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Saturday 27 June 2020 12:55:05 PM
नई दिल्ली। भारत के सहकारी बैंक भी अब भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के अधीन हो गए हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बैंकों के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने की वचनबद्धता पर अमल करते हुए बैंकिंग नियमन संशोधन अध्यादेश-2020 जारी कर दिया है। अध्यादेश से बैंकिंग नियमन अधिनियम-1949 में संशोधन हुआ है, जो सहकारी बैंकों पर लागू होगा। अध्यादेश का उद्देश्य बेहतर गवर्नेंस एवं निगरानी सुनिश्चित करके जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और सहकारी बैंकों को मजबूत करना है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के अन्य बैंकों के संबंध में पहले से ही उपलब्ध अधिकारों के दायरे में देश के सहकारी बैंक लाए गए हैं, ताकि प्रोफेशनल रुख अपनाकर सुव्यवस्थित बैंकिंग नियमन सुनिश्चित किया जा सके और इसके साथ ही पूंजी तक उनकी पहुंच को भी संभव किया जा सके। स्पष्ट किया गया है कि बैंकिंग नियमन अधिनियम संशोधनों से राज्य सहकारी कानूनों के तहत सहकारी समितियों के राज्य पंजीयकों के मौजूदा अधिकारों में कोई कमी नहीं आई है। ये संशोधन उन प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) या सहकारी समितियों पर लागू नहीं होते हैं, जिनका प्राथमिक उद्देश्य एवं प्रमुख व्यवसाय कृषि विकास के लिए दीर्घकालिक वित्त मुहैया कराना है और जो ‘बैंक’ या ‘बैंकर’ अथवा ‘बैंकिंग’ शब्द का उपयोग नहीं करते हैं तथा जो चेकों के अदाकर्ता के रूप में कार्य नहीं करते हैं।
बैंकिंग नियमन अधिनियम अध्यादेश के जरिए इस अधिनियम की धारा 45 में भी संशोधन किया गया है, ताकि आम जनता, जमाकर्ताओं एवं बैंकिंग प्रणाली के हितों की रक्षा करने और उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किसी बैंकिंग कंपनी के पुनर्गठन या विलय की योजना बनाई जा सके। बताया गया है कि यहां तक कि संबंधित बैंकिंग कंपनी के कामकाज पर अस्थायी स्थगन या रोक लगाने का आदेश जारी किए बिना ही उसके पुनर्गठन अथवा विलय की योजना बनाना संभव हो सकेगा, जिससे कि वित्तीय प्रणाली में किसी भी तरह के व्यवधान को पूरी तरह से टाला जा सके।