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विद्युत अधिनियम-2003 में संशोधन की तैयारी

विद्युत मंत्रालय ने संशोधन हेतु मसौदा प्रस्ताव जारी किया

किफायती दरों पर बेहतर बिजली की आपूर्ति आवश्यक है

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 19 April 2020 06:28:33 PM

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नई दिल्ली। विद्युत क्षेत्र के विकास के लिए विद्युत मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक-2020 के मसौदे के रूपमें विद्युत अधिनियम-2003 में संशोधन के लिए मसौदा प्रस्ताव जारी किया है। विद्युत मंत्रालय ने कहा है कि देश के टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए किफायती दरों पर बेहतर बिजली की आपूर्ति आवश्यक है। हितधारकों से इसपर 21 दिन के भीतर टिप्पणियां, आपत्तियां एवं सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। विद्युत अधिनियम में प्रस्तावित बड़े संशोधन हैं। विद्युत वितरण कंपनियों की वैधता के तहत कुछ आयोगों की नियामकीय संपदाएं उपलब्ध कराने की प्रवृत्ति को दूर करने के लिए प्रावधान है कि आयोग खुद इस प्रकार टैरिफ तय करेंगे, जिनसे लागत का पता चलता है, जिससे डिस्कॉम्स अपनी लागत की वसूली करने में सक्षम हो जाएं।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के प्रस्ताव के तहत आयोग सब्सिडी को शामिल किए बिना टैरिफ तय करे। सब्सिडी सरकार सीधे ग्राहकों को उपलब्ध कराएगी। उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक केंद्रीय प्रवर्तन प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके पास उत्पादक, वितरण या पारेषण कंपनियों के बीच बिजली की खरीद या बिक्री या पारेषण से संबंधित अनुबंधों को लागू कराने के लिए दीवानी अदालत के अधिकार होंगे। अनुबंधों के तहत बिजली की आपूर्ति की शिड्यूलिंग से पहले पर्याप्त भुगतान सुरक्षा तंत्र की निगरानी के लिए लोड डिसपैच केंद्रों को सशक्त बनाने का प्रस्ताव किया गया है। चेयरपर्सन के अलावा एपीटीईएल की क्षमता को बढ़ाकर सात करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे मामलों के त्वरित निस्तारण को आसान बनाने के लिए कई पीठ की स्थापना की जा सके।
आयोग के फैसलों को लागू करने के लिए एपीटीईएल को और सशक्त बनाने, केंद्रीय व राज्य आयोगों के चेयरपर्सन और सदस्यों के चयन के लिए एक चयन समिति का प्रस्ताव, साथ ही केंद्रीय और राज्य विद्युत विनियामक आयोगों के चेयरपर्सन और सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक समान पात्रताओं का, विद्युत अधिनियम के प्रावधानों और आयोग के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के क्रम में ज्यादा जुर्माने की व्यवस्था के लिए विद्युत अधिनियम की धारा 142 और 146 में संशोधन का, ऊर्जा के अक्षय स्रोतों से बिजली के उत्पादन के विकास और प्रोत्साहन के लिए एक नीति दस्तावेज उपलब्ध कराने का, आयोगों द्वारा ऊर्जा के पनबिजली स्रोतों से बनी बिजली की न्यूनतम प्रतिशत खरीद का उल्लेख करने का, अक्षय या ऊर्जा के पनबिजली स्रोतों से बनी बिजली खरीदने की बाध्यता पूरी नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव किया जा रहा है।
विद्युत मंत्रालय ने दूसरे देशों के साथ बिजली में व्यापार को आसान बनाने और विकसित करने के प्रावधान किए हैं। कई राज्य वितरण कंपनियों को एक खास क्षेत्र में विद्युत वितरण का काम फ्रेंचाइजी/ उप-वितरण लाइसेंसियों को दिया गया है। चूंकि इसके संबंध में कानूनी प्रावधानों पर स्पष्टता की कमी थी, इसलिए वितरण कंपनियों के लिए यह प्रस्ताव किया गया है कि यदि वे चाहें तो उनकी तरफ से किसी खास क्षेत्र में आपूर्ति के लिए फ्रेंचाइजी या उप वितरण लाइसेंसियों को जोड़ सकती हैं। हालांकि यह डिस्कॉम के ऊपर होगा कि वे किसे लाइसेंसी चुनती हैं, इसलिए वे ही उस आपूर्ति क्षेत्र में बिजली का गुणवत्तापूर्ण वितरण सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण रूपसे जिम्मेदार होंगी।

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