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Thursday 7 May 2020 12:19:48 PM
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी का प्रभाव बुद्ध पूर्णिमा पर भी हुआ है, तथापि आज विश्वभर में लॉकडाउन की शर्तों की सीमा में बुद्ध पूर्णिमा समारोह एक आभासी वेसाक दिवस के रूपमें आयोजित किए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन भी कोविड-19 संक्रमण के शिकार हुए लोगों और उससे निपटने में दिनरात लगे योद्धाओं के सम्मान में किया जा रहा है। भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का एक वैश्विक बौद्ध समग्र संगठन है, इसके सहयोग से दुनियाभर के बौद्ध संघों ने एक आभासी प्रार्थना कार्यक्रम आयोजित किया। प्रार्थना समारोहों को पवित्र गार्डन लुम्बिनी नेपाल, महाबोधि मंदिर बोधगया, मूलगंध कुटी विहार सारनाथ, परिनिर्वाण स्तूप कुशीनगर, पवित्र और ऐतिहासिक अनुराधापुरा स्तूप परिसर श्रीलंका में रुवनवेली महा सेया से पिरिथ जप, नेपाल के लोकप्रिय बौद्ध स्थलों बौद्धनाथ काठमांडू स्वयंभू नमो स्तूप से भी लाइव दिखाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेसाक उत्सव पर वीडियो संदेश के माध्यम से विश्वभर में फैले भगवान बुद्ध के अनुयायियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि वेसाक उत्सव बुद्ध पूर्णिमा को तिहरे धन्य दिवस यानी तथागत गौतम बुद्ध के जन्म, बुद्धत्व की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण दिवस के रूपमें मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि पहले भी इस पवित्र दिन पर साल 2015 एवं 2018 में दिल्ली और साल 2017 में कोलंबो में हुए कार्यक्रम से जुड़ने का मौका मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध का वचन है कि मनो पुब्बं-गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया, यानि धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है और सारी प्रवृत्तियों का अगुवा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन में भी वर्चुअल वेसाक उत्सव बुद्ध पूर्णिमा दिवस समारोह के आयोजन के लिए अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संघ प्रशंसा का पात्र है, उनके इस अभिनव प्रयास से इस आयोजन में विश्वभर के लाखों बुद्ध अनुयायी एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका के श्री अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण, कितनी अद्भुत कल्पना है, हर जगह पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आपमें बड़ा अद्भुत अनुभव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे दुनियाभर के हेल्थवर्कर्स और दूसरे सेवाकर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह के रूपमें मनाने का संकल्प लिया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही संगठित प्रयासों से हम मानवता को कोरोना संक्रमण की मुश्किल चुनौती से बाहर निकाल पाएंगे और परेशानियों को कम कर पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध ने भारतीय संस्कृति और उसकी महान परम्पराओं को समृद्धशाली किया है, वे अपना दीपक स्वयं बने और अपनी जीवन यात्रा से दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित करते रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं, किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं, सिद्धार्थ के जन्म से सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद इतनी शताब्दियों में उनके समय का चक्र अनेक स्थितियों, परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चला आ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि समय बदला, स्थितियां बदलीं, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध के मानवता प्रेम के संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान हैं, ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि भगवान बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं हैं, बल्कि एक पवित्र विचार भी हैं, एक ऐसा विचार जो प्रत्येक मानव हृदय में धड़कता है और मानवता का मार्गदर्शन करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध त्याग और तपस्या की सीमा हैं, वे सेवा और समर्पण का पर्याय हैं, मज़बूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा हैं, वे स्वयं को तपाकर स्वयं को खपाकर खुद को न्योछावर करके पूरी दुनिया में आनंद फैलाने के लिए समर्पित थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सभी इस समय अपने आसपास ऐसे अनेक लोगों को देख रहे हैं, जो दूसरों की सेवा के लिए, किसी मरीज के इलाज के लिए, ग़रीब को भोजन कराने के लिए, अस्पताल में सफाई के लिए, सड़क पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए चौबीस घंटे काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रत्येक व्यक्ति अभिनंदन का पात्र है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख निराशा हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती है। उन्होंने कहा कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे, उनसे बाहर निकले। नरेंद्र मोदी ने कहा कि थककर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता, आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए निरंतर जुटे हुए हैं और साथ मिलकर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के बताए चार सत्य-दया, करुणा, सुख-दुख के प्रति समभाव और जो जैसा है उसको उसी रूपमें स्वीकारना निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लाभ-हानि, समर्थ-असमर्थ से अलग, हमारे लिए संकट की ये घड़ी सहायता करने की है, जितना संभव हो सके मदद का हाथ आगे बढ़ाने की है। उन्होंने कहा कि भारत आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रहा है, अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध का एक-एक वचन, एक-एक उपदेश मानवता की सेवा में भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध दोनों के प्रतीक हैं, इसी आत्मबोध के साथ भारत निरंतर पूरी मानवता के लिए पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति हमेशा विश्व की प्रगति में सहायक होगी, इस मुश्किल में आप अपना, अपने परिवार का, जिस भी देश में आप हैं वहां का ध्यान रखें, अपनी रक्षा करें और यथा-संभव दूसरों की भी मदद करें। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और अल्पसंख्यक कार्य व युवा कार्य और खेल राज्यमंत्री किरेन रिजिजू भी कार्यक्रम में मौजूद थे।