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Friday 5 June 2020 06:07:36 PM
लखनऊ। कोरोना लॉकडाउन में डाकिए के थैले में अब सिर्फ चिट्ठियां और पैसे ही नहीं बल्कि दवाएं, मास्क पीपीई किट्स और मेडिकल उपकरण भी होते हैं। कोरोना महामारी के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन ने अस्पतालों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए अनेक समस्याएं खड़ी हो गईं, बल्कि प्लेन, ट्रेन और बसों जैसे ट्रांसपोर्ट के सभी साधन प्राय: बंद होने से आवश्यक दवाओं की आपूर्ति भी एक अहम समस्या हो गई। कूरियर कंपनियों ने भी हाथ खड़े कर दिए। लॉकडाउन में घर से बाहर नहीं निकल पाने की विवशता में डाक विभाग फिर लोगों के काम आया है। डाककर्मी विशेषकर डाकिया भी इस समय 'कोरोना योद्धा' के रूपमें लगातार कार्य कर रहे हैं। संचारमंत्री रविशंकर प्रसाद लॉकडाउन में डाक विभाग के तमाम अनुकरणीय कार्यों पर प्रशंसात्मक ट्वीट कर चुके हैं।
लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि लॉकडाउन में आम जनमानस को दवाइयों तथा जीवनोपयोगी वस्तुओं के लिए परेशानी का सामना न करना पड़े, इस जिम्मेदारी को उठाते हुए डाक विभाग लगातार जीवनरक्षक दवाओं, एन 95 मास्क, पीपीई किट्स तथा वेंटिलेटर्स इत्यादि मेडिकल उपकरणों की बुकिंग व विभिन्न शहरों में उनका समयबद्ध वितरण सुनिश्चित कर रहा है। कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनी नेटमेड्स, सिप्ला से लेकर इंडियन ड्रग मैन्यूफैक्चर एसोसिएशन तक डाकघरों से दवाएं भेज रहे हैं। उन्होंने बताया कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मलेरिया रिसर्च नई दिल्ली से कोविड-19 टेस्टिंग किट्स कोल्ड चेन सिस्टम के अंतर्गत संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में 18 घंटे के भीतर पहुंचाई गईं।
निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि अकेले लखनऊ के डाकघरों से अब तक लगभग 23 टन दवाएं स्पीड पोस्ट और पार्सल के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में भेजी जा चुकी हैं। कोरोना से जंग में अहम भूमिका निभाते हुए ढाई लाख कोविड टेस्टिंग किट्स भी लखनऊ के डाकघरों से स्पीड पोस्ट के माध्यम से बुक होकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में वितरित की जा चुकी हैं। इन्हें 24 घंटे के भीतर कोल्ड चेन सिस्टम में पहुंचाना होता है, ताकि ये खराब न हो सकें, अन्य राज्यों व जनपदों से प्राप्त मेडिकल उपकरणों को प्राथमिकता के आधार पर तुरंत लोगों को पहुंचाया जा रहा है। लखनऊ में इसके लिए विशेष वाहनों की व्यवस्था की गई है, ताकि जरूरत पड़ने पर एकदम सुबह या देर शाम में भी दवाओं एवं मेडिकल उपकरणों को एसजीपीजीआई, केजीएमयू या अन्य संस्थानों या व्यक्तियों तक पहुंचाया जा सके।
निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि ट्रांसपोर्ट के सभी साधन बंद होने पर डाक के आदान-प्रदान के लिए डाक विभाग ने अपने रोड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को विकसित किया, ताकि इसके माध्यम से नागरिकों को अंतिम छोर तक सुचारु रूपसे डाक सेवाएं पहुंचाई जा सकें। डाक विभाग की लाल रंग की मेल मोटर्स से दवाइयों के पार्सल एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की सफलतापूर्वक बुकिंग और उनका वितरण सुनिश्चित किया जा रहा है। इस दौरान सभी डाककर्मी सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी एहतियात बरतते हुए समर्पण भाव के साथ कार्य कर रहे हैं। गौरतलब है कि डाक विभाग ने इन वर्षों में जनोपयोगी सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि की है, इसकी बैंकिंग सेवाओं को भी काफी पसंद किया जा रहा है, जिनसे लॉकडाउन में भी गांव के लोगों को उनके खातों से धन प्राप्ति संभव हो सकी है।