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Saturday 18 July 2020 05:18:41 PM
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के कारण देश के करीब 240 मिलियन बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने बच्चों की पढ़ाई बचाने के प्रयासों के तहत ऑनलाइन माध्यम से डिजिटल शिक्षा पर ‘प्रज्ञाता’ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से सभी स्कूल बंद हैं और इससे देशभर के स्कूलों में नामांकित बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, स्कूलों के इस तरह आगे भी बंद रहने से बच्चों को सीखने के मौकों की हानि हो सकती है। रमेश पोखरियाल ने कहा कि शिक्षा पर कोरोना महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए स्कूलों को न केवल अबतक पढ़ाने और सिखाने के तरीके को बदलकर फिरसे शिक्षा प्रदान करने के नए मॉडल तैयार करने होंगे, बल्कि घर पर स्कूली शिक्षा और स्कूल में स्कूली शिक्षा के एक स्वस्थ मिश्रण के माध्यम से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की एक उपयुक्त विधि भी पेश करनी होगी।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने बताया कि ‘प्रज्ञाता’ दिशा-निर्देश विद्यार्थियों के दृष्टिकोण से विकसित किए गए हैं, जो लॉकडाउन के कारण अभी घरों पर मौजूद छात्रों के लिए ऑनलाइन/ मिश्रित/ डिजिटल शिक्षा पर केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा पर जारी ये दिशा-निर्देश शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने की विस्तृत कार्ययोजना या संकेत प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रमुखों, शिक्षकों, अभिभावकों, शिक्षकों के प्रशिक्षकों और छात्रों सहित हितधारकों के विविध समूहों के लिए ये दिशा-निर्देश प्रासंगिक और उपयोगी होंगे। रमेश पोखरियाल ने कहा कि दिशा-निर्देशों में उन छात्रों के लिए जिनके पास डिजिटल उपकरण हैं और उन छात्रों के भी लिए जिनके पास डिजिटल उपकरण तक सीमित या कोई पहुंच नहीं है, दोनों के लिए एनसीईआरटी के वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर के उपयोग पर जोर दिया गया है। प्रज्ञाता दिशा-निर्देशों में ऑनलाइन शिक्षा के आठ चरण-योजना, समीक्षा, व्यवस्था, मार्गदर्शन, याक (बात), असाइन, ट्रैक और सराहना शामिल हैं। ये आठ चरण उदाहरणों के साथ चरणबद्ध तरीके से डिजिटल शिक्षा की योजना और कार्यांवयन का मार्गदर्शन करते हैं।
मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने इस अवसर पर कहा कि ऑनलाइन शिक्षा ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर उत्पन्न कमियों को काफी हद तक दूर किया है, लेकिन छात्रों को शिक्षित करने के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन दिशा-निर्देशों से छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों, स्कूल प्रमुखों और हितधारकों को ऑनलाइन सुरक्षा विधियों को सीखने में मदद मिलेगी। संजय धोत्रे ने प्रज्ञाता दिशा-निर्देशों को लाने के लिए मंत्रालय के प्रयासों की सराहना भी की, जो एक सुरक्षित डिजिटल शिक्षण वातावरण प्रदान करेगा। प्रज्ञाता दिशा-निर्देश स्कूल प्रशासकों, स्कूल प्रमुखों, शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को विभिन्न सुझाव भी प्रदान करते हैं जैसे-ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा की योजना बनाते समय कक्षा के हिसाब से सत्र की अवधि, स्क्रीन समय, समावेशिता, संतुलित ऑनलाइन और ऑफ़लाइन गतिविधियों आदि से सरोकार। हस्तक्षेप के तौर-तरीके जिनमें संसाधन अवधि, कक्षा के हिसाब से उसका वितरण आदि शामिल हैं। डिजिटल शिक्षा के दौरान शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती, साइबर सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सावधानियों और उपायों सहित साइबर सुरक्षा और नैतिक प्रथा।
प्रज्ञाता दिशा-निर्देश स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के लिए साइबर सुरक्षा और गोपनीयता उपायों को सुनिश्चित करते हुए डिजिटल शिक्षा को लागू करने के लिए मूल्यांकन जरूरत, योजना और कदमों के बारे में बताते हैं। यह विशेष रूपसे सक्षम छात्रों को प्रदान किए जाने वाले मदद को भी रेखांकित करता है। इसमें छात्रों के स्तर के अनुसार एक आवश्यक पैमाने के रूपमें स्क्रीन समय को ध्यान में रखते हुए संतुलित ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों पर जोर है। इस पहल में स्वयंप्रभा, दीक्षा, स्वयं मूक्स, रेडियो वाहिनी, शिक्षा वाणी, विशेष रूपसे सक्षम बच्चों के लिए विशेष सामग्री और आईटीपीएएल शामिल हैं। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में शिक्षा के डिजिटल साधनों पर जाने के लिए विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के स्तर के संगठनों और राष्ट्रीयस्तर के संगठनों को बदलाव के लिए हाथ मिलाने की जरूरत है, ताकि यह व्यवस्था कोविड-19 के बाद भी कारगर रहे।