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Wednesday 6 May 2020 09:55:16 PM
नोयडा। दिहाड़ी मजदूरी एवं कंपनियों में काम करके रोज पैसा कमाने वाले लोगों को लॉकडाउन में काम न मिलने की वजह से परिवार और अपना भरण पोषण मुश्किल हो गया है। बहुत सारे परिवार ऐसे हैं जिनको दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं है। भुखमरी जैसे हालात से गुज़र रहे नोयडा सेक्टर 49 की जेजे कॉलोनी एवं सेक्टर 81 सलारपुर मेट्रो स्टेशन के पास स्लम एरिया के ऐसे 127 ग़रीब मजदूर परिवारों को आत्मशक्ति ट्रस्ट ने कल प्रति परिवार 15 किलो आटा, 2 किलो दाल एवं 500 ग्राम नमक का वितरण किया। आत्मशक्ति ट्रस्ट के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर संतोष कुमार ने बताया कि आत्मशक्ति ट्रस्ट लॉकडाउन के बाद से लगातार गाज़ियाबाद के गाजीपुर, साहिबाबाद लोनी, गौतमबुद्ध नगर के नोयडा एवं ग्रेटर नोयडा तथा गुरुग्राम के भोंडसी में ग़रीब-मज़दूर समुदाय की भोजन राशन देकर मदद कर रहा है।
संतोष कुमार ने बताया कि आत्मशक्ति टीम के सदस्य अपनी परवाह किए बिना सुरक्षित उपायों को अपनाकर लोगों की मदद के लिए लगातार भ्रमण कर पात्र लोगों और परिवारों तक मदद पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बहुत बार जरूरतमंद लोगों ने फ़ोन करके भी मदद मांगी है, उनतक भी लगातार मदद पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। आत्मशक्ति ट्रस्ट की कार्यकारी ट्रस्टी रूचि कश्यप कहती हैं कि देश के एक सचेत एवं सक्षम नागरिक होने के नाते हम सबकी जिम्मेदारी है कि जितना हो सके इस संकटकाल में मदद करनी चाहिए ताकि ग़रीब भूखा न सो सके। उन्होंने कहा कि सभी देशवासी सामूहिक प्रयास करेंगे, तभी कोरोना संक्रमण को हराया जा सकता है। इस तरह से अबतक लगभग 9000 हज़ार परिवारों को उपलब्धता के आधार पर चावल, दाल, आटा, नमक, तेल, मसाले जैसी बुनियादी आवश्यकताओं से मदद की जा चुकी है।
ट्रस्टी रूचि कश्यप ने कहा कि आत्मशक्ति ट्रस्ट अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए सहयोग एवं चंदा एकत्रकर लोगों की मदद कर रहा है। उन्होंने बताया कि अभीतक ट्रस्ट जितने परिवारों की मदद कर पाया है, उसके अलावा भी हमारा प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक राहत कार्य पहुंचाया जाए, इस कार्य में प्रशासन एवं स्थानीय स्वयंसेवकों का भी लगातार सहयोग मिल रहा है। ट्रस्ट का विश्वास है कि ऐसे समय में ग़रीबों के जीवन यापन में हमसब की बड़ी और सामुहिक जिम्मेदारी है। इस पुनीत कार्य को करने में आत्मशक्ति टीम के सदस्य गोपाल, नेहा, निमिषा, संध्या, अरुण, नबा किशोर, संतोष कुमार एवं स्थानीय स्वयंसेवक बाली चरण, सतीश कुमार का सहयोग उल्लेखनीय है।