब लोग बैठे हैं वे सीमांत लोग हैं मिडिल क्लास के लोग हैं मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं और मेरा आरोप भी है कि वहां अधिकांश नारे तो आजादी के लग रहे हैं? मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमारी तो विचारधारा ही अलग है, इस देश में आप रहें इस देश के मालिक आप हैं, हिस्सेदार हैं मैं यह मानता हूं, लेकिन इस देश को विखंडित करने के लिए तो स्वतंत्रता नहीं है। उन्होंने कहा कि आप अपना धर्म चुनिए, पहनावा चुनिए, खानपान चुनिए, आप भाषा चुनिए यह सब ठीक है, लेकिन जिस दिन आप यह कहने लगे कि हमें तो देश को तोड़ना ही तोड़ना है तो माफ कीजिए इनके साथ तो हम नहीं बैठेंगे।
वरुण गांधी ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल ने एक बैठक की, जिसमें कई दल नहीं आए वह विभाजित हैं, क्योंकि हर व्यक्ति अपने आपको बचाकर चल रहा है, क्योंकि वह जानता है कि वह राष्ट्रनीति के लिए नहीं, बल्कि वोटनीति के लिए यह बात उठा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदीजी की राजनीति है राष्ट्रनीति के इर्दगिर्द, राष्ट्रनीति को केंद्र बिंदु बनाकर, जबकि विपक्षी दल आज दो नाव पर सवार हैं, क्योंकि वे इन ग़रीबों बेचारों को डराकर बरगलाकर उनका वोट भी लेना चाहते हैं जो देश में 50 साल से हो रहा है और दूसरी तरफ उन्हें नाराज भी नहीं करना चाहते हैं कि हम आगे आकर आपका विरोध कर रहे हैं। वरुण गांधी कहते हैं कि इस प्रकार या तो आपको देश को सशक्त करना है या फिर आपको देश को कमजोर करना है, देश की जड़ों में मट्ठा डालना है। एक सवाल के जवाब में वरुण गांधी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की जान जाने पर खुशी नहीं हो सकती, यूपी में किसी एसपी ने गलत कहा कि मैं तुम्हें पाकिस्तान भेज दूंगा, इस तरह से आप किसीको धमका नहीं सकते, लेकिन कहीं आप एक पुलिस अफसर हैं और एक दंगाई भीड़ आ रही है और वह मार्केट की हर दुकान को आग लगा रही है, वह आपके ऊपर हमला बोल रही है, उस वक्त आपका काम कानून व्यवस्था की रक्षा करना है, बाकी लोगों की सुरक्षा का ख्याल रखना है, लोगों की सुरक्षा का आप एक यंत्र हैं और जब वह भीड़ इस कदर से बेकाबू हो जाती है, तब वह आदमी क्या करेगा?
वरुण गांधी कहते हैं कि आप हिंसा फैलाना चाहते हैं? माफ कीजिएगा संभल में कांधला में मेरठ में या और भी अलग-अलग जगह वह प्रायोजित भीड़ थी और हिंसा फैलाने के लिए उनको भेजा गया था, फिर पुलिस वहां पर क्या करती क्या उनको माला पहनाती? वे कहते हैं कि जामिया के प्रदर्शन में जब तक विद्यार्थी ही थे, तबतक कोई भी दिक्कत नहीं थी, मगर जब वहां अराजक भीड़, क्रिमिनल, गुंडाई समूह एवं प्रायोजित भीड़ शामिल हो गई तो वहां क्या देखा गया ईट पत्थर कांच की बोतलें पुलिस पर फेंकना, निर्दोष लोगों के घरों में घुसकर हिंसा फैलाना, लूटमार करना, आग लगाना। उन्होंने कहा कि आप इस देश की राजधानी में हैं, आप भारत से 500 किलोमीटर दूर किसी द्वीप पर नहीं हो, जिस पर भारत का कब्जा है, भगवान ना करें, अगर वह हिंसा और आग बाकी दिल्ली में फैल जाती तो लाखों लोग दिल्ली में मरते, कौन जिम्मेदार होता? वे कहते हैं कि पुलिस को अगर उन्हें रोकना पड़ा और किसी पर डंडे मारने पड़े तो मैं समझता हूं कि उन्होंने हमारे बच्चों को बचाने का काम किया है। वरुण गांधी ने कहा कि किसी ने विश्वविद्यालय प्रशासन की अपील नहीं मानी जिससे हिंसा और फैली, क्योंकि हिंसा फैलाने वालों को लगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन कमजोर हो गया है, लेकिन कोई इस देश की व्यवस्था को कमजोर नहीं माने, यह उसकी गलतफहमी होगी
सवाल के बीच वरुण गांधी कहते हैं कि जहांतक जेएनयू का सवाल है तो वहां गलत हुआ, जिसने भी किया गलत किया, आधे घंटे के अंदर गृहमंत्री, वित्तमंत्री, रक्षामंत्री आदि की प्रतिक्रिया भी आ गई कि हिंसा ग़लत है और जिसने भी यह किया है, उसके विरुद्ध कार्रवाई होगी चाहे वह कोई भी हो। वरुण गांधी से उनके परिवार के सदस्यों की राजनीति शैली से संबंधित भी प्रश्न हुआ, जिस पर उन्होंने कहा कि मैं यह कहूंगा कि आप मोदीजी का अमित शाहजी का सरकार का विरोध कीजिए, मगर आप इस कदर विरोध न करिए कि आप राष्ट्र के विरोध में खड़े हो जाएं। वरुण गांधी ने कहा कि यह मैं किसी एक व्यक्ति के बारे में नहीं बल्कि सारे लोगों के लिए बोल रहा हूं। वरुण गांधी से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का नाम लेकर प्रश्न हुआ था जिसपर वरुण गांधी ने कहा जो ऐसी बातें रखते हैं उनसे आने वाली पीढ़ी प्रश्न करेगी कि इस समय देश दोराहे पर खड़ा है या तो आप देश के साथ खड़े हों या फिर आप कुछ ऐसी नीतियों के साथ खड़े हो जिससे हो सकता है कि आपका लाभ हो, लेकिन देश का नाश हो जाए, इसलिए मैं यह कहूंगा कि आप सरकार के खिलाफ बात उठाइए अगर आपको ठीक लगे, लेकिन जिस समय बाद यह देश के खिलाफ होने लगे तो आप लोगों को दोबारा सोचना पड़ेगा कि आप किस रास्ते पर चल रहे हो।
वरुण गांधी ने एक और प्रश्न पर प्रति प्रश्न किया और कहा कि मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि जितने भी लोग, नेता या अभिनेता राजनीति कर रहे हैं क्या उन सबने सीएए पढ़ा है? 99.9 परसेंट लोगों ने तो इस एक्ट को पढ़ा ही नहीं है, इस पर मेरा बिल्कुल साफ मानना है। वरुण गांधी ने राहुल और प्रियंका का नाम लिए बगैर कहाकि जो मोदीजी और अमित शाहजी दो-दो बार अपने बूते पर चुनकर आए हैं, 300 से ज्यादा सीटों के साथ बाकी दलों को परास्त करके आए हैं, इतना बड़ा वोट जनसमूह उनके साथ है, आप उससे किसकी तुलना कर रहे हैं, आप उनके लिए जो शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं, आपको दोबारा सोचना चाहिए। उन्होंने कहाकि जब नोटबंदी हुई तो यही वह लोग हैं, जिन्होंने हल्ला बोलाकि यह देश के विरोध में है, गरीबों के विरोध में है, उसके बाद यूपी में चुनाव हुए और भाजपा को दो तिहाई बहुमत मिला। वरुण गांधी ने दीपिका पादुकोण के जेएनयू जाने पर पूछे गए सवाल का भी उत्तर दिया और कहा कि सबको स्वाधीनता और विचारधारा चुनने की स्वतंत्रता है, लेकिन आपको किसी मुद्दे की गहराई में तो जाना चाहिए, उन्होंने अपनी बात क्यों नहीं रखी? उन्हें तर्कसंगत और तथ्यात्मक तरीके से कहना चाहिए था कि इस तरह से देश में होना चाहिए किंतु वह एक फोटो लिया और चली गईं, आपका एक नाम है, इसलिए आपको मुद्दे की गहराई में जाकर कहना चाहिए।
वरुण गांधी ने कहा कि अगर आप महात्मा गांधी की अभिव्यक्ति पढ़ें तो उन्होंने दो बार लिखा है कि एक मानवतावादी उदारवादी प्रगतिशील राजनीति पर यह देश चले, इसी प्रकार उन्होंने उसी जगह पर यह भी लिखा है कि मुझे चिंता आज नहीं है बल्कि आने वाले समय के लिए भी चिंता है कि यह पाकिस्तान जो बना है उसमें अल्पसंख्यकों का क्या हश्र होगा। वरुण गांधी कहते हैं कि प्रणब मुखर्जी साहब ने भी अपनी अध्यक्षता में राज्यसभा की समिति बनाई थी, जिसमें उन्होंने यह लिखकर दिया है कि बांग्लादेश के जो अल्पसंख्यक हैं, उनको हम शरण दें और वहां जो बहुसंख्यक हैं वे वहीं ही ठीक हैं। वरुण गांधी ने एक और उद्धरण प्रस्तुत किया कि भगवान श्री कृष्ण ने विदुरजी से कहा कि जहां सत्य है वहां धर्म है और जहां धर्म है वहांकृष्ण है और जहां कृष्ण है वहां विजय है। वरुण गांधी कहते हैं कि आज समय अपनी राजनीतिक विजय के बारे में सोचने का नहीं है, बल्कि राष्ट्र के झंडे को हम और ऊंचा करें, राष्ट्र की जड़ों को मजबूत करें और एक ऐसे नेतृत्व के साथ खड़े रहें जो कट्टर राष्ट्रभक्त हो। https://www.youtube.com/watch?v=KRpPJTV04fw