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Tuesday 11 February 2020 02:41:32 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान यानी एनआईएफएम फरीदाबाद का नाम बदलकर अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान रखने का निर्णय लिया है। ज्ञातव्य है कि संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से भर्ती किए गए विभिन्न वित्त एवं लेखा सेवाओं के अधिकारियों के साथ-साथ भारतीय व्यय लेखा सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के शासनादेश के साथ भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के तहत एक पंजीकृत संस्थान के रूपमें 1993 में एनआईएफएम फरीदाबाद की स्थापना की थी।
केंद्रीय वित्तमंत्री एनआईएफएम समिति के अध्यक्ष होते हैं। यह संस्थान सार्वजनिक नीति, वित्तीय प्रबंधन, सार्वजनिक खरीद और अन्य प्रशासनिक मुद्दों पर क्षेत्र में व्यवसायिक दक्षता तथा परंपरा के उच्चतम मापदंड को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की प्रशिक्षण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक प्रमुख संसाधन केंद्र बन गया है। एनआईएफएम राज्य सरकारों, रक्षा प्रतिष्ठानों, बैंकों, अन्य वित्तीय संस्थानों और सार्वजनिक उपक्रमों को भी सुविधा प्रदान करता है। यह प्रशिक्षण से आगे बढ़कर प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में भी पहुंच गया है तथा वित्तीय प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा के लिए एआईसीटीई से अनुमोदित विशेष पाठ्यक्रमों को भी संचालित करता है।
नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय वित्तमंत्री रहे और पद्म विभूषण से सम्मानित अरुण जेटली ने 26 मई 2014 से 30 मई 2019 की अवधि के दौरान केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्यमंत्री के रूपमें अपने शानदार कार्यकाल के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्होंने ऐतिहासिक गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की शुरुआत की, उनके नेतृत्व में रेल बजट का आम बजट के साथ विलय किया गया, उन्होंने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड की शुरुआत भी सुनिश्चित की थी। अरुण जेटली के दृष्टिकोण और योगदान के बल पर भविष्य में इस संस्थान के सपने और आकांक्षाओं के बीच तालमेल कायम करते हुए केंद्र सरकार ने वित्तीय प्रबंधन संस्थान का नाम बदलकर अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान के रूपमें रखने का निर्णय लिया है।