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Saturday 23 May 2020 12:08:21 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने वर्ष 2020-21 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष चुने जाने के बाद डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के चेयरमैन का पद संभाल लिया है। डॉ हर्षवर्धन ने जापान के हीरोकि नाकातानी का स्थान लिया है। कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष का दायित्व स्वीकार करते हुए डॉ हर्षवर्धन ने विश्व में कोरोना महामारी से जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित महानुभावों से अनुरोध किया कि वे अग्रिम पंक्ति के सभी स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य कोविड योद्धाओं की गरिमा, संकल्प शक्ति और निष्ठा के लिए उन्हें करतल ध्वनि से सलाम करें। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि डब्ल्यूएचओ में मेरे प्रति विश्वास के लिए मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं, इसपर भारत और भारतवासी भी गौरव महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यह सम्मान हम सबको मिला है।
डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के चेयरमैन डॉ हर्षवर्धन ने कोविड-19 को एक बड़ी मानव त्रासदी मानते हुए कहा है कि अगले दो दशक में कई चुनौतियां आ सकती हैं, जिनसे निपटने के लिए साझी कार्रवाई की आवश्यकता होगी, क्योंकि इनके पीछे साझा खतरा है और इसपर कार्रवाई हेतु साझा जिम्मेदारी की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन में शामिल सदस्य देशों के गठबंधन की मूल भावना का यह प्रमुख अंग है, हालांकि इसके लिए राष्ट्रों के अधिक साझे आदर्शवाद की आवश्यकता है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की मजबूती और तैयारियों की अनदेखी से होने वाले परिणामों से पूरी तरह अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक संकट के ऐसे समय में जोखिम प्रबंधन और जोखिम में कमी लाने दोनों स्थितियों के लिए जनस्वास्थ्य के हितों को पुन: ऊर्जावान बनाने और निवेश करने के लिए वैश्विक भागीदारी को और मजबूत बनाने की आवश्यकता होगी।
डॉ हर्षवर्धन ने कोविड-19 पर काबू पाने के भारत के अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने बताया कि भारत की मृत्यु दर केवल 3 प्रतिशत है, 135 करोड़ के देश में केवल 0.1 मिलियन कोविड-19 के मामले हैं, यहां रोगियों की स्वस्थ होने की दर 40 प्रतिशत से अधिक है और मामले दोगुना होने की दर 13 दिन है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के नए अध्यक्ष होने के नाते डॉ हर्षवर्धन ने शताब्दियों से मानवता को नुकसान पहुंचा रहे रोगों के बारे में अधिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि वैश्विक संसाधनों का पूल बनाकर एक दूसरे का पूरक बनने के लिए मिलकर सहयोग करने, रोगों के कारण होने वाली मौतों में कमी लाने का एक अधिक प्रभावशाली और आक्रामक खाका तैयार करने से इन रोगों का उन्मूलन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दवाओं और वैक्सीन की वैश्विक कमी के समाधान एवं सुधारों की आवश्यकता पूरी करने के लिए एक नया खाका बनाने की आवश्यकता है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि मैं आश्वस्त हूं कि सदस्यों देशों और अन्य पक्षों के साथ निरंतर सहयोग स्वास्थ्य सुधारों को अधिक प्रभावी बनाएगा।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि मैं डब्ल्यूएचओ के सामूहिक विजन को साकार करने के लिए जुटकर काम करूंगा, ताकि सभी सदस्य देशों में सामूहिक क्षमता का निर्माण और सामूहिक साहसी नेतृत्व बनाया जाए। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि बिना किसी जाति, धर्म, राजनीतिक विश्वास, आर्थिक और सामाजिक स्थिति के भेदभाव के प्रत्येक मानव के मूल अधिकारों में से एक स्वास्थ्य के सर्वोत्तम मानक प्राप्त करना है, इसलिए मैं जनस्वास्थ्य के दायित्वों के कुशल, प्रभावी और संवेदनशील निर्वहन के लिए सदस्य देशों, संगठन और साझेदारों के वैश्विक समुदाय के साथ काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता हूं। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि आर्थिक कार्य प्रदर्शन और मानव क्षमता बढ़ाने में स्वास्थ्य की अहम भूमिका है, यद्यपि जनस्वास्थ्य नीति प्रकृति के समुचित सूझबूझ पर आधारित होनी चाहिए, यह समग्र स्वास्थ्य और आरोग्य पर आधारित भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का शीर्ष सिद्धांत है, जिसका मैंने अनुभव किया है और जिससे मैंने स्वास्थ्य लाभ लिया है।
डॉ हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों तथा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के दो स्तंभों वाली आयुष्मान स्कीम जैसे राष्ट्रीय महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के माध्यम से सार्वभौम स्वास्थ्य की भारत की नीति को स्पष्ट किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ लंबे समय तक जुड़े रहने का स्मरण करते हुए डॉ हर्षवर्धन ने भारत में पोलियो के खिलाफ लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सशक्त सहयोग और समर्थन के लिए अपना आभार व्यक्त किया। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मित्रों से सहयोग और मनोबल बढ़ाने में सहयोग नहीं मिला होता तो यह उपलब्धि हासिल नहीं होती, यदि आज भारत पोलियो मुक्त है तो यह स्वीकार करना होगा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की दृढ़ता और उद्यम के बिना ऐसा कभी संभव नहीं हो सकता था। डॉ हर्षवर्धन विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोलियो उन्मूलन पर महत्वपूर्ण विशेषज्ञ सलाहकार समूह और वैश्विक टेक्नीकल परामर्श समूह जैसी कई प्रतिष्ठित समितियों के सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार के रूपमें भी कार्य किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड में तीन वर्ष के लिए निर्वाचित 34 तकनीकी योग्य सदस्य हैं, बोर्ड के मुख्य कार्यों में स्वास्थ्य असेम्बली के निर्णयों और नीतियों का कार्यांवयन और इसके काम में सलाह और सहायता देना है।
डॉ हर्षवर्धन के पेशेवर करियर में यह एक और महत्वपूर्ण सम्मान माना जाता है। वे गणेशशंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज कानपुर से 1979 में चिकित्सा में स्नातक और 1983 में चिकित्सा में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हैं। डॉ हर्षवर्धन 1993 से जनसेवा से जुड़े हैं और 1993 में दिल्ली विधानसभा के पहली बार सदस्य चुने गए थे। वे लगातार पांच वर्ष के कार्यकाल के पांच बार विधानसभा के तब तक सदस्य रहे, जब वे मई 2014 में चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से 16वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वे 1993 से 1998 के बीच दिल्ली के स्वास्थ्य, शिक्षा, विधि और न्याय तथा विधायीकार्य मंत्री रहे। उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूपमें 1994 में पल्स पोलियो कार्यक्रम की पायलट परियोजना के टीकाकरण का सफल कार्यांवयन किया, इससे 2014 में भारत के पोलियो मुक्त बनने की बुनियाद रखी गई। उन्होंने धूम्रपान निषेध और गैर धूम्रपानकर्ता स्वास्थ्य संरक्षण अधिनियम 1997 को पारित कराने और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस कानून का देश के विभिन्न राज्यों ने भी अनुसरण किया। डॉ हर्षवर्धन 2014 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए। इसके बाद वे केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान का मंत्री, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भी रहे। चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से 17वीं लोकसभा के दोबारा सदस्य निर्वाचित होने के फलस्वरूप उन्हें 30 मई 2019 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान का मंत्री बनाया गया।