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केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन के लिए विकल्प चुनें

केंद्रीय पेंशनभोगियों के लिए ऐतिहासिक निर्णय-राज्यमंत्री

पेंशन विवादों की संख्‍या भी काफी कम होने की उम्‍मीद

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 19 February 2020 01:31:37 PM

pension

नई दिल्ली। भारत सरकार के ऐसे सभी कर्मचारी जिनका नियुक्‍ति‍ के लिए 1 जनवरी 2004 से पहले चयन हुआ था, लेकिन जो 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल हुए हैं, अब वे केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम-1972 के दायरे में आने का विकल्‍प चुन सकते हैं। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्‍याण विभाग ने इस संबंध में एक ऑर्डर भी जारी कर दिया है। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्‍यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस ऑर्डर से भारत सरकार के उन कर्मचारियों को या तो अब केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम-1972 को अपनाने अथवा राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली के दायरे में ही बने रहने का विकल्‍प दिया गया है, जिन्हें वर्ष 2004 से पहले ही भर्ती कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्‍याण विभाग का यह ऐतिहासिक निर्णय है, जो केंद्र सरकार के उन कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है, जिनकी भर्ती को 1 जनवरी 2004 से पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया था, लेकिन जो विभिन्‍न कारणों से 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद संबंधित सेवाओं में शामिल हुए थे।
केंद्रीय पेंशन राज्‍यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात रेखांकित की है कि यद्यपि इस विकल्‍प को अपनाने की अंतिम तिथि 31 मई 2020 है और जो भी कर्मचारी इस निर्धारित तिथि तक इस विकल्‍प को अपनाने में विफल रहेंगे, वे आगे भी राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली के दायरे में बने रहेंगे। केंद्र सरकार ने इस आदेश के माध्‍यम से बड़ी संख्‍या में ऐसे सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित शिकायतों को दूर किया है, जिनका चयन नियुक्ति के लिए (लिखित परीक्षा सहित, साक्षात्‍कार और परिणाम की घोषणा) 1 जनवरी 2004 से पहले कर लिया गया था और पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाए जाने के लिए भी यही कट ऑफ डेट निर्धारित की गई थी, लेकिन जो प्रशासनिक कारणवश देरी से सेवा में शामिल हुए और यह विलंब इन सरकारी कर्मचारियों की वजह से नहीं हुआ था और जो सीसीएस (पेंशन) नियम-1972 के दायरे में शामिल किए जाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा रहे थे, भारत सरकार के इस नए आदेश से उनको राहत मिलने की उम्‍मीद है।
पेंशन विवाद मामले से जुड़े कानूनी विवादों की संख्‍या भी काफी कम होने की उम्‍मीद है। ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं, जहां चयन को 1 जनवरी 2004 के पहले अंतिम रूप दे दिया गया था, लेकिन उनके वास्तविक रूपसे सेवा में शामिल होने की प्रक्रिया 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद पूरी हुई। भर्ती के लिए परिणाम 1 जनवरी 2004 से पहले ही घोषित कर दिए गए थे, लेकिन सरकारी कर्मचारी को नियुक्तिपत्रमिलने और वास्‍तविक रूपसे उसकी नियुक्ति होने में पुलिस सत्यापन, स्‍वास्‍थ्‍य चिकित्सा जांच आदि के कारण विलंब हुआ। एक सामान्य चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए कुछ उम्मीदवारों को नियुक्तियों के प्रस्ताव जारी किए गए थे और उन्हें 1 जनवरी 2004 से पहले नियुक्त भी कर दिया गया था, जबकि अन्य चयनित उम्मीदवारों को नियुक्तियों के प्रस्ताव प्रशासनिक कारणों या बाधाओं तथा न्‍यायालय और कैट में लंबित मामलों के कारण 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद जारी किए गए थे।
गौरतलब है कि एक सामान्य प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से 1 जनवरी 2004 से पहले चुने गए उम्मीदवारों को विभिन्‍न विभागों या संगठनों में नियुक्‍त किया गया। इनमें से कुछ की नियुक्ति विभिन्न सरकारी विभागों या संगठनों में 31 दिसंबर 2003 को या उससे पहले पूरी कर दी गई थी, जबकि कुछ अन्‍य विभागों या संगठनों के लिए चयनित कुछ उम्‍मीदवारों को नियुक्ति पत्र एक जनवरी 2004 को या उसके बाद भेजा गया। चयनित उम्‍मीदवारों को नियुक्ति पत्र 1 जनवरी 2004 से पहले ही इस निर्देश के साथ भेजा गया था कि वह इस तारीख को या फिर इसके बाद सेवा में शामिल हो सकते हैं। कुछ चयनित उम्मीदवारों को 1 जनवरी 2004 से पहले नियुक्ति पत्रजारी किए गए थे और कई उम्मीदवार एक जनवरी 2004 से पहले ही सेवा में शामिल हो गए थे। हालांकि कुछ उम्मीदवारों को सेवा में शामिल होने के लिए कुछ अतिरिक्‍त समय दिया गया था और वे 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल हुए। हालांकि, उनकी वरिष्ठता या तो अप्रभावित रही या उसी बैच में या उसके बाद के बैच में उनकी वरिष्‍ठता कम कर दी गई। बाद के बैच के नतीजे 1 जनवरी 2004 से पहले घोषित कर दिए गए थे। भर्ती के लिए परिणाम 1 जनवरी 2004 से पहले घोषित किया गया था, लेकिन इनमें से एक या अधिक उम्मीदवारों को मेडिकल फिटनेस या चरित्र प्रमाणपत्र,जाति या आय प्रमाणपत्रों के सत्यापन के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया।
इस मामले में दोबारा गौर करने पर उन्‍हें नियुक्ति के लिए योग्‍य पाया गया और उन्‍हें 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सेवा सेवा में शामिल होने के नियुक्तिपत्र जारी किए गए। सभी व्‍याख्‍यात्‍मक मामलों में भर्ती के लिए परिणाम 1 जनवरी 2004 से पहले घोषित किया गया था, इसलिए प्रभावित सरकारी कर्मचारियों को सीसीएस (पेंशन) नियम-1972 के तहत पेंशन के लाभ से वंचित करना उचित नहीं माना जाता है। विभिन्‍न अभिवेदनों या संदर्भों और न्यायालयों के फैसलों को देखते हुए इस मामले की कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, व्यय विभाग और कानूनी मामलों के विभाग के साथ मिलकर जांच की गई है। यह फैसला लिया गया है कि 31 दिसंबर 2003 या उससे पहले की रिक्तियों के लिए 1 जनवरी 2004 से पहले घोषित भर्ती परिणामों के सभी मामलों में भर्ती के लिए सफल घोषित किए गए उम्मीदवार सीसीएस (पेंशन) नियम-1972 के तहत पेंशन पाने के पात्र होंगे। ऐसे सरकारी कर्मचारी जिन्हें 01 जनवरी, 2004 के पहले की रिक्तियों के लिए 31 दिसंबर 2003 या उससे पहले घोषित परिणामों में भर्ती के लिए सफल घोषित किया गया था और जो 1 जनवरी 2004 या उसके पहले सेवा में शामिल होने पर राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत आते हैं, उन्‍हें सीसीएस (पेंशन) नियम-1972 के तहत लाने का एकमुश्त विकल्प दिया जा सकता है।
यह विकल्प संबंधित सरकारी कर्मचारियों द्वारा 31 मई 2020 तक लिया जा सकता है। वे सरकारी कर्मचारी जो पैरा-4 के अनुसार विकल्प अपनाने के पात्र हैं, लेकिन जो निर्धारित तिथि तक इस विकल्प को नहीं अपनाते हैं, उन्हें राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में ही रखा जाएगा और एक बार लिया गया विकल्प अंतिम माना जाएगा। सरकारी कर्मचारी द्वारा विकल्‍प चुनने के आधार पर सीसीएस (पेंशन) नियम-1972 के तहत कवरेज का यह मामला नियुक्ति प्राधिकरण के समक्ष इन निर्देशों के अनुसार विचार करने के लिए रखा जाएगा, यदि सरकारी कर्मचारी सीसीएस (पेंशन) नियम-1972 के तहत कवरेज की शर्तों को पूरा करता है, तो इन निर्देशों के अनुसार इस संबंध में आवश्यक आदेश 30 सितंबर 2020 तक जारी किया जाएगा, नतीजतन ऐसे सरकारी कर्मचारियों का एनपीएस खाता 1 नवंबर 2020 से बंद हो जाएगा। वे सरकारी कर्मचारी जो सीसीएस (पेंशन) नियम-1972 के तहत पेंशन योजना का विकल्‍प चुनते हैं, उन्‍हें सामान्य भविष्य निधि की सदस्यता लेना आवश्यक होगा।

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