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Tuesday 5 May 2020 06:54:34 PM
भोपाल। पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री डॉ विष्णु हरिभाऊ श्रीधर वाकणकर को देशभर में याद किया गया। देशभर के लाखों कला साधकों के प्रेरणास्त्रोत महान पुरातत्ववेत्ता और संस्कार भारती के संरक्षक रहे पद्मश्री डॉ विष्णु हरिभाऊ श्रीधर वाकणकर का संस्कार भारती परिवार जन्मशताब्दी समारोह मना रहा है। डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर ने प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में अपने बहुविधि योगदान से अनेक पथों का सूत्रपात किया। इनका नाम उन कर्मवीरों में शुमार है, जिनका इस क्षेत्र में अतुलनीय योगदान है। भीम बेटका सरस्वती नदी की खोज करने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार, पुरातत्ववेत्ता, अन्वेषक डॉ श्रीधर हरिभाऊ वाकणकर की जन्मशताब्दी के उद्यापन पर अनेक महानुभावों ने उनके योगदान और उनके आदर्श जीवन के बारे में सोशल मीडिया के फेसबुक जैसे विभिन्न मंचों पर वीडियो के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपना संदेश भेजकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
जन्मशताब्दी समारोह कार्यक्रम का संचालन डॉ वाकणकर जन्मशताब्दी वर्ष आयोजन के संयोजक डॉ रवींद्र भारती ने किया। डॉ रवींद्र भारती ने फेसबुक लाइव वीडियो में कहा कि कृतज्ञ राष्ट्र और संस्कार भारती के सभी कार्यकर्ता डॉ वाकणकर के जन्मशती वर्ष पर उनका पावन स्मरण करते हुए उनको अपनी श्रद्धांजलि और भावांजलि अर्पित कर रहे हैं और सभी कार्यकर्ता अपने घरों में डॉ वाकणकर के चित्र के समक्ष दीपक जलाकर उनका स्मरण कर रहे हैं। जन्मशताब्दी कार्यक्रम की शुरुआत संगीत विधा के संयोजक अमर कुलकर्णी और उनके साथियों के एक गीत की प्रस्तुति से हुई। कार्यक्रम में संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा योगेंद्र ने उनकी स्मृतियों के भावपूर्ण विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ वाकणकर के जीवन पर बना एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया, जिसमें दिखाया और बताया गया कि पद्मश्री डॉ विष्णु हरिभाऊ श्रीधर वाकणकर भारत के कितने महान पुरातत्वविद थे। मध्यप्रदेश के नीमच में जन्में डॉ वाकणकर ने भोपाल के निकट भीमबेटका के प्राचीन शिलाचित्रों का अन्वेषण किया।
डॉ विष्णु हरिभाऊ श्रीधर वाकणकर संस्कार भारती के संस्थापक महामंत्री थे। उन्होंने अपना समस्त जीवन भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने में अर्पित किया। उन्होंने अपने अथक शोध से भारत की समृद्धशाली प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से सारे विश्व को अवगत कराया। उन्होंने उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में पुरातत्व विभाग और संग्रहालय की स्थापना की। 'सरस्वती नदी भारतवर्ष में बहती थी' उन्होंने अपने अन्वेषण में इसकी पुष्टि करने के साथ-साथ इस अदृश्य नदी का मार्ग भी बताया। आर्य-द्रविड़ आक्रमण सिद्धांत को झुंठलाने वाली सच्चाई से सबको अवगत कराने का महत्वपूर्ण कार्य भी उन्होंने किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में आने पर डॉ वाकणकर ने आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक और शैक्षिक उत्थान का बड़ा कार्य भी किया। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन विकास मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा है कि मैं आने वाली पीढ़ी से प्रार्थना करता हूं कि वह सादगी, त्याग शक्ति, पुरातत्वीय अनुसंधान में तपस्या करने वाले इस महापुरुष का श्रद्धा से स्मरण करें, उनके योगदान को आत्मसात करें, उनके प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि पुरातत्ववेत्ता विभाग संस्कृति मंत्रालय का हिस्सा है, ऐसे महापुरुष को उनका मंत्रालय सदैव प्रेरणा और स्मृतियों में रखेगा।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री भारत सरकार प्रह्लाद सिंह पटेल, फिल्म निर्देशक एवं निर्माता सुभाष घई, मधुर भंडारकर, गीतकार समीर अंजान, रंगकर्मी कॉस्टयूम डिजाइनर एवं अभिनेता सलीम आरिफ, लेखक निर्देशक डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी, भजन सम्राट अनूप जलोटा, चरित्र अभिनेता मुकेश खन्ना, लेखक एवं महाभारत धारावाहिक के 'मैं समय हूं' हरीश भिमानी, कोलकाता के शास्त्रीय संगीत गायक अजय चक्रवर्ती, अभिनेता विक्टर बनर्जी, नृत्यांगना एवं सदस्य राज्यसभा डॉ सोनल मानसिंह, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश हरिद्वार के स्वामी चिदानंद सरस्वती, हरिद्वार से महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद, अभिनेता मनोज जोशी, अभिनेता एवं चेयरमैन एफटीआईआई गजेंद्र चौहान, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, अरुणाचल प्रदेश के संस्कृति मंत्री एवं पुरातत्ववेत्ता केरल केके मोहम्मद, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, रंगकर्मी एवं अभिनेता राजीव वर्मा, बीएचयू के पूर्व कुलपति डॉ गिरीश चंद्र त्रिपाठी, पुरातत्वविद एवं पूर्व संस्कृति सचिव झारखंड रांची के हरेंद्र कुमार सिन्हा, वरिष्ठ रंगकर्मी रांची अजय मलकानी, ओडिसी नृत्यांगना आलोका कानूनगो और कबीर वाणी के गायक देवास मध्य प्रदेश के प्रह्लाद टिपानिया ने डॉ श्रीधर हरिभाऊ वाकणकर को इस अवसर पर भावांजलियां एवं शब्दांजलियां अर्पित की हैं।