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Saturday 2 May 2020 03:59:11 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने महान पुरातत्ववेत्ता प्रोफेसर बीबी लाल के शताब्दी वर्ष पर आज नई दिल्ली में ई-बुक 'प्रोफेसर बीबी लाल-इंडिया रिडिस्कवर्ड' का विमोचन किया। संस्कृति राज्यमंत्री ने कहा कि यह पुस्तक एक शताब्दी विशेष संस्करण है, जिसे संस्कृति मंत्रालय की प्रोफेसर बीबी लाल शताब्दी समारोह समिति ने तैयार किया है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक संस्कृति मंत्रालय की पुरातत्व के क्षेत्र में प्रोफेसर बीबी लाल के बेशुमार योगदान को संस्कृति मंत्रालय की ओर से सम्मान है। प्रह्लाद सिंह पटेल ने आज व्यक्तिगत रूपसे प्रोफेसर बीबी लाल से मुलाकात करके उन्हें उनके जन्मदिन पर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
संस्कृति राज्यमंत्री ने कहा कि प्रोफेसर बीबी लाल एक जीवित किवदंती हैं और भारत उनके जैसे व्यक्तित्व को पाकर भाग्यशाली है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर बीबी लाल पुरातत्व विज्ञान के वह बहुमूल्य रत्न हैं, जिन्होंने औपनिवेशिक अतीत के नीचे गड़े सभ्यतागत भारत की फिरसे खोज की। उन्होंने कहा कि यह बेहद प्रसन्नता की बात है कि संस्कृति मंत्रालय इस महान पुरातत्ववेत्ता के जन्म का शताब्दी वर्ष मना रहा है, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मातृभूमि की सेवा में समर्पित कर दिया। प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि प्रोफेसर बीबी लाल न केवल पुरातत्ववेत्ताओं के लिए, बल्कि भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए प्रेरणा के शाश्वत स्रोत हैं। गौरतलब है कि प्रोफेसर बीबी लाल का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में बैडोरा गांव में 2 मई 1921 को हुआ था। उनको वर्ष 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। वह 1968 से 1972 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक रहे और उन्होंने भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान शिमला के निदेशक के रूपमें भी सेवा की है।
प्रोफेसर बीबी लाल ने यूनेस्को की विभिन्न समितियों में भी काम किया है। पांच दशक तक अपने कैरियर में प्रोफेसर बीबी लाल ने पुरातत्व विज्ञान के क्षेत्र में बेशुमार योगदान दिया है। उनको 1944 में तक्षशिला में सर मोर्टिमर व्हीलर ने प्रशिक्षित किया था और बाद में वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में नियुक्त हुए। उन्होंने उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर, ओडिशा में शिशुपालगढ़, दिल्ली में पुराना किला, राजस्थान में कालिबंगन सहित कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई की है। वर्ष 1975-76 के बाद से उन्होंने रामायण के पुरातात्विक स्थलों के तहत अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, श्रंगवेरपुरा, नंदीग्राम एवं चित्रकूट जैसे स्थलों की भी जांच की। प्रोफेसर बीबी लाल ने 20 पुस्तकें और विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जर्नलों में 150 से अधिक शोध लेख भी लिखे हैं।