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उत्तराखंड में मुकदमों की संख्या कम-बहुगुणा

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Monday 08 April 2013 08:45:05 AM

prem kumar dhumal and vijay bahuguna

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने रविवार को विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीशों के सम्मेलन में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि जनता को सुलभ एवं त्वरित न्याय देना सरकार की प्रतिबद्धता है। उत्तराखंड सरकार न्यायिक सुधारों में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में न्यायपालिका और कार्यपालिका के मध्य कोई संवादहीनता नहीं है, सरकार उच्च न्यायालय के साथ लगातार संवाद स्थापित रखती है और समस्याओं को प्राथमिकता पर सुलझाया जाता है। सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। राज्य सरकार ने हाल ही में न्यायिक सेवा काडर के पदों में 10 प्रतिशत की वृद्धि भी की है और वर्तमान में न्यायिक अधिकारियों के पद बढ़ाने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है, साथ ही राज्य में 23 नये न्यायालय भी स्थापित किये गये हैं, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राष्ट्रीय ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड हेतु ई-कोर्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट में उच्च न्यायालय को पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अधीनस्थ न्यायालयों में अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने के लिए संकल्पित है। इस दिशा में उपयुक्त वित्तीय प्रावधान भी किये गये हैं, अधीनस्थ न्यायालयों के अवस्थापना विकास एवं भूमि उपलब्धता को देखने के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति भी बनाई गई है, जिसके एक सदस्य हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार भी हैं। वर्ष 2012-13 में भारत सरकार से न्यायालयों की अवस्थापना मद में 8.29 करोड़ रूपये प्राप्त हुए है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या अपेक्षाकृत कम होने के कारण फिलहाल ग्राम न्यायालय स्थापित करने का प्रस्ताव नहीं है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 (किशोर न्याय अधिनियम) के अंर्तगत राज्य के सभी जनपदों में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (किशोर न्यायाधिकरण) गठित हैं। देहरादून, उत्तरकाशी, पौड़ी, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल और अल्मोड़ा मे राजकीय निरीक्षण गृह (बालकों के लिए) संचालित है। देहरादून, टिहरी, पौड़ी, और नैनीताल में बालिकाओं के लिये निरीक्षण गृह संचालित है। इस अवसर पर केंद्रीय कानूनमंत्री डॉ अश्वनी कुमार और भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर भी उपस्थित थे।

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