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Tuesday 7 July 2020 03:18:55 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कार्मिक, प्रधानमंत्री कार्यालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, लोक शिकायत एवं पेंशन और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि वर्ष 2020 में सिविल सेवा ने सही मायने में अखिल भारतीय स्वरूप हासिल कर लिया है, क्योंकि इसबार लगभग सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विषम देश के लिए यह एक बड़ी संपत्ति है और भारत में सिविल सेवाओं के संस्थापक सरदार वल्लभभाई पटेल के सपने के अनुरूप है। डॉ जितेंद्र सिंह ने ये बातें वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्यम से लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी के आईएएस व्यावसायिक पाठ्यक्रम चरण-II (2018 बैच) के उद्घाटन कार्यक्रम में कहीं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अधिकारियों के पास ‘न्यू इंडिया’ के वास्तुकार बनने का एक अवसर है, जिसकी नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी।
कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आजादी के 73वें वर्ष में भारत अपने पूरे प्रभाव और मजबूती के साथ खड़ा है और पूरी क्षमता के साथ आशावादी भविष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत जैसा विविधतापूर्ण देश अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए नागरिकों को समझने, उनके साथ विकास के सामान्य लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए काम करने और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए उन्हें प्रेरित करने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को श्रेय देता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने पिछले 10 हफ्ते में दुनिया को दिखाया है कि कोरोना महामारी संकट के बावजूद भारत महामारी के पहले के समय की तरह आसानी से चल रहा है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि आईएएस व्यावसायिक पाठ्यक्रम में 185 प्रतिभागियों में से लगभग 125 इंजीनियरिंग और अन्य पेशेवर पृष्ठभूमि से हैं। उन्होंने कहा कि इससे देश में आधुनिक समय में विकास की चुनौतियों का सामना करने में काफी मदद मिलेगी।
कार्मिक राज्यमंत्री ने कहा कि बैच में 50 महिला अधिकारियों की मौजूदगी नरेंद्र मोदी सरकार के महिला सशक्तिकरण मंत्र का वास्तविक सबूत है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 5 से 6 वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में नौकरशाही को एक नया आधार और उसे नई दिशा प्रदान करने के लिए कई नई चीजों और नवाचारों की एक श्रृंखला शुरू की। उन्होंने विशेष रूपसे उल्लेख करते हुए कहा कि आईएएस अधिकरियों के करियर की शुरुआत ही उनके लिए कुछ ही वर्ष पहले शुरू की गई सहायक सचिवों के रूपमें तीन महीने काम केंद्र सरकार के साथ कार्य करने की पहल है, जिससे उनकी क्षमता निर्माण में जबरदस्त रूपसे सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि इसी तरह 2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 में संशोधन कर ईमानदार अधिकारियों को उत्पीड़न से पर्याप्त सुरक्षा दी गई, क्योंकि पहली बार रिश्वत देने वाले को भी इस भ्रष्टाचार अधिनियम के दायरे में लाया गया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने इस बात का भी उल्लेख किया कि अबतक 25 लाख से अधिक अधिकारियों ने कोविड-19 से निपटने वाले फ्रंटलाइन श्रमिकों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं के लिए डीओपीटी के आईजीओटी मंच पर पंजीकरण करा लिया है। उन्होंने कहा कि इस उपाय से एक आईएएस अधिकारी को कोरोना योद्धा के रूपमें प्रशिक्षण देने में मदद मिलेगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने 49 प्रमुख संकेतकों के आधार पर 115 आकांक्षी जिलों की अवधारणा पर विचार करते हुए कहा कि वैज्ञानिक रूपसे तैयार की गई एक प्रणाली पर आधारित हर आकांक्षी जिलों में इन संकेतकों में सुधार करने पर ध्यान देना है। इसके साथ ही उन्हें इन संकेतकों में रेटिंग बढ़ाकर राज्य के सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले जिले और फिर देश का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले जिले के रूपमें आगे लाना है। उन्होंने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि पिछड़े जिलों में युवा अधिकारियों की तैनाती से इन संकेतकों में तेजी से बदलाव आएगा।
लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक डॉ संजीव चोपड़ा ने कहा कि ऑनलाइन सत्रों के संचालन के लिए ज्ञान नाम से प्रसिद्ध लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग एलबीएसएनएए में किया जाता है, यह प्रतिभागियों के लिए सीधे संपर्क करने का ऑनलाइन मंच है और कोई भी प्रतिभागी पाठ्यक्रम से संबंधित किसी भी चीज जैसे पॉवर पॉइंट, पठन सामग्री, वीडियो पर लाइव कक्षाएं, असाइनमेंट, क्विज़, पिछली कक्षाएं आदि के लिए इसपर लॉगइन कर सकते हैं। आईएएस व्यावसायिक पाठ्यक्रम में इस साल द्वितीय चरण के लिए 185 प्रतिभागी हैं, जिनकी तीन श्रेणियां हैं-2018 के आईएएस बैच के 179 अधिकारी, 2017 के आईएएस बैच के 3 अधिकारी जो पिछले वर्ष द्वितीय चरण में भाग नहीं ले सके थे और रॉयल भूटान सिविल सेवा के 3 अधिकारी।