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चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय वेबकान

कृषि उत्पादन एवं खाद्य आपूर्ति चेन बनाए रखना बड़ी चुनौती

कोरोना महामारी ने कृषि का महत्व समझाया-राज्यपाल

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Wednesday 6 May 2020 07:00:24 PM

governor anandiben patel addresses national webcon from raj bhavan

लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के ‘कोविड-19 वैश्विक महामारी पर कृषि उत्पादन एवं सहयोगी प्रणाली: अनुभव साझेदारी एवं रणनीतियां’ विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबकॉन को राजभवन से सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने कृषि उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा के महत्व को पुनः रेखांकित किया है, राज्य सरकारों के सामने उत्पादन एवं आपूर्ति चेन को बनाए रखना बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि देश में कृषि उत्पादों को बाज़ार और उपभोक्ताओं तक पहुंचाना तथा कृषि विकास की सतत प्रक्रिया को जारी रखना केंद्र और राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। राज्यपाल ने कहा कि लॉकडाउन से खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में शिथिलता आने के कारण वैश्विक कुपोषण की समस्या भी एक पक्षहै। उन्होंने कहा कि सरकार एवं गैर सरकारी संस्थाएं सबको भोजन उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही हैं, परंतु इसमें जनसहभागिता भी आवश्यकता है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश और प्रदेश की सरकारें प्रसार सेवाओं के माध्यम से कृषि उत्पाद को बेचने, खरीद में किसान उत्पादक संघों को कृषि उत्पादनों के उचित दाम प्राप्त करने हेतु प्लेटफार्म तैयार करके एवं गांव से शहरों की ओर पलायन रोकने हेतु समुचित प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कृषि फसलों में कटाई के उपरांत होने वाले नुकसान को रोकने के लिए वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड चेन सुविधा से दूध एवं अन्य शीघ्र नष्ट होने वाले पदार्थों को हानि से बचाने हेतु क्षमता विकास एवं उचित बाज़ार मूल्य उपलब्ध कराने की आज बड़ी आवश्यकता है। राज्यपाल ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए जाने के लिए आयुष मंत्रालय के औषधीय एवं सगंधीय पौधों के उपयोग के परामर्श पर बल दिया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हल्दी, अदरक, लहसुन, चुकंदर, आंवला, पालक, ब्रोकली, नींबूवर्गीय फल, अनार, पपीता, पोदीना, तुलसी, अश्वगंधा, सौफ, लौंग, कालीमिर्च एवं गिलोय जैसे हर्बल उत्पादों का प्रयोग कर वायरसजन्य बीमारियों के विरुद्ध प्रतिरक्षण प्रणाली को सुदृढ़ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी एवं लॉकडाउन के समय कृषि संयुक्त प्रणाली की उपयोगिता अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है, इसके अंतर्गत दूर संवेदन प्रणाली, कृषि विपणन, कृषि कार्यों में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस, कृषि ड्रोन एवं परिशुद्ध खेती आदि के अनुसंधान एवं इसके उपयोग को बढ़ावा देने की नितांत आवश्यकता है, जिससे भविष्य में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के समय भी कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ रखा जा सके।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्रतिकूल मौसम से बचने एवं अनुकूल मौसम से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने हेतु कृषकों को मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं एवं एसएमएस सेवा से कृषि पूर्वानुमान उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन के विभिन्न व्याख्यानों एवं चर्चाओं के आदान-प्रदान और कृषि वैज्ञानिकों की संस्तुतियों से देश की कृषि उत्पादन तथा सहयोगी प्रणाली को सुदृढ़ करने में निश्चित रूपसे सहयोग मिलेगा। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने भी वेबकॉन को सम्बोधित करते हुए कहा कि मौसम परिवर्तन से कृषि फसलों को हो रही क्षति से किसानों को कैसे बचाया जाए इसपर विशेष मंथन किए जाने की आवश्यकता है।
कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा कि कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिए कृषि वैज्ञानिकों को इस तरफ विशेष ध्यान देकर ऐसी तकनीक एवं अधिक उत्पादन देने वाले उन्नतशील बीज तैयार किए जाने की आवश्यकता है, जिससे प्रति हेक्टेयर पैदावार में अपेक्षित वृद्धि हो सके, क्योंकि प्रति हेक्टेयर पैदावार में हम बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से भी पीछे हैं। वेबकॉन में पद्म विभूषण डॉ रामबदन सिंह, पद्मश्री डॉ ब्रह्म सिंह, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपतिडॉ डीआर सिंह, कृषि वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए। इस अवसर पर राज्यपाल ने एक स्मारिका का ऑनलाइन विमोचन किया।

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