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Monday 4 May 2020 12:07:19 PM
नई दिल्ली। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने विशेष रूपसे कोविड-19 से पैदा हुई परिस्थितियों और लघु वन उत्पाद इकट्ठा करने का पीक सीजन आने के मद्देनज़र सभी राज्यों को आदिवासियों से एमएफपी खरीद परिचालन में तेजी लाने का परामर्श दिया है। राज्यों ने लघु वन उत्पादों की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है और 10 राज्यों में परिचालन शुरू भी हो गया है। वित्तवर्ष 2020-21 के लिए अभी तक कुल 20.30 करोड़ रुपये की खरीद भी हो चुकी है। कोविड-19 महामारी के कारण मुश्किल हालात को देखते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय के 1 मई 2020 को 49 उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन की घोषणा के बाद अब एमएफपी के लिए पूर्ण खरीद परिचालन में तेजी देखने को मिलेगी। लघु वन उत्पाद की खरीद की राज्य स्तरीय गतिविधियों की सूचना दिए जाने को एक ऑनलाइन निगरानी डैशबोर्ड तैयार किया गया है।
प्रत्येक पंचायत और वन धन केंद्र से या तो मेल से या मोबाइल के माध्यम से सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए ट्राइफेड ई-सम्पर्क सेतु के तहत एक वन धन मॉनिट डैशबोर्ड तैयार किया गया है। ट्राइफेड ने इसे 10 लाख गांवों, जिलों और राज्यस्तर के भागीदारों, एजेंसियों तथा एसएचजी को जोड़ने का प्रस्ताव किया है। राज्य कार्यांवयन एजेंसियों ने डैशबोर्डों को अपडेट करने का काम आरंभ कर दिया है, उनके राज्यों में यह कार्य प्रगति पर है। राज्यों ने हाट बाजारों से एमएफपी की खरीद के लिए वन धन केंद्रों को उनका प्राथमिक खरीद एजेंट नियुक्त किया है। वन धन केंद्रों ने 1.11 करोड़ रुपये मूल्य के 31.35 टन एमएफपी की खरीद की है। प्रधानमंत्री वन धन कार्यक्रम के अंतर्गत 3.6 करोड़ जनजातीय लाभार्थियों को उद्यम की राह पर ले जाने के लिए 21 राज्यों और 1 संघ शासित क्षेत्र में 1126 वीडीवीके को स्वीकृति दी गई है। वन धन केंद्र योजना देश के पर्याप्त जनजातीय जनसंख्या वाले 22 राज्यों में लागू है और इससे देश में लगभग 1.1 करोड़ जनजातीय परिवारों को लाभ मिलने की संभावना है।
जनजातीय उत्पादों के विकास और विपणन के लिए संस्थागत सहयोग योजना में न्यूनतम समर्थन मूल्य घटक और मूल्यवर्धन घटक की सुविधा है। इसका उद्देश्य आदिवासी संग्राहकों की आय बढ़ाना और उनमें उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना है। आदिवासी संग्राहकों के लिए उच्च पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 01 मई 2020 को एमएफपी के लिए एमएसपी की संशोधित मूल्य सूची जारी की है। कोविड-19 के इस मुश्किल दौर में आदिवासी संग्राहकों को लाभ पहुंचाने के लिए एमएफपी मूल्य निर्धारण इकाई और बड़े एमएफपी संपन्न राज्यों से विचार विमर्श के बाद ऐसा किया गया था। कोविड-19 से उनकी आजीविका पर खासा असर पड़ा है। संशोधित मूल्यों से आदिवासी संग्राहकों को बहुप्रतीक्षित समर्थन मिलेगा और राज्यों में एमएफपी खरीद कार्य को प्रोत्साहन मिलेगा। मूल्य में सबसे ज्यादा बदलाव गिलॉय, महुआ के फूलों, हिल ग्रास और लाक (रंगीनी और कुसुमी) में किया गया है, जबकि साल के बीज, बहेदा और हरड़ में कोई बदलाव नहीं किया गया है।