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Monday 27 April 2020 12:20:46 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात 2.0’ की 11वीं कड़ी में कहा है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई सही मायने में जनता लड़ रही है और जनता के साथ मिलकर सरकार एवं प्रशासन इस महामारी से लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश का हर नागरिक इस लड़ाई में सिपाही है और वे लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने लोगों के इस संकल्प की सराहना की कि हर जगह पर लोग एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जरूरतमंदों के लिए भोजन की व्यवस्था करने से लेकर राशन की आपूर्ति एवं लॉकडाउन का पालन करने तक और अस्पतालों में समुचित व्यवस्था करने से लेकर देश में ही चिकित्सा उपकरण बनाने तक के मामले में पूरा देश एकसाथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अति-आत्मविश्वास के जाल में न फसें और यह विचार न पालें कि यदि कोरोना अभी तक उनके शहर, गांव, गली या दफ्तर में नहीं पहुंचा है तो वह अब पहुंचने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि दो गज दूरी, बहुत है जरूरी हमारा मंत्र होना चाहिए और लोगों को खुद को स्वस्थ रखना चाहिए, अति-उत्साह में स्थानीय स्तर पर या कहीं पर भी कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कई सकारात्मक बदलाव व्यवस्थित रूपसे लोगों की कार्य संस्कृति, जीवन शैली और दैनिक आदतों में अपना रास्ता बना रहे हैं, जो असर चारों ओर सबसे अधिक नज़र आ रहा है, वह है मास्क पहनना और चेहरे को ढंककर रखना। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से बदले हुए हालत में मास्क भी हमारे जीवन का हिस्सा बन रहा है। उन्होंने कहा कि मास्क अब सभ्य समाज का प्रतीक बन जाएगा, यदि लोग स्वयं को और दूसरों को बीमारी से बचाना चाहते हैं, तो उन्हें मास्क लगाना होगा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि लोग चेहरे को ढंकने के लिए गमछा या हल्का तौलिया उपयोग में लाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज में एक और बड़ी जागरुकता यह आई है कि अब सभी लोग यह समझ रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के क्या नुकसान हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यहां-वहां, कहीं पर भी थूक देना, गलत आदतों का हिस्सा बना हुआ था, यह स्वच्छता और स्वास्थ्य दोनों ही के लिए एक गंभीर चुनौती है। उन्होंने लोगों से कहीं भी थूकने की आदत छोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि इससे न केवल बुनियादी स्वच्छता का स्तर बढ़ेगा, बल्कि कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने में भी मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संकट के दौरान देशवासियों ने जो संकल्प दर्शाया है, उससे भारत में एक नए बदलाव की शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि देश में व्यवसाय, कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान और चिकित्सा सेक्टर अपने कामकाज में तेजी से नए तकनीकी बदलावों की ओर अग्रसर हैं, प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर देश में हर अन्वेषक उभरती परिस्थितियों के अनुसार कुछ न कुछ नया लेकर आ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र, राज्य सरकारें, प्रत्येक विभाग और संस्थान पूरी गति से राहत प्रदान करने के लिए आपसी सहयोग से काम कर रहे हैं, विमानन क्षेत्र में काम करने वाले लोग और रेलवे के कर्मचारी देशवासियों की मुश्किलें दूर करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैसे एक विशेष अभियान ‘लाइफलाइन उड़ान’ ने कम-से-कम समय में देश के हर कोने में दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की है, लाइफलाइन उड़ान ने तीन लाख किलोमीटर की हवाई उड़ान भरी है और 500 टन से भी अधिक चिकित्सा सामग्री देश के कोने-कोने में लोगों तक पहुंचाई है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि लॉकडाउन के दौरान रेलवे कैसे निरंतर काम कर रही है, ताकि पूरे देश में आम आदमी को आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना न करना पड़े। भारतीय रेलवे लगभग 60 मार्गों पर 100 से भी अधिक पार्सल ट्रेनें चला रही है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि डाक विभाग के कर्मचारी चिकित्सा आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी सही मायने में कोरोना योद्धा हैं। जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करने की सरकारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के एक हिस्से के रूप में पैसा सीधे गरीबों के खातों में हस्तांतरित किया जा रहा है। गरीबों को तीन माह तक मुफ्त गैस सिलेंडर और राशन जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों और बैंकिंग सेक्टर के कर्मियों के एक टीम के रूप में काम करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकारों की जिम्मेदारियां विशेष अहमियत रखती हैं। प्रधानमंत्री ने देश भर के चिकित्सा सेवा कर्मियों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर, नर्स, पैरा-मेडिकल स्टाफ, सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मी और इस तरह के सभी कर्मी ‘कोरोना मुक्त भारत’ सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत है और हाल ही में जारी किया गया अध्यादेश इस दिशा में एक ठोस कदम है। अध्यादेश में कोरोना योद्धाओं को परेशान करने या चोट पहुंचाने अथवा उनके खिलाफ हिंसा करने वालों को कड़ी सजा देने का प्रावधान है।
घर-घर जाकर काम करने वाले, सामान्य कामगार, पड़ोस की दुकानों में काम करने वाले, आवश्यक सेवाएं मुहैया कराने वाले कामगार, बाजार में काम करने वाले मजदूरों, आस-पड़ोस के ऑटो रिक्शा चालकों का उदाहरण देते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज लोगों को एहसास हो रहा है कि इनके बिना उनका जीवन कितना मुश्किल हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोग न केवल इन सहयोगियों को याद कर रहे हैं और उनकी जरूरतों को पूरा करने में उनकी मदद कर रहे हैं, बल्कि सोशल मीडिया में भी उनके बारे में बहुत सम्मान के साथ लिख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉक्टर, सफाई कर्मचारी और इसी तरह के अन्य सेवा कर्मी, और यहां तक कि पुलिस-व्यवस्था को लेकर भी आम लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि आज पुलिसकर्मी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि भोजन एवं दवाइयां गरीबों और जरूरतमंदों तक पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक ऐसा अवसर है जिसमें आम लोग भावनात्मक स्तर पर पुलिस से जुड़ रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म covidwarriors.gov.in तैयार किया है और सामाजिक संगठनों के स्वयंसेवक, सिविल सोसायटी एवं स्थानीय प्रशासन के प्रतिनिधियों को इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जोड़ दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि छोटी सी अवधि में ही 1.25 करोड़ लोग इस पोर्टल का हिस्सा बन गए हैं, जिनमें डॉक्टर, नर्स, आशा-एएनएम कार्यकर्ता, एनसीसी एवं एनएसएस कैडेट और विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेशनल शामिल हैं। ये कोविड योद्धा संकट प्रबंधन योजनाओं को तैयार करने और उन्हें लागू करने में स्थानीय स्तर पर काफी मदद करते हैं। उन्होंने लोगों से कोविड योद्धा बनने और देश की सेवा करने के लिए covidwarriors.gov.in से जुड़ने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संकट के दौरान भारत ने अपनी मानवीय जिम्मेदारी के अनुरूप दुनियाभर के जरूरतमंदों को चिकित्सीय सामग्री की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के लोग भारत के आयुर्वेद एवं योग के महत्व और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में इनकी भूमिका पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य रहा है कि हम सदैव अपनी ताकत और गौरवशाली परंपराओं को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। उन्होंने वैज्ञानिक भाषा में हमारे देश के पारंपरिक सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करने के लिए युवा पीढ़ी द्वारा साक्ष्य आधारित शोध करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दुनिया ने योग को सहर्ष स्वीकार किया है, ठीक उसी तरह से दुनिया हजारों वर्ष पुराने हमारे आयुर्वेदिक सिद्धांतों को भी अवश्य स्वीकार करेगी।
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से पर्यावरण, वन, नदियों और संपूर्ण परिवेश के संरक्षण के बारे में विचार करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम ‘अक्षय संसाधनों’ को बरकरार रखना चाहते हैं तो हमें पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी धरती सदैव अक्षय रहे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि अक्षय-तृतीया का त्योहार संकट के दौरान दान की शक्ति का एहसास कराने का अवसर भी प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि यह दिन इसके साथ ही प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन है और यह भगवान बसवेश्वर की जयंती भी है। उन्होंने कहा कि रमज़ान का पवित्र महीना शुरू हो गया है और लोगों को पहले से ज्यादा इबादत करनी चाहिए, ताकि ईद आने से पहले ही दुनिया कोरोना से मुक्त हो जाए और लोग उमंग एवं उत्साह के साथ ईद मना सकें। नरेंद्र मोदी ने लोगों से रमज़ान के दौरान स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया, क्योंकि सड़कों, बाजारों और मुहल्लों या कॉलोनियों में सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने उन सभी सामुदायिक नेताओं का आभार व्यक्त किया जो ‘दो गज की दूरी’ बनाए रखने और घरों से बाहर नहीं निकलने के बारे में लोगों को जागरुक कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना ने भारत सहित पूरी दुनिया में त्योहारों को मनाने का स्वरूप ही बदल दिया है और इसके साथ ही इन्हें मनाने के तरीकों को भी बदल दिया है।