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Friday 7 February 2020 02:12:45 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को पुनः आश्वस्त किया है कि नागरिकता संशोधन कानून से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता प्रभावित नहीं होगी। लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून पर विस्तार से बोलते हुए प्रधानमंत्री ने इस कानून पर पूर्ववर्ती सरकार के रुख़ का भी जिक्र किया और कहा कि पिछली सरकार भी ऐसा ही कानून लाने के हक में थी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का हवाला देते हुए कहा कि वह पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत में शरण देने के लिए नागरिकता कानून में संशोधन के हक में थे, जबकि इस समय कुछ राजनीतिक दल देश विभाजन के पाकिस्तानी एजेंडों को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं यह पुनः स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने से कोई भी भारतीय नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म या सम्प्रदाय का है, प्रभावित नहीं होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण देश में उम्मीदों की भावना पैदा करता है और आने वाले समय में राष्ट्र को आगे ले जाने का रोडमैप प्रस्तुत करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का संबोधन ऐसे समय में आया है, जब हमने सदी के तीसरे दशक में प्रवेश किया है, राष्ट्रपति के संबोधन में उम्मीद की भावना है और यह आने वाले समय में देश को और भी आगे ले जाने का रोडमैप प्रस्तुत करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश के लोग इंतजार करने को तैयार नहीं हैं, वे गति, परिणाम, दृढ़ संकल्प, कड़े निर्णय लेने की क्षमता, संवेदनशीलता और समाधान चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने तेजगति से काम किया है और इसका परिणाम है कि पांच साल में 37 मिलियन लोगों के पास बैंक खाते हैं, 11 मिलियन लोगों के घर में शौचालय हैं, 13 मिलियन लोगों के घरों में रसोई गैस है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों का सपना है कि उनका अपना घर हो, दिल्ली की 1700 से अधिक अवैध कॉलोनियों में रह रहे 40 लाख लोगों का अपने घर का लंबा इंतजार खत्म हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान की आमदनी बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है, उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य, फसल बीमा और सिंचाई से संबंधित योजनाएं कई दशक से लंबित थीं, हमने एमएसपी को डेढ़ गुना बढ़ाया और रुकी हुई सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि साढ़े पांच करोड़ से अधिक किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल हुए, किसानों को साढ़े तेरह करोड़ रुपये के प्रीमियम का भुगतान किया गया और 56 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बीमा दावों का निपटारा किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे कार्यकाल में कृषि बजट में पांच गुना वृद्धि हुई है, प्रधानमंत्री-किसान सम्मान योजना अनेक किसानों का जीवन बदल रही है, 45,000 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई है और कई किसानों को इसके कारण लाभ हुआ है, इसमें कोई बिचौलिया नहीं हैं और न ही फाइल से जुड़ा कोई अतिरिक्त कार्य है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाया है। उन्होंने कहा कि मूल्य वृद्धि भी जांच के दायरे में है और वृहद आर्थिक स्थिरता है। नरेंद्र मोदी ने निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सरकार के प्रयासों की चर्चा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने अनेक पहल की हैं, उद्योग सिंचाई सामाजिक इन्फ्रा ग्रामीण इन्फ्रा पोर्ट्स जल तरीके, स्टैंडअप इंडिया और मुद्रा योजना ने कई लोगों के जीवन में समृद्धि लाई है। मुद्रा योजना लाभार्थियों में पर्याप्त संख्या महिलाओं की है, इसके तहत करोड़ों युवाओं को लाभांवित करने के लिए 22 करोड़ रुपये से अधिक के ऋणों की मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार श्रमिक यूनियनों के साथ विचार-विमर्श के बाद श्रम सुधारों पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए बुनियादी ढांचा लोगों को उनके सपनों से जोड़ने, उपभोक्ताओं को लोगों की रचनात्मकता से जोड़ने के बारे में आकांक्षाओं और उपलब्धियों का मिश्रण है। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा एक बच्चे को उसके स्कूल, एक किसान को बाजार, एक व्यापारी को अपने ग्राहकों से जोड़ रहा है, यह लोगों को लोगों से जोड़ने के संबंध में है। प्रधानमंत्री ने इस विषय पर कहा कि भारत की प्रगति को आगे बढ़ाने वाली चीजों में से एक अगली पीढ़ी का बुनियादी ढांचा है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों में बुनियादी ढांचे का गठन कुछ चुनिंदा लोगों के लिए आर्थिक अवसर लाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है, हमने इस क्षेत्र को पारदर्शी बनाया है और संपर्क को बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेंगे और इससे विकास अर्थव्यवस्था और रोज़गार बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-370 के समापन से देश के शेष हिस्से के साथ जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह जोड़ना सम्भव हुआ है। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर को भारत का मुकुटमणि बताते हुए कहा कि सभी मतों तथा सूफी परम्परा के प्रति सर्वधर्म समभाव ही जम्मू-कश्मीर की असली पहचान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र को अनदेखा नहीं किया जा सकता, जो बंदूकों, बमों, आतंकवाद तथा अलगाववाद से छलनी है। प्रधानमंत्री ने 19 जनवरी 1990 की चर्चा करते हुए कहा कि बहुत से लोगों को अपनी पहचान गंवानी पड़ी, क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर से निकाल दिया गया। प्रधानमंत्री ने क्षेत्र की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक बताया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों में पूर्ण विश्वास के साथ संविधान के अनुच्छेद-370 का समापन किया गया है तथा इस क्षेत्र का विकास काफी तेजी से हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाया जा रहा है और केंद्रीय मंत्री इस केंद्रशासित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर लोगों से प्रत्यक्ष रूपसे विचार ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार निश्चित तौरपर उन विचारों के आधार पर काम करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों के कल्याण तथा इसके चहुमुखी विकास के लिए काम करने के प्रति समर्पित है। उन्होंने कहा कि लद्दाख को एक कार्बनमुक्त केंद्रशासित प्रदेश के रूपमें विकसित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर अब कोई उपेक्षित क्षेत्र नहीं रह गया है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में किए गए सरकारी प्रयासों का धन्यवाद देते हुए कहा कि इनकी वजह से ही आज पूर्वोत्तर देश का एक प्रमुख विकास इंजन बन चुका है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के क्षेत्र अब यह नहीं महसूस करते कि दिल्ली दूर है, अब सरकार उनकी दहलीज तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि हमारे मंत्री और अधिकारी नियमित रूपसे इस क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र के लिए सरकार बिजली, रेल सपंर्क, मोबाइल संपर्क प्रदान करने के साथ विकास के कई काम किए हैं। बोडो समझौते का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों पुराने संकट को हल करने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिथिल नीति अपनाने के कारण दशकों पुराने इस संकट के कारण 40 हजार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि इस बार के बोडो समझौते में सभी हथियारी ग्रुप साथ आए हैं, सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें लिखा है कि इसके बाद बोडो की कोई मांग बाकी नहीं रही है।