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Wednesday 13 May 2020 12:49:03 PM
नई दिल्ली। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग के अधीन भारतीय औषध सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ब्यूरो (बीपीपीआई) ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत सरकार को समर्थन देने के लिए पीएम केयर्स फंड में 25 लाख रुपये का योगदान दिया है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा को नई दिल्ली में फार्मा सचिव पीडी वाघेला ने यह राशि चेक सौंपा। इस अवसर पर बीपीपीआई के सीईओ सचिन सिंह, फार्मा के जेएस रजनीश तिंगल, फार्मा के जेएस नवदीप रिनवा और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। बीपीपीआई के कर्मचारियों और जनऔषधि केंद्रों के मालिकों व वितरकों ने इस धनराशि में योगदान दिया है।
प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के तहत काम करने वाले केंद्र राष्ट्र को आवश्यक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। पीएमबीजेपी की कार्यांवयन एजेंसी भारतीय औषध सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ब्यूरो संचलन के सभी क्षेत्रों पर नज़र रखे हुए है। इस चुनौतीपूर्ण समय में बीपीपीआई अपने हितधारकों और उपभोक्ताओं के साथ खड़ा है एवं अपनी प्रतिबद्धता के तहत प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। बीपीपीआई, पीएमबीजेके को आवश्यक दवाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। लॉकडाउन के बावजूद बीपीपीआई का बिक्री कारोबार अप्रैल 2020 में 52 करोड़ रुपये रहा, जबकि मार्च 2020 में कुल बिक्री 42 करोड़ रुपये थी। पीएमबीजेपी की उत्पाद सूची में लैब रेजिस्टेंट और स्टेंट को छोड़कर एनएलईएम में सूचीबद्ध सभी आवश्यक दवाएं शामिल हैं।
बीपीपीआई में वर्तमान मांग के अनुरूप दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है जैसे-फेसमास्क, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल और एज़िथ्रोमाइसिन। बीपीपीआई ने मार्च और अप्रैल 2020 में लगभग 6 लाख फेस मास्क तथा 50 लाख हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट की बिक्री की है, इसके अलावा 60 लाख हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स की खरीद के ऑर्डर भी दे दिए हैं। बाज़ार की मौजूदा मांग को देखते हुए बीपीपीआई ने इन दवाओं की खरीद के आदेश दिए हैं, ताकि अगले छह महीने के लिए दवाओं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहे। देश के 726 जिलों को कवर करते हुए 6300 से अधिक पीएमबीजेके संचालित हैं। सामाजिक दूरी बनाए रखने से संबंधित नियम का पालन करते हुए पीएमबीजेके के फार्मासिस्ट, जिन्हें अब ‘स्वास्थ्य के सिपाही’ के नाम से बुलाया जाता है, रोगियों और बुजुर्गों को उनके घर तक दवाएं पहुंचा रहे हैं।