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Monday 10 February 2020 12:44:24 PM
देहरादून। नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना-उड़े देश का आम नागरिक के तहत देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड से गौचर और चिन्यालीसौड़ तक पहलीबार हेलीकॉप्टर सेवाओं का प्रचालन किया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव प्रदीप सिंह खारोला ने इस सेवा को झंडी दिखाई। उत्तराखंड क्षेत्र में हेलीकॉप्टर मार्गों की शुरुआत देश में पहाड़ी क्षेत्रों का हवाई संपर्क बढ़ाने के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के लक्ष्य के अनुरूप है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उड़ान-2 बोली प्रक्रिया के तहत सहस्त्रधारा-गौचर-चिन्यालीसौड़ मार्ग हेरिटेज एविएशन को प्रदान किया है। हेरिटेज एविएशन प्रतिदिन दो बार सहस्त्रधारा से गौचर और चिन्यालीसौड़ तक हेलीकॉप्टर सेवाएं प्रचालित करेगा। हेलीकॉप्टर सेवाओं में आम लोगों के लिए किराए को किफायती बनाने के लिए व्यवहार्यता गैप फंडिंग प्रदान की गई है।
उत्तराखंड सरकार इस उड़ान योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। सहस्त्रधारा हेलीपेड से गौचर और चिन्यालीसौड़ तक की हेलीकॉप्टर सेवाएं चलाना पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों की दीर्घकालीन लंबित मांग रही है। विश्वास किया जाता है कि उत्तराखंड क्षेत्र के इस मार्ग पर उड़ान सेवाओं से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और तीर्थयात्रियों के लिए चारधाम यात्रा और भी सुगम हो जाएगी, क्योंकि गौचर क्षेत्र बद्रीनाथ के रास्ते पर है और इसी प्रकार चिन्यालीसौड़ उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री के रास्ते पर है। वर्तमान में हेलीकॉप्टर सेवाओं का प्रचालन चंडीगढ़ से शिमला और शिमला से धर्मशाला एवं शिमला से कुल्लू के बीच किया जा रहा है। सहस्त्रधारा-गौचर-चिन्यालीसौड़ मार्ग के शुरू होने के साथ ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 260 मार्गों का प्रचालन कर दिया है।
उड़ान योजना के तहत पवन हंस हेलीकॉप्टर भी जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून से नई टिहरी, श्रीनगर, चमोली, उत्तराखंड और गौचर में भी प्रचालन शुरू करने जा रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आम जनता के लिए उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी राज्यों, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और द्वीपों को पूरे तरीके से जोड़ने के उद्देश्य से हाल ही में उड़ान के तहत चौथे दौर की बोली आमंत्रित की है, जिसकी प्रक्रिया प्रगति पर है। इस अवसर पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। गौरतलब है कि उत्तराखंड के ऐतिहासिक दुर्गम स्थानों पर इसलिए पर्यटन प्रभावित है, क्योंकि उनतक पहुंचने के लिए पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को न केवल यातायात की परेशानी होती है, अपितु मौसम की कभी भी खराबी या दूसरी प्राकृतिक आपदाओं के कारण रास्ते में फंसने का भय उन्हें यहां के पर्यटन और देशाटन के लिए सशंकित बनाता है। उड़ान सेवाओं के शुरू होने से इस क्षेत्र में काफी और तेज प्रगति होगी।