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तकनीक से समाज में संवादहीनता व अवसाद

सामाजिक चेतना पर हावी है निर्ममता-कथाकार अखिलेश

हिंदू कालेज दिल्ली में रिश्ते-नातेदारी पर हुए व्याख्यान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 7 February 2020 05:29:46 PM

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नई दिल्ली। सुप्रसिद्ध कथाकार और 'तद्भव' के सम्पादक अखिलेश ने हिंदू कालेज में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा है कि कहानियों के मार्फ़त हम अपने समय के यथार्थ को समझ सकें यह हमारे साहित्य के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि इतिहासकार की तुलना में तमस और झूंठा सच जैसे उपन्यास अधिक सच्ची और मानवीय दृष्टि से विभाजन जैसी घटना को समझने में सहायक हैं। अखिलेश ने कहा कि सामाजिक विज्ञानों में यह छटपटाहट है कि वे भी साहित्य जैसी संवेदना प्राप्त करना चाहते हैं, वे भी आख्यान की रोचकता चाहते हैं, जिससे पाठक उनको रुचि से पढ़े। उन्होंने कहा कि इतिहास, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र में यह तड़प देखी जा रही है कि साहित्य की तरह वैसी ही अंतर्वस्तु और रूप को ग्रहण करके वे अपने समय का सच्चा समाज विज्ञान बनाएं।
कथाकार अखिलेश ने हिंदू कालेज में अंतर-अनुशासनिक ढंग से की जा रही एक शोध परियोजना के उद्घाटन को साहित्य और समाजशास्त्र के जरूरी सहमेल का अनुकरणीय उदाहरण बताया। यह शोध परियोजना हिंदी कहानियों के माध्यम से उत्तर भारतीय समाज में रिश्ते-नातेदारियों के अध्ययन पर आधारित है। इसके लिए राजकमल प्रकाशन की पुस्तक श्रृंखला 'कहानियाँ रिश्तों की' को आधार बनाया गया है। अखिलेश ने कहा कि परिवार सामाजिक सच्चाइयों का नाविक है, रिश्तों की कहानियों में भारतीय परिवार और समाज की वे सच्चाईयां हैं, जिन्हें आमतौर पर अनदेखा किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज आज विकास के उस मोड़ पर आ गया है, जहां निर्ममता भले ही दिखाई नहीं दे रही है, लेकिन वह चेतना पर हावी है। उन्होंने इसके लिए जीवन में बढ़ते तकनीकी हस्तक्षेप को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि तकनीक ने जो समय बचाया है, भारतीय समाज में उसका कोई सर्जनात्मक उपयोग नहीं हो रहा है, उलटे संवादहीनता से जीवन में अवसाद बढ़ता जा रहा है।
राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने इस अवसर पर कहा कि यह कहानी श्रृंखला तैयार करते हुए उनके मन में पाठकों की रूचियां थीं, लेकिन इस श्रृंखला को इस तरह का अकादमिक महत्व भी मिल सकता है, यह उनके लिए सचमुच संतोष और गौरव की बात है। अशोक महेश्वरी ने कहा कि कहानी श्रृंखला के उनके विचार को अखिलेश ने व्यापक दृष्टि और स्वरूप प्रदान कर उसे समसामयिक बनाया ह‌ै। उन्होंने कहा कि मनोरंजन के साथ-साथ पाठकों की सुरुचि को विकसित करने में सम्पादक की बड़ी भूमिका होती है, जो इस कहानी श्रृंखला में अखिलेश के चयन में देखी जा सकती है। हिंदू कालेज के ‌समाजशास्त्र विभाग के डॉ रविनंदन सिंह ने परियोजना की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि समाजशास्त्र की पढ़ाई में किस तरह रिश्तेदारी और नातेदारी के अध्ययन का गंभीर महत्व है। कालेज के हिंदी विभाग के डॉ पल्लव ने कहानी श्रृंखला के सम्पादक के रूपमें अखिलेश का परिचय कराया और वर्तमान परिदृश्य में उनके सम्पादन के योगदान की चर्चा की। इस अवसर पर वरिष्ठ अध्यापक डॉ रामेश्वर राय, डॉ धर्मेंद्र प्रताप सिंह, विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी हर्ष उरमलिया ने किया। समाजशास्त्र विभाग की आरुषि शर्मा ने आभार व्यक्त किया।

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