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Tuesday 9 June 2020 05:43:50 PM
देहरादून। राज्यसभा के पूर्व सदस्य और उत्तराखंड युद्ध स्मारक के अध्यक्ष तरुण विजय ने गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तराखंड की जनता को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री के यशस्वी नेतृत्व में यह क्रांतिकारी कार्य हो गया, उनकी कीर्ति अमर हो गई है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लिए आज ऐतिहासिक दिन है, जब गैरसैण ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित हुई है, अब पहाड़ सरकार के पास नहीं आएगा, सरकार पहाड़ की सेवा में पहुंचेगी। तरुण विजय ने कहा कि सात साल पहले हमने उत्तराखंड की गैरसैण राजधानी के लिए संघर्ष किया था, गैरसैण जाकर वहां के निवासियों के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं के मध्य गैरसैण घोषणा-पत्र जारी किया था। तरुण विजय का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार में इसी प्रकार के अनुकरणीय फैसले लिए जा रहे हैं।
गैरसैण को उत्तराखंड की राजधानी बनाने के लिए काफी समय से चल रहा संघर्ष अंततः ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा देने के बाद समाप्त हो गया है। राज्यपाल के यहां से इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने वर्ष 2020-21 के बजट सत्र में ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा कर दी थी। इस प्रकार अब उत्तराखंड की दो राजधानी बन गई हैं। त्रिवेंद्र रावत ने इसपर कहा है कि इससे दूरस्थ क्षेत्रों के अंतिम व्यक्ति तक विकास के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। गैरसैंण राज्य के पहाड़ी जिले चमोली में पड़ता है और यह उम्मीद है कि अब पर्वतीय क्षेत्रों का विकास तेजी से होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि गैरसैंण में ई-विधानसभा बनेगी, सचिवालय के 17 अनुभाग ई-ऑफिस में बदले जा चुके हैं और ब्लॉक स्तर तक जितने भी दफ्तर हैं, इन्हें भी ई-ऑफिस बनाने का प्रयास जारी है।
गैरसैंण समूचे उत्तराखंड राज्य के मध्य में और ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। अभीतक यह उत्तराखण्ड राज्य की अस्थाई ग्रीष्मकालीन राजधानी था। गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग काफी पुरानी है। साठ के दशक में सबसे पहले इसकी मांग पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्रसिंह गढ़वाली ने की थी। वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों ने भी गैरसैंण को ही राजधानी बनाने की मांग की थी, लेकिन भौगोलिक, प्रशासनिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड की राजधानी देहरादून बनाई गई। गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग तबसे और ज्यादा उठी। इसके लिए आंदोलन हुए। इस बीच उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार भी आई, लेकिन गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का श्रेय भाजपा सरकार को ही मिला है।