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Tuesday 4 February 2020 03:27:01 PM
जयपुर। वरिष्ठ आलोचक और साहित्यकार डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने राजस्थान विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में आयोजित विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए कहा है कि कथेतर लेखन अब भारतीय साहित्य की मुख्य धारा है, जिसमें हमारे युग की सच्चाई बोल रही है। उन्होंने कहा कि कवि और लेखक डॉ सत्यनारायण व्यास की आत्मकथा 'क्या कहूं आज' केवल साधारण मनुष्य की सच्चाई और संघर्ष की दास्तान नहीं है, बल्कि इसमें लंबे दौर के जीवन अनुभवों को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालयी शिक्षक के खरे अनुभव भी इस आत्मकथा को विशिष्ट बनाते हैं। लेखकीय वक्तव्य में डॉ व्यास ने लिखा है कि स्वाभिमान और संघर्ष से पीछे न हटने की प्रवृत्ति के संस्कार उन्हें अपनी मां से मिले हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के अध्यापक और बनास जन के संपादक पल्लव ने आत्मकथा की कसौटियों की चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी में कथेतर लेखन की व्यापकता से साहित्य में लोकतंत्र की वृद्धि हुई है। पल्लव ने कहा कि आत्म स्वीकार की उदात्तता और प्रांजल गद्य के सहकार से यह कृति पठनीय बन गई है। राजस्थान विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सहायक आचार्य जगदीश गिरी ने आत्मकथा के महत्वपूर्ण प्रसंगों को सुनाते हुए कहा कि इसमें निजी संवादों में आए राजस्थानी वाक्यों को जस का तस पढ़ना डॉ सत्यनारायण व्यास की लेखनी का कौशल है। उन्होंने आत्मकथा में बचपन, कोर्ट कचहरी और दैनंदिन कामकाज के संघर्ष के दृश्यों की सराहना की। विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूपमें पधारे महाराजा कालेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर एसके मिश्र ने कहा कि रसायन शास्त्र के विद्यार्थी होने पर भी उन्होंने साहित्य की इस कृति को पढ़ा है। उन्होंने एक अध्यापक के रूपमें डॉ व्यास की निष्ठा और प्रतिबद्धता को अनुकरणीय बताया। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी शोध होना चाहिए कि कालेज में प्रवेश ले लेने के बाद भी कक्षाओं में विद्यार्थी क्यों नहीं आते?
विमोचन समारोह में वरिष्ठ आलोचक मोहन श्रोत्रिय, सुपरिचित कवि नंद भारद्वाज, विख्यात कवि चिंतक सदाशिव श्रोत्रिय, चंद्रकांता व्यास ने भी कृति के सम्बंध में अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में लेखक डॉ हेतु भारद्वाज, हरीश करमचंदानी, शैलेंद्र चौहान, राघवेंद्र रावत, संदीप मील, राजस्थान लेखा सेवा के हरीश लड्ढा, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे। विभाग की अध्यक्ष डॉ श्रुति शर्मा ने समारोह में डॉ सत्यनारायण व्यास का शाल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। कार्यक्रम संयोजक डॉ तारावती मीणा ने कृति के मुख्य अंशों का वाचन किया। डॉ उर्वशी शर्मा ने विभाग की तरफ से अतिथियों का आभार व्यक्त किया।