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रक्‍तस्राव रोकेगा स्‍टार्च आधारित 'हेमोस्‍टैट'

डॉ दीपा घोष की टीम ने विकसित किया है 'हेमोस्‍टैट'

नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में हुआ शोध

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 17 March 2020 05:52:21 PM

starch based 'haemostat' will stop the bleeding

नई दिल्ली। गंभीर चोट के बाद जीवन के लिए घातक रक्‍तस्राव को रोका जा सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्‍वायत्त संस्‍था नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने स्‍टार्च आधारित ‘हेमोस्‍टैट’ तैयार किया है, जो अतिरिक्‍त द्रव्‍य को अवशोषित करते हुए खून में थक्‍के बनाने वाले प्राकृतिक कारकों को गाढ़ा बनाता है। घाव पर एक साथ मिलकर जेल बनाने वाले प्राकृतिक रूपसे सड़नशील ये सूक्ष्‍म ‘हेमोस्‍टैट’ मौजूदा विकल्‍पों से अधिक बेहतर काम कर सकता है। इसके प्रारंभिक चरण के विकास को ‘मटेरियालिया’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस पर काम करने वाली डॉ दीपा घोष और उनके सहकर्मियों ने उम्‍मीद जताई है कि वे एक बहुमुखी, संभवत: जीवन रक्षक और सस्‍ता उत्‍पाद विकसित कर सकेंगे जो दुनियाभर की कम आय वाली अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए एक अधिक यथार्थवादी समाधान होगा।
हेमोस्‍टैट उत्‍पाद ने अवशोषण क्षमता बढ़ाई है और यह प्राकृतिक रूपसे सड़नशील होने के साथ-साथ जैविक रूपसे अनुकूल भी है। हेमोस्‍टैट खून में थक्‍के बनाने वाले प्राकृतिक कारणों को गाढ़ा करते हुए अतिरिक्‍त द्रव्‍य को अवशोषित करता है जो रक्‍तस्राव को रोकने के लिए जरूरी है, हालांकि प्राकृतिक रूपसे नहीं सड़ने वाले पदार्थों को हटाने के बाद रक्‍तस्राव फिर शुरू हो सकता है। डॉ दीपा घोष की टीम ने सूक्ष्‍म सामग्री (माइक्रोपार्टिकल) बनाने के लिए रासायनिक रूपसे प्राकृतिक स्‍टार्च को संशोधित करते हुए द्रव्‍य अवशोषण की क्षमता को पांच से दस गुना बढ़ाने और बेहतर चिपकाव के लिए जैविक रूपसे अनुकूलता और जैव रूपसे सड़नशीलता के गुणों का फायदा उठाया। सूक्ष्‍म सामग्री जब आपस में मिलते हैं तो वे एक जेल बनाते हैं जो घाव पर उसके ठीक होने तक बना रह सकता है।
सूक्ष्‍म सामग्री के निर्माण में स्‍टार्च पर कुछ रासायनिक हाइड्रॉक्सिल समूहों को संशोधित कर कार्बोक्सिमिथाइल समूह बनाया जाता है और फिर इसमें कैल्शियम आयन मिलाये जाते हैं, जिससे लाल रक्‍त कणिकाएं और प्‍लेटलेट्स एक जगह जमा होते हैं, इनकी सक्रियता से फाइब्रिन प्रोटीन नेटवर्क बनता है जो खून का एक स्‍थायी थक्‍का बना देता है। इस संशोधन से पानी के साथ अणुओं के मेल-जोल की क्षमता बढ़ती है। यह रक्त से तरल पदार्थ को अवशोषित करने की इसकी प्रभावशाली क्षमता का आधार है और इस तरह थक्का बनाने के कारकों पर केंद्रित करता है। प्रयोगशाला परीक्षणों में खून के संपर्क में आने के 30 सेकंड के बाद उत्‍पाद की सूक्ष्‍म सामग्री में सूजन आ जाती है, जिससे जोड़ने वाला चिपकाऊ जैल बनता है। इसे 'कैल्शियम युक्‍त कार्बोक्सिमिथाइल-स्टार्च' के रूप में भी जाना जाता है। डॉ दीपा घोष ने बताया कि अभी उपलब्ध स्‍टार्च आधारित प्राकृतिक रूपसे सड़नशील विकल्प अपेक्षाकृत धीमीगति से द्रव अवशोषण एवं घायल ऊतकों के साथ कम चिपकाऊ होने के कारण सीमित उपयोगिता वाले हैं। इसके अलावा मौजूदा उपलब्‍ध विकल्‍पों के साथ जैविक रूपसे कम अनुकूलता बड़ी समस्‍या है।
डॉ दीपा घोष ने बताया है कि वर्तमान में ऐसा कोई हेमोस्‍टैटिक एजेंट मौजूद नहीं है, जो सभी स्थितियों में काम कर सकें। उन्‍होंने कहा कि वर्तमान में हेमोस्‍टैटिक सामग्री महंगी है और ज्‍यादातर विकसित देशों में उपलब्‍ध है। उन्होंने बताया कि वास्‍तविक घावों वाले जानवरों पर एक अध्‍ययन में यह पाया गया कि मध्‍यम से तेज रक्‍तस्राव एक मिनट से कम समय में रूक गया, इसी प्रकार जानवरों पर अध्‍ययन में इस बात का पता लगा कि यह सामग्री विषैली नहीं है और इसके प्राकृतिक रूपसे सड़नशील होने की भी पुष्टि हुई है। डॉ घोष ने कहा कि ये उत्‍साहजनक परिणाम बताते हैं कि हमारी संशोधित स्‍टार्च सूक्ष्‍म सामग्री (माइक्रोपार्टिकल) नैदानिक अनुप्रयोगों में नई खोजों को बढ़ावा देगी।

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