स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 3 March 2020 04:21:29 PM
तिरुवंतपुरम। चित्रा थिरुनाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवंतपुरम की अनुसंधान टीम ने रक्त वाहिकाओं की धमनी के उपचार के लिए एक अभिनव इंट्राक्रानियल फ्लो डायवर्टर स्टेंट विकसित किया है। फ्लो डायवर्टरों को जब एन्यूरिज्म से ग्रस्त मस्तिष्क की धमनी में तैनात किया जाता है, तब यह एन्यूरिज्म से रक्त का प्रभाव बदल देता है, इससे रक्त प्रवाह के दबाव से इसके टूटने की संभावना कम हो जाती है। इंट्राक्रैनील एन्यूरिज्म एक स्थानीयकृत गुब्बारा है, जो रक्त वाहिकाओं की दीवारों की आंतरिक मांसपेशियों के कमजोर पड़ने के कारण मस्तिष्क में धमनियों का उभार या फैलाव है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है, जो जानवरों में स्थानांतरण और परीक्षण के बाद मानव परीक्षण के लिए भी तैयार है।
एन्यूरिज्म के सहज टूटने से मस्तिष्क के चारों ओर रक्तस्राव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप होने वाली स्थिति को सबराचोनोइड हेमोरेज कहा जाता है। सबराचोनोइड रक्तस्राव से पक्षाघात, कोमा या मृत्यु हो सकती है। एन्यूरिज्म के सर्जिकल उपचार में खोपड़ी को खोलकर एन्यूरिज्म की गर्दन पर एक क्लिप लगाई जाती है, ताकि रक्त प्रवाह के मार्ग को कट किया जा सके। मस्तिष्क के धमनी विस्तार के अल्पतम आक्रामक एंडोवसक्यूलर तीन गैर-सर्जिकल इलाज हैं। दो प्रक्रियाओं में न्यूरिस्मल सेसिस प्लेटिनम क्वॉयल से भरा होता है अथवा गाढ़ापन लिए हुए उच्च तरल पॉलिमर का इस्तेमाल करते हुए इसे भरा जाता है, जो इसे ठोस बनाकर थैली को सील कर देता है। इन सभी तकनीकों की कुछ सीमाएं हैं। एक अधिक आकर्षित तीसरा कम आक्रामक विकल्प फ्लो डायवर्टर स्टैंट लगाना है, ताकि धमनी विस्तार वाले क्षेत्र से रक्त धमनी बाहर-बाहर से निकल सके। फ्लो डायवर्टर धमनी के अनुसार लचीला और स्वीकार करने योग्य हो सकता है, साथ ही फ्लो डायवर्टर रक्त के प्रवाह पर लगातार जोर न देकर धमनी की दीवार को ठीक करता है।
चित्र फ्लो डायवर्टर को जटिल आकार की रक्त वाहिनियों की दीवार पर बेहतर पकड़ के लिए तैयार किया गया है, ताकि उपकरण के हटने का खतरा कम हो सके। इसका अनोखा डिजाइन इस स्टैंट को विकुंचन और तोड़ने से रोकता है, जब इसे टेढ़ी-मेढ़ी और जटिल आकार वाली रक्त वाहिनियों मे रखा जाता है, यहां तककि 180 डिग्री झुकने से भी स्टैंट की पुटी बंद नहीं होती, तारों के हिस्से को एक्सरे में बेहतर तरीके से दिखाई देने के लिए रेडियो अपारदर्शक बनाया गया है। सुपर इलास्टिक धातु नीटिनॉल को नेशनल एयरो स्पेस लेबोरेट्रिज बेंगलुरू से प्राप्त किया गया है। जब इस उपकरण को जगह पर तैनात किया गया, इसे उसके सिकोड़ी गई बंद स्थिति से छोड़ा गया। आयातित फ्लो डायवर्टर स्टैंट का मूल्य 7-8 लाख रुपये है और इसका निर्माण भारत में नहीं किया जाता। एससीटीआईएमएसटी और एनएएल की नीटिनॉल से स्वदेशी टेक्नोलॉजी उपलब्ध होने के साथ ही एक सुस्थापित उद्योग काफी कम दाम में इसका निर्माण करने और बेचने में सक्षम होगा।
उम्मीद की जाती है कि इस उपकरण को जल्दी ही उद्योग को सौंपा जाएगा और इसका व्यावसायिकरण करने से पहले पशुओं और मनुष्यों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। एससीटीआईएमएसटी ने स्टैंट और आपूर्ति प्रणाली के लिए अलग-अलग पेटेंट दायर किए हैं। डॉ सुजेश श्रीधरन के नेतृत्व में टीम में मुरलीधरन सीवी, रमेश बाबू बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी विंग एससीटीआईएमटीएस, डॉ जयदेवन ईआर, डॉ संतोष कुमार के इमेजिंग साइंसेज एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग, अस्पताल विंग एससीटीआईएमएसटी, राजीव ए, सुभाष कुमार, एमएस, अंकु श्रीकुमार, एनजे झाना, श्रीहरि यू और जीवी लीजी शामिल थे।