स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 28 April 2020 12:09:30 PM
नई दिल्ली। कोविड-19 से लड़ने के सबसे महत्वपूर्ण हथियारों में से एक चीन से आईं टेस्टिंग किटों के गुणवत्ता जांच में विफल होने, उनके निष्पादन के वैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर दूसरे निर्माण के संबंध में उन्हें कम प्रभावकारी पाते हुए वोंडफो के विवादास्पद आर्डर को रद्द कर दिया गया है। आईसीएमआर ने इन आपूर्तियों के संबंध में अभी तक कोई भी भुगतान नहीं किया है और नियत प्रक्रिया का पालन करने के कारण 100 प्रतिशत अग्रिम भुगतान राशि के साथ खरीद न करने से भारत सरकार को एक भी रुपये का नुकसान नहीं हुआ है।
ज्ञातव्य है कि कोविड-19 टेस्ट किटों की खरीद और राज्यों को उनकी आपूर्ति की आवश्यकता होती है। यह खरीद तब की जा रही है, जब वैश्विक रूपसे इन टेस्ट किटों की भारी मांग है और विभिन्न देश इन्हें खरीदने के लिए अपनी पूरी मौद्रिक और राजनयिक ताकत का उपयोग कर रहे हैं। इन किटों को खरीदने की आईसीएमआर की पहली कोशिश पर आपूर्तिकर्ताओं से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई थी। दूसरे प्रयास में पर्याप्त प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। इन प्रतिक्रियाओं में संवेदनशीलता और विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए 2 कंपनियों बायोमेडेमिक्स एवं वोंडफो के किटों की खरीद के लिए पहचान की गई। दोनों के पास अपेक्षित अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन भी थे। वोंडफो के लिए भारत की मूल्यांकन समिति को 4 बोलियां प्राप्त हुईं जो 1,204 रुपये, 1,200 रुपये, 844 रुपये और 600 रुपये की थी। इसी के अनुरूप 600 रुपये की बोली पेशकश पर एल-1 के रूपमें विचार किया गया।
आईसीएमआर ने सीजीआई के जरिये सीधे चीन की वोंडफो कंपनी से भी किटों की खरीद की कोशिश की थी, तथापि प्रत्यक्ष खरीद से प्राप्त कोटेशन के कई मुद्दे थे जैसेकि कोटेशन लॉजिस्टिक्स मुद्दों पर बिना किसी प्रतिबद्धता के फ्री आन बोर्ड था। कोटेशन बिना किसी गारंटी के 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष अग्रिम आधार पर था। समय-सीमा को लेकर भी कोई गारंटी नहीं थी। दरों को अमेरिकी डॉलर में संप्रेषित किया गया था, जिसमें मूल्यों में उतार-चढ़ाव के अंकेक्षण के लिए कोई खंड नहीं था, इसलिए टेस्टिंग किटों के लिए भारत के लिए वोंडफो के विशिष्ट डिस्ट्रिब्यूटर का चयन किया गया, जिसने अग्रिम के बिना किसी खंड के एफओबी के लिए एक सर्व समावेशी कीमत को उद्धृत किया।
यह ऐसी किटों की खरीद के लिए किसी भारतीय एजेंसी का अब तक ऐसा पहला प्रयास था और बोलीकर्ताओं की दर ही एकमात्र संदर्भ बिंदु थी। कुछ आपूर्तियों की प्राप्ति के बाद आईसीएमआर ने एकबार फिर प्रक्षेत्र स्थितियों में इन किटों पर गुणवत्ता जांच संचालित की है। उनके निष्पादन के वैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर दूसरे निर्माण के संबंध में उन्हें कम प्रभावकारी पाते हुए विवादास्पद आर्डर रद्द कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि इसमें इस बात पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है कि आईसीएमआर ने इन आपूर्तियों के संबंध में अभी तक कोई भी भुगतान नहीं किया है। नियत प्रक्रिया का पालन करने के कारण भारत सरकार को एक भी रुपये का नुकसान नहीं हुआ है।