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Tuesday 19 May 2020 05:14:07 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को भेजे पत्र में यह बात रेखांकित की है कि कोविड-19 संक्रमण के भय और आजीविका छिनने की आशंका की वजह से विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रमिक अपने-अपने घरों की ओर अग्रसर होने के लिए व्याकुल हैं। गृह मंत्रालय ने पत्र में प्रवासी श्रमिकों की कठिनाइयों को कम करने के लिए उन उपायों पर विशेष जोर दिया है, जिन्हें राज्य सरकारों को केंद्र के साथ सक्रियतापूर्वक समन्वय करके उठाना चाहिए। गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि रेल मंत्रालय से सक्रिय समन्वय सुनिश्चित करके कई और भी स्पेशल ट्रेनें चलाएं, श्रमिकों की आवाजाही के लिए अधिक बसें चलाएं, उनको ले जाने वाली बसों को अंतर्राज्य सीमा पर प्रवेश की अनुमति दें, ट्रेनों व बसों के प्रस्थान के बारे में और भी अधिक स्पष्टता सुनिश्चित करें, क्योंकि अफवाहों एवं अस्पष्टता के कारण श्रमिकों का मन अशांत हो जाता है, स्वच्छता, भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं के पर्याप्त इंतजाम के साथ निर्दिष्ट विश्राम स्थलों की व्यवस्था उन मार्गों पर की जाए, जहां श्रमिकों के पैदल यात्रा करने की सूचना है।
गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि उनके जिला अधिकारी परिवहन की व्यवस्था करके पैदल चल रहे श्रमिकों का मार्गदर्शन कर उन्हें निर्दिष्ट स्थानों, पास के बस टर्मिनलों या रेलवे स्टेशनों पर ले जाएं, श्रमिकों के बीच महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की आवश्यकताओं पर ध्यान दें, विश्राम स्थलों पर दीर्घकालिक क्वारंटाइन की आशंका को दूर करने के लिए जिला प्राधिकरण विश्राम स्थलों इत्यादि पर गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों की सेवाएं लें। श्रमिकों को उन्हीं स्थानों पर बने रहने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा सकता है, जहां अभी वे हैं। श्रमिकों के पते और संपर्क नंबर एक सूची में नोट करें, यह उचित समय पर उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में सहायक हो सकते हैं। गृह मंत्रालय ने पत्र में यह बात दोहराई कि जिला अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसी भी प्रवासी श्रमिक को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए विवश होकर सड़कों या रेलवे पटरियों पर चलने की जरूरत ही न पड़े।