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Monday 4 May 2020 02:58:15 PM
नई दिल्ली। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बांस बहुत महत्वपूर्ण है यह इसका एक हब है और यह कोविड के पश्चात भारत को अपने बांस संसाधनों की सहायता से आर्थिक शक्ति के रूपमें उभरने का अवसर प्रदान करेगा। वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्यम से बांस कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर में भारत का 60 प्रतिशत बांस भंडार है और इसमें यह बात बेहद महत्वपूर्ण है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले छह वर्ष में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और इसमें बांस क्षेत्र के विकास को वह प्रोत्साहन दिया गया है, जो उसे आजादी के बाद से कभी नहीं मिला था। कॉन्क्लेव में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के प्रतिनिधियों और विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों ने भाग लिया।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने 100 साल पुराने भारतीय वन अधिनियम में मोदी सरकार के 2017 में लाए गए संशोधन का उल्लेख किया, जिसके परिणामस्वरूप बांस के माध्यम से आजीविका अवसरों को बढ़ाने के लिए घर में उगने वाले बांस को इसमें से छूट दी गई है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने जिस संवेदनशीलता के साथ बांस के प्रचार के महत्व पर विचार किया है, वह इस तथ्य से स्पष्ट हो जाता है कि लॉकडाउन के दौरान गृह मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों में सीमित गतिविधियों की अनुमति देते हुए बांस से संबंधित रोपण, प्रोसेस आदि जैसी गतिविधियों को भी अनुमति दी हुई है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एक विडंबना है कि भारत में प्रतिवर्ष कुल 2,30,000 टन अगरबत्ती की आवश्यकता होती है और इसका बाज़ार मूल्य 5000 करोड़ रुपये तक है, इसके बावजूद हम काफी बड़ी मात्रा में इसका चीन और वियतनाम जैसे देशों से आयात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड पश्चात के युग में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए यह एक अवसर है कि वह भारत को विश्व में प्रतिस्पर्धी और बदले हुए परिदृश्य में आत्मनिर्भर बनने में मदद करे।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि निकट भविष्य में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय बांस विनिर्माण और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए समयबद्ध योजना बनाएगा और इस क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी की व्यवहार्यता पर भी काम करेगा। उन्होंने कहा कि बांस को जैव-डीजल और हरित ईंधन, इमारती लकड़ी और प्लाईवुड जैसे कई उत्पादों में संसाधित किया जा सकता है, जो अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर बदल सकते हैं और विविध क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों का सृजन कर सकते हैं। कॉंक्लेव में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में विशेष सचिव इंदीवर पांडेय, केंद्रीय कृषि मंत्रालय में अपर सचिव अलका भार्गव, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव रामवीर सिंह, शैलेंद्र चौधरी एमडी सीबीटीसी और नॉर्थ ईस्ट हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और राष्ट्रीय बांस मिशन के सदस्य एवं और पूर्व मंत्री अन्ना साहब एमके पाटिल शामिल थे। कॉन्क्लेव का संचालन इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी के महानिदेशक संजय गंजू ने किया था।