स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 9 May 2020 06:25:20 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक यानी एआईआईबी ने कोविड-19 आपातकालीन उपाय एवं स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि कोविड-19 महामारी से निपटने और सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों को मजबूती प्रदान करने में भारत की मदद की जा सके। बैंक की ओर से भारत को अबतक की यह पहली स्वास्थ्य क्षेत्र संबंधी सहायता है। यह सहायता भारत के सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करेगी और संक्रमित लोगों, जोखिम वाली आबादी, चिकित्सा एवं आपातकालीन कर्मियों व सेवाप्रदाताओं, चिकित्सा तथा परीक्षण केंद्रों और राष्ट्रीय एवं पशु स्वास्थ्य एजेंसियों की जरूरतों को पूरा करेगी। भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के अपर सचिव समीर कुमार खरे और एआईआईबी की ओर से महानिदेशक (कार्यवाहक) रजत मिश्रा ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। परियोजना को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद भी कार्यांवित करेगा।
आर्थिक कार्य विभाग के अपर सचिव समीर कुमार खरे ने कहा कि एआईआईबी से समय पर मिल रही सहायता से भारत सरकार को कोविड-19 से निपटने और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के प्रयासों में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से निपटने की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना को रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है, जो वित्त एवं स्वास्थ्य मंत्रालयों और एआईआईबी अधिकारियों के प्रयासों को रेखांकित करता है। उन्होंने बताया कि यह परियोजना भारत सरकार को देश में कोविड-19 के फैलाव को यथासंभव कम और सीमित करने में सक्षम होगी। इसमें पीपीई, ऑक्सीजन डिलीवरी प्रणाली एवं दवाओं की खरीद के स्तर को बढ़ाकर रोग का पता लगाने की क्षमता में वृद्धि करने, कोविड एवं भविष्य की बीमारियों के प्रकोप से निपटने हेतु प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा, रोकथाम एवं रोगी प्रबंधन कार्य करने के लिए सुदृढ़ स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण करने, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से काम कर रहे भारतीय एवं अन्य वैश्विक संस्थानों के कोविड संबंधी अनुसंधान में आवश्यक सहयोग देने, परियोजना में समन्वय तथा प्रबंधन हेतु सार्वजनिक संरचनाओं को मजबूत करने के लिए तत्काल सहायता मिल सकेगी।
कोविड-19 आपातकालीन परियोजना के प्राथमिक लाभार्थी दरअसल संक्रमित लोग, जोखिम वाली आबादी, चिकित्सा एवं आपातकालीन कर्मी, चिकित्सा तथा परीक्षण केंद्रों में कार्यरत सेवा प्रदाता और भारत में कोविड-19 से निपटने में संलग्न सार्वजनिक व पशु स्वास्थ्य एजेंसियां होंगी। एआईआईबी के उपाध्यक्ष (निवेश परिचालन) डीजे पांडियन ने कहा कि एक ऐसी सुदृढ़ स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करना तात्कालिक प्राथमिकता है, जो कोविड रोगियों का प्रभावकारी ढंग से इलाज कर सकने के साथ-साथ इसके फैलाव को भी रोक सके। उन्होंने कहा कि यह धनराशि इस आवश्यकता को पूरा करेगी और भविष्य में होने वाली बीमारियों के प्रकोपों से भी प्रभावी ढंग से निपटने संबंधी भारत की क्षमता को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि इस अप्रत्याशित वैश्विक चुनौती का सामना करते हुए एआईआईबी अपनी अहम भूमिका निभाएगा और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर काम करेगा, ताकि स्वास्थ्य प्रणालियों को बेहतर बनाने और अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द पटरी पर लाने में मदद करने हेतु आवश्यक वित्तपोषण करने में भारत सरकार की सहायता की जा सके।
सहायता धनराशि से भारत के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम को मजबूत करने, संक्रामक रोग संबंधी अस्पतालों, जिला, सिविल, सामान्य और मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को बेहतर बनाने और उच्च नियंत्रण या रोकथाम वाली जैव सुरक्षा स्तर 3 प्रयोगशालाओं के एक नेटवर्क का निर्माण करने में मदद मिलेगी। आज लगभग 75 प्रतिशत नए संक्रामक रोग मानव और पशुओं के आपसी संपर्क से शुरू होते हैं, जिनमें एचआईवी/ एड्स, इबोला और सार्स भी शामिल हैं। परियोजना पशुओं से मानव को होने वाली मौजूदा एवं उभरती बीमारियों का पता लगाने की क्षमता व प्रणाली विकसित करेगी, भारतीय संस्थानों में कोविड-19 पर जैव चिकित्सा संबंधी अनुसंधान में आवश्यक सहयोग देगी और परीक्षण एवं अनुसंधान के लिए वायरल अनुसंधान तथा नैदानिक प्रयोगशालाओं का उन्नयन करेगी। परियोजना नकारात्मक बाह्य कारकों से निपटने में भी मदद करेगी, जिसमें स्वच्छता प्रथाओं, मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और कमजोर समुदायों के लिए मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोवैज्ञानिक सेवाएं मुहैया कराने पर व्यापक स्वास्थ्य जागरुकता और व्यवहार परिवर्तन अभियान चलाना भी शामिल है। परियोजना को विश्व बैंक और एआईआईबी 1.5 अरब डॉलर की धनराशि से वित्तपोषित करेगी, जिनमें से 1.0 अरब डॉलर विश्व बैंक और 500 मिलियन डॉलर एआईआईबी देगी।