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Tuesday 7 July 2020 01:17:45 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार के पास केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम-1963 के तहत गठित दो बोर्डों के विलय का कोई भी प्रस्ताव नहीं है। एक अख़बार में प्रकाशित समाचार में कहा गया है कि सरकार केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड और केंद्रीय अप्रत्यक्षकर एवं सीमाशुल्क बोर्ड के विलय के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह ख़बर गलत है और वित्त मंत्रालय के सक्षम प्राधिकारों से तथ्यों के आवश्यक सत्यापन के बिना प्रकाशित की गई है जोकि नीति में भटकाव पैदा करती है। वस्तुतः ऐसा देखने में आया है कि मीडिया में कुछ गिरोह सक्रिय हैं, जो अपनी पोजीशन का शोषण करते हुए केंद्र सरकार में बैठे कुछ अधिकारियों, कर्मचारियों एवं पक्ष-विपक्ष के कतिपय राजनेताओं की सांठगांठ से सरकार के फैसलों पर नकारात्मक रिपोर्ट प्रकाशित कराते हैं, यह रिपोर्ट भी इसका हिस्सा है।
गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय बड़े पैमाने पर करदाताओं के लिए मैत्रीपूर्ण सुधारों का कार्यांवयन कर रहा है जैसे-क्षेत्रीय न्याय सीमा के आधार पर मैन्युअल मूल्यांकन के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक फेसलेस मूल्यांकन, इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन या लेन-देन और फेसलेस अपील को लागू करना। जबकि समाचार रिपोर्ट में बताया गया है कि यह राजस्व के दो बोर्डों का विलय कर प्रशासनिक सुधार आयोग (टीएआरसी) की सिफारिशों में से एक है। भारत सरकार ने टीएआरसी की रिपोर्ट की विस्तार से जांच की थी और टीएआरसी की इस सिफारिश को सरकार ने स्वीकार नहीं किया था। संसद में एक प्रश्न के जवाब में सरकार के आश्वासन के एक भाग के तहत यह कहा गया था कि भारत सरकार ने 2018 में सरकारी आश्वासनों पर समिति के समक्ष भी इस तथ्य को रखा था। टीएआरसी की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई से सम्बंधित रिपोर्ट राजस्व विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है, जो स्पष्ट रूपसे दिखाती है कि यह सिफारिश स्वीकार नहीं की गई थी।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि इस भ्रामक लेख को प्रकाशित करने से पूर्व सार्वजनिक रूपसे उपलब्ध आधिकारिक रिकॉर्ड की जांच करने या वित्त मंत्रालय में संबंधित सक्षम अधिकारियों के साथ नवीनतम स्थिति की जांच करने से सम्बंधित आवश्यक कार्य नहीं किए गए हैं। वित्त मंत्रालय कह रहा है कि यह न केवल पत्रकारिता की गुणवत्ता के निम्नस्तर को दर्शाता है, बल्कि उचित जांच-परख और आवश्यक परिश्रम के प्रति उपेक्षा को भी स्पष्ट रूपसे दिखाता है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि यदि इस तरह की असत्यापित रिपोर्ट पहले पेज पर लीड स्टोरी बनाई जाती है तो यह समाचार पढ़ने वाले सभी लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। भारत सरकार ने इस समाचार को पूरी तरह से निराधार और असत्यापित होने के कारण अस्वीकार कर दिया है।