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Sunday 16 February 2020 11:38:32 PM
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी में जंगमवाड़ी में श्रीजगद्गुरु विश्वाराध्य गुरुकुल मठ के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में कहा हैकि राष्ट्र निर्माण में मठ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, उनका उद्देश्य दूसरों की सेवा के लिए करुणा भाव से आगे बढ़ना है, संकल्पों से खुद को जोड़ना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता में भी मठों और गुरुकुलों की बड़ी भूमिका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जंगमवाड़ी मठ भावात्मक और मनोवैज्ञानिक रूपसे वंचितों के लिए प्रेरणा का माध्यम है, जंगमवाड़ी मठ का आचरण नए भारत की दिशा तय करेगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा और दूसरी भारतीय भाषाओं को ज्ञान का माध्यम बनाते हुए मठ में टेक्नोलॉजी का अद्भुत समावेश है। उन्होंने कहा कि सरकार का भी यही प्रयास है कि संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं का विस्तार हो, युवा पीढ़ी को इसका लाभ मिले। उन्होंने तुलसीदास के कथन ‘संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोऊ’ का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में स्वच्छ भारत अभियान संचालित है, भारत में बने उत्पादों को बढ़ावा देते हुए बुनकरों-शिल्पियों को सम्मान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें देश में बने सामान के उपयोग पर बल देना है, क्योंकि लोगों की मानसिकता बदल रही है कि इम्पोर्टेड श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि जल-जीवन में सभी की भूमिका अहम है, पानी की बचत करनी है और देश को सूखा मुक्त और जलयुक्त बनाना है, आज माँ गंगा के पास बसे स्थानों में दायित्वबोध तथा कर्तव्यबोध ने माँ गंगा को साफ करने में बड़ा योगदान दिया है, बडे़-बड़े अभियानों को सरकार और जनभागीदारी से पूरा करना होगा, गंगा जल में सुधार इसका परिणाम है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के तहत माँ गंगा को स्वच्छ बनाने का काम प्रगति पर है, प्रयागराज कुम्भ में आए संतों और श्रद्धालुओं ने माँ गंगा की स्वच्छता पर संतोष व्यक्त किया, जो प्रेरक और उत्साहवर्धक है। इस मौके पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर आध्यात्मिक महत्व के विचार भी प्रकट किए। उन्होंने कहा कि काशी की धरती को संतों का आशीर्वाद मिला है और वे काशी के जनप्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति और संस्कृत की संगम स्थली पर आना उनका बहुत बड़ा सौभाग्य है, संतों के ज्ञान और सत्संग का मौका कभी नहीं छोड़ना नहीं चाहिए, बाबा विश्वनाथ के सान्निध्य में माँ गंगा के आंचल में संत वाणी का साक्षी बनने का अवसर बार-बार नहीं मिलता। प्रधानमंत्री ने कहा कि वीर शैव की संत परम्परा के शताब्दी वर्ष का यह आयोजन बहुत सुखद है। उन्होंने कहा कि वीर शब्द का अर्थ वीरता का नहीं, बल्कि वीरशैव परम्परा में वीर को आध्यात्मिक अर्थ से परिभाषित किया गया है, सनातन परम्परा में धर्म, कर्तव्य का पर्याय रहा है, वीरशैव ने धर्म की शिक्षा कर्तव्यों के साथ दी है, जिसमें पांच आचरण का जिक्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मठ के ज्ञान मंदिर में मुगल शासकों एवं काशी महाराज द्वारा मठ की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए दिए गए भूदान के राजाज्ञा पत्रों का भी अवलोकन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वीरशैव संतों का संदेश सरकारों को प्रेरणा देता है, देश की पुरानी समस्याओं पर फैसले आ रहे हैं, अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग साफ हो गया है, श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा भी की जा चुकी है, अयोध्या में अब भगवान श्रीराम के मंदिर का भव्य निर्माण होगा, इसके लिए 67 एकड़ भूमि ट्रस्ट को मिलेगी, जिससे श्रीराम मंदिर की भव्यता बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीराम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम का कालखंड ऐतिहासिक है। उन्होंने आह्वान किया कि देशवासी नए भारत के निर्माण की जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लें। इस अवसर पर मौजूद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की आस्था को सम्मान मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की परम्परा बहुत ही समृद्ध है, सनातन हिंदू धर्म को समृद्ध करने का कार्य 5 वीरशैव पीठ कर रही हैं, जंगमवाड़ी मठ के गुरुकुल की समृद्ध परम्परा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संतों के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना मानवता की बड़ी सेवा है, लिंगायत, वीरशैव परम्परा के लोगों ने शिक्षा एवं संस्कृति को बढ़ाया है, मठों के जरिए अज्ञानता दूर की जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जंगमवाड़ी मठ भावात्मक और मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रेरणा और आजीविका प्रदान करने का जरिया है, संस्कृत और दूसरी भाषाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसमें मठ तकनीक का समावेश कर रहा है, जो उत्साहवर्धक है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि संस्कृत और दूसरी भाषाओं का युवाओं को लाभ हो। उन्होंने दर्शन कोष की स्थापना के लिए चंद्रशेखर महास्वामी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी लिखी पुस्तकें राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि संस्कार से देश बनता है और कर्तव्य भावना को श्रेष्ठता प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर मठ में संजीवनी समाधि का दर्शन-पूजन किया, इसके पश्चात उन्होंने मठ मंच पर श्रीसिद्धांत शिखामणि ग्रंथ के 19 भाषा में अनुवादित संस्करणों का विमोचन तथा श्रीसिद्धांत शिखामणि ग्रंथ के मोबाइल एप का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री ने महाकुम्भ में कर्नाटक, उड़ीसा, केरल, बैंगलुरु और मसूरी से आए संत-महात्माओं को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया।