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Monday 08 April 2013 10:50:12 AM
जिनेवा। भारत के केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग और कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के मुख्यालय जिनेवा में एक उच्चस्तरीय नीति संवाद को संबोधित करते हुए अपनी सामाजिक चुनौतियों को पूरा करने के क्रम में विकासशील देशों की अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा की प्रतिबद्धता का सम्मान करने के लिए बौद्धिक संपदा के लचीलेपन का बचाव किया। आनंद शर्मा ने रेखांकित किया कि दक्षिण के देश ऐतिहासिक कारणों से भूख, गरीबी, और बीमारियों का एक अनुपातहीन बोझ रखते हैं और उसके लिए उनमें अपने नागरिकों को एक सस्ता स्वास्थ्य सेवा समाधान उपलब्ध कराने की आकांक्षा है, जबकि सभी देश उनकी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए बाध्य हैं, विकासशील देशों को इन दबाने वाली सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए उन्हें अंतर्निहित लचीलापन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
आनंद शर्मा ने भारतीय अनुभव: प्रयोग और विकास विषय पर बोलते हुए उन मूल्यों को रेखांकित किया जो कि भारत में बौद्धिक संपदा व्यवस्था की जानकारी देते हैं। उन्होंने 2005 की उस बहस को याद दिलाया जो भारतीय बौद्धिक संपदा से स्वर मिलाने और ट्रिप्स प्रतिज्ञा के चारों तरफ हो रही थी। शर्मा ने अनुवांशिकी संसाधनों, परंपरागत ज्ञान और लोक साहित्य से जुड़ी हुई बौद्धिक संपदा विशेषतौर पर हल्दी और नीम आदि के रोगोपचार के सवाल को मजबूती से उठाया। शर्मा ने समय-समय पर पारंपरिक ज्ञान को दिए जाने वाले पेंटेंट़्स के माध्यम से बढ़ने वाली जैव चोरी के तथ्य पर चिंता व्यक्त की। भारत पिछले एक दशक से इस एजेंडे को बातचीत की मेज पर लाने के लिए डटा हुआ है। आनंद शर्मा ने विलय के परिग्रहण के साधन को मेड्रिड प्रोटोकॉल को सौंपा, जो भारत में ट्रेडमार्क पंजीकरण की प्रक्रिया का सरलीकरण करने में विचारणीय रूप से सहायता करेगा।