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Saturday 18 July 2020 03:25:49 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सही मायनों में यह युवाओं की दुनिया है। विश्व युवा कौशल दिवस और ‘कौशल भारत’ मिशन की पांचवीं वर्षगांठ पर आज डिजिटल स्किल कॉन्क्लेव के लिए प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में युवाओं से कौशल प्राप्त करने, नया कौशल सीखने और कौशल बढ़ाने का आह्वान किया है, ताकि तेजी से बदलता कारोबारी माहौल और बाज़ार स्थितियां उनके लिए निरंतर प्रासंगिक संभव रह सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं में सदैव नए कौशल हासिल करने की व्यापक क्षमता होती है, इसी दिन पांच साल पहले स्किल इंडिया मिशन से कौशल प्राप्त करने, नया कौशल सीखने एवं कौशल बढ़ाने के लिए एक विशाल अवसंरचना का निर्माण हुआ था जिससे स्थानीय एवं विश्वस्तर पर रोज़गार के अवसर बढ़े हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देशभर में सैकड़ों पीएम कौशल केंद्र स्थापित किए गए हैं और आईटीआई परिवेश क्षमता भी काफी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इन ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप पांच वर्ष में पांच करोड़ से भी अधिक युवाओं को ‘कुशल’ बना दिया गया है। कुशल कामगारों और नियोक्ताओं का खाका या विवरण तैयार करने के लिए हालही में लॉंच पोर्टल का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे घर लौटे प्रवासी श्रमिकों सहित अन्य कामगारों को आसानी से नौकरी पाने में मदद मिलेगी, इसके साथ ही नियोक्ताओं को भी माउस को क्लिक करते ही कुशल कर्मचारियों से संपर्क करने में काफी आसानी होगी। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के उत्कृष्ट कौशल से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बदलने में भी काफी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कौशल को एक उत्कृष्ट उपहार के रूपमें वर्णित किया, जिसे हम खुद को दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि कौशल दरअसल अनंत, अद्वितीय, अनमोल खजाना और एक साधन है, जिसके जरिए न केवल रोज़गार पाने लायक बना जा सकता है, बल्कि यह संतोषजनक जीवन जीने में भी मददगार होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए कौशल हासिल करने के स्वाभाविक आकर्षण से व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा उत्पन्न होती है और व्यापक प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने कहा कि कौशल न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि हमारी सामान्य दिनचर्या में स्वयं को जीवंत और ऊर्जावान महसूस करने का एक विशेष गुण या माध्यम भी है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ‘ज्ञान’ और ‘कौशल’ के बीच के अंतर को भी सामने रखा। उन्होंने एक उदाहरण के साथ इसे स्पष्ट किया कि यह जानना कि साइकिल कैसे चलती है, यह ‘ज्ञान’ है, जबकि वास्तव में स्वयं साइकिल चला लेना ‘कौशल’ है। युवाओं के लिए दोनों के बीच के अंतर को समझना और उनके विभिन्न संदर्भों एवं निहितार्थों को महसूस करना अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने बढ़ई के कामकाज का एक उदाहरण देते हुए स्किलिंग, रिस्किलिंग और अपस्किलिंग के बीच की बारीकियों को समझाया।
प्रधानमंत्री ने देश में बड़ी संख्या में उपलब्ध कुशल कामगारों का उपयोग करने के मामले में भारत की व्यापक क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का उदाहरण दिया जहां बड़ी संख्या में उपलब्ध कुशल भारतीय कामगार वैश्विक मांग को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने इस मांग का खाका या विवरण तैयार करने और भारतीय मानकों को अन्य देशों के मानकों के अनुरूप करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि लंबी समुद्री परंपरा का अनुभव रखने वाले भारतीय युवा इस सेक्टर में बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए विश्व में मर्चेंट नेवी में विशेषज्ञ नाविकों के रूपमें अहम योगदान कर सकते हैं। गौरतलब है कि हर साल 15 जुलाई को मनाए जाने वाला ‘विश्व युवा कौशल दिवस’ इस वर्ष वर्चुअल मोड में मनाया गया। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डॉ महेंद्रनाथ पांडेय, कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्यमंत्री आरके सिंह और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के ग्रुप चेयरमैन एएम नाइक ने भी कॉंक्लेव को संबोधित किया। लाखों की संख्या में प्रशिक्षुओं के व्यापक नेटवर्क सहित प्रणाली के सभी हितधारकों ने इसमें भाग लिया।