स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 1 May 2020 02:18:35 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने प्रसिद्ध चित्रकार और कलाकार राजा रवि वर्मा को उनकी 172वीं जयंती पर एक वर्चुअल टूर के माध्यम से श्रद्धांजलि दी है। नई दिल्ली के एनजीएमए के संरक्षित संग्रह में उनकी कलाकृतियों के संपूर्ण संग्रह का प्रदर्शन किया गया है। राजा रवि वर्मा का जन्म केरल के एक कुलीन परिवार में हुआ था। वे काफी हद तक यूरोपीय शैली के एक स्वप्रशिक्षित चित्रकार थे, लेकिन यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि वे तैल चित्रण में वरदहस्त थे और उन्होंने यूरोपीय प्रकृतिवाद की शैली के साथ एक बेजोड़ सामंजस्य स्थापित भी किया हुआ था।
चित्रकार राजा रवि वर्मा भारतीय चित्रकला परंपरा और उभरते यूरोपीय अकादमिक प्रकृतिवाद के कलादीर्घा चित्रकारों के बीच एक परिवर्तनकालिक अवस्था के चित्रकार थे, किंतु उन्होंने दोनों परंपराओं के सौंदर्य सिद्धांतों को अपनी शैली में समाहित किया था। उन्होंने भारतीय कल्पनाओं को चित्र के माध्यम से साकार रूप देते हुए हिंदू पौराणिक गाथाओं को चित्रित किया, जो उनके समय के समाज को प्रतिबिंबित करती हैं। कला इतिहासकारों के अनुसार राजा रवि वर्मा के अद्भुद ऐतिहासिक चित्रों ने दादासाहेब फाल्के और बाबूराव पेंटर जैसे भारतीय सिनेमा के पथ प्रदर्शकों को भी प्रभावित किया। राजा रवि वर्मा ने एक चित्रकार के रूपमें ऐतिहासिक चित्रकला, महिलाओं पर चित्रकारी के साथ-साथ अन्य कई शैलियों को अपनाते हुए उत्कृष्ट चित्रकारी का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी चित्रकारी को एक नया आयाम देने के लिए व्यापक रूपसे भारत की यात्रा की।
राजा रवि वर्मा ने जर्मन तकनीक के साथ एक प्रेस की भी स्थापना की थी, ताकि व्यापक स्तरपर मांग को पूरा करने के लिए सस्ते ऑलोग्राफ बनाए जा सकें। उनकी चित्रकारी इतनी सुसंगत थी कि यह आज भी लोकप्रिय दृश्य संस्कृति पर अपनी गहरी छाप छोड़ती है। उनके यथार्थवादी और धार्मिक एवं पौराणिक आकृतियों के सजीव चित्रण ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजा रवि वर्मा की प्रतिकृतियों ने चित्रकला को उत्कृष्टता की श्रेणी पर पहुंचाया, सही मायने में वह चित्रकार होने के साथ-साथ अपनी समय-सीमा से परे एक दूरदर्शी कवि और विद्वान भी थे। उनकी चित्रकला संग्रह को http://www.ngmaindia.gov.in/virtual-tour-of-raja-ravi-varma.asp लिंक पर देखा जा सकता है।