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Monday 13 July 2020 04:08:15 PM
गुंटूर (आंध्र प्रदेश)। भारतीय रेलवे ने पहलीबार अपनी एक विशेष मालगाड़ी से देश की सीमा से परे बांग्लादेश के बेनापोल के लिए आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के रेड्डीपलेम से सूखी मिर्च की ढुलाई की। ज्ञातव्य है कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर और इसके आस-पास के इलाके मिर्च की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं। अपने स्वाद और ब्रांड में विशिष्टता के लिए यहां की यह कृषि उपज विशिष्ट गुणवत्ता के रूपमें अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर जानी जाती है। गुंटूर तथा उसके आसपास के क्षेत्र के किसान और व्यापारी पहले कम मात्रा में सड़क मार्ग से सूखी मिर्च बांग्लादेश ले जाते रहे हैं और इसपर लागत लगभग 7000 रुपये प्रति टन आती है। लॉकडाउन के दौरान वे इस आवश्यक वस्तु को सड़क मार्ग से नहीं ले जा सके, तब भारतीय रेलवे उनका सहायक बना एवं बांग्लादेश को उनकी मिर्च की मालगाड़ी से ढुलाई करके उनका काम आसान कर दिया।
कोरोना व लॉकडाउन से जहां जनसामान्य को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है, वहीं इसने हर क्षेत्र में विकास की नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। किसी के विचार में नहीं था कि इस क्षेत्र के मिर्च उत्पादन के किसानों का मिर्च उत्पादन मालगाड़ी से सरहद पार बांग्लादेश जाएगा तो उनका मिर्च व्यवसाय और ज्यादा आसान और लाभकारी हो सकता है। इस विषय पर कोरोना और लॉकडाउन में विचार सामने आया। रेलवे के कर्मचारियों और अधिकारियों ने सरहद पार बांग्लादेश को मिर्च ले जाने वालों से सम्पर्क किया और उन्हें रेलवे की मालगाड़ी से मिर्च ले जाने की सुविधा के बारे में विस्तार से समझाया। दक्षिण मध्य रेलवे के गुंटूर डिवीजन ने कम मात्रा यानी प्रत्येक खेप में अधिकतम 500 टन तक का माल भेजने की सुविधा देने की पहल की, तदनुसार मिर्च व्यापारी विशेष पार्सल एक्सप्रेस से अपना माल बांग्लादेश ले गए और ले जा रहे हैं।
सोलह पार्सल वैन से युक्त एक विशेष पार्सल एक्सप्रेस मालगाड़ी बांग्लादेश के बेनापोल गई। प्रत्येक पार्सल वैन को सूखी मिर्च की 466 बोरियों से भरा गया था, जिसका वजन लगभग 19.9 टन था और इस प्रकार विशेष पार्सल एक्सप्रेस मालगाड़ी से कुल 384 टन वजन का सामान बांग्लादेश ले जाया गया। मालगाड़ी से मिर्च भेजने के लिए किसानों और व्यापारियों को अब अधिक मात्रा में यानी प्रत्येक खेप में कम से कम 1500 टन से अधिक मिर्च का इंतज़ाम करना आवश्यक होगा। गुंटूर के किसानों और व्यापारियों को इस प्रकार विशेष पार्सल एक्सप्रेस के माध्यम से थोड़ी मात्रा में सूखी मिर्च का परिवहन करके देश की सीमा से बाहर अपने कृषि उत्पाद का विपणन करने में मदद मिली है। विशेष पार्सल एक्सप्रेस से माल ले जाने की लागत प्रति टन 4,608 रुपये आई है, जो सड़क परिवहन के 7,000 रुपये प्रति टन की तुलना में बहुत सस्ती और किफायती है।
भारतीय रेलवे ने पार्सल ट्रेन यातायात को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। छोटे पार्सल आकारों में चिकित्सा आपूर्ति, चिकित्सा उपकरण, भोजन इत्यादि जैसी आवश्यक वस्तुओं का परिवहन बहुत ही महत्वपूर्ण है, जो व्यवसाय के साथ-साथ उपभोग के लिए भी आवश्यक है। इसके लिए भारतीय रेल ने ई-कॉमर्स संस्थाओं और राज्य सरकारों सहित अन्य ग्राहकों द्वारा त्वरित परिवहन के लिए रेलवे पार्सल वैन उपलब्ध कराए हैं। रेलवे आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए चुनिंदा मार्गों पर तय समय पर चलने वाली विशेष पार्सल गाड़ियां चला रहा है। भारतीय रेलवे ने 22 मार्च से 11 जुलाई 2020 तक कुल 4434 पार्सल गाड़ियां चलाईं, जिनमें 4304 गाड़ियां समयबद्ध तरीके से चलने वाली हैं।