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भारत-यूरोपीय संघ में वैज्ञानिक सहयोग बढ़ा

समझौते पर भारत और यूरोपीय संघ की वर्चुअल बैठक हुई

अनुसंधान व नवाचार सहयोग को बढ़ाने में मदद मिलेगी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 18 July 2020 05:51:44 PM

virtual meeting of india and european union

नई दिल्ली। भारत और यूरोपीय संघ 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में पांच वर्ष 2020-2025 के लिए वैज्ञानिक सहयोग पर समझौते को नवीकृत कर रहे हैं। वैज्ञानिक सहयोग पर समझौते पर भारत-यूरोपीय संघ की वर्चुअल बैठक हुई, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जबकि यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के ने किया। समझौते के अनुसार भारत और यूरोपीय संघ ने 2001 में हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते के अनुरूप आपसी लाभ और पारस्परिक सिद्धांतों के आधार पर अनुसंधान एवं नवाचार में भविष्य में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। वर्ष 2001 में हुआ यह समझौता मई 2017 में समाप्त हो गया था। बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों समयबद्ध तरीके से नवीकृत प्रक्रिया शुरू करने और अनुसंधान एवं नवाचार में 20 वर्ष के मजबूत सहयोग को अंगीकृत करने के लिए वचनबद्ध हैं।
भारत और यूरोपीय संघ में सहयोग समझौते से जल, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, एग्रीटेक और जैव स्वायत्ता, एकीकृत साइबर-भौतिक प्रणाली, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी और स्वच्छ प्रौद्योगिकी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार सहयोग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा अनुसंधान, शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान, छात्रों, स्टार्टअप और ज्ञान के सह-सृजन के लिए संसाधनों के सह-निवेश में संस्थागत संबंधों को और मजबूती मिलेगी। इससे पूर्व केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भारतीय हितधारकों विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और सीएसआईआर के साथ भारत-यूरोपीय संघ के एसएंडटी समझौते की समीक्षा के लिए वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में राष्ट्रों के मध्य एसएंडटी सहयोग पर समझौते के नवीनीकरण का सुझाव भी प्राप्त हुआ।
पिछले 5 वर्ष के संबंधों का स्मरण करते हुए कहा गया है कि इस दौरान कार्यांवित की गईं 73 संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के परिणामस्वरूप लगभग 200 संयुक्त शोध प्रकाशन और कुछ पेटेंट दाखिल किए गए। इस अवधि में शोधकर्ताओं और छात्रों के 500 आदान-प्रदान दौरे भी हुए हैं। पांच वर्ष में ज्ञान निर्माण, मानव क्षमता विकास, प्रौद्योगिकी विकास, जल, स्वास्थ्य, सामग्री और जैव-स्वायत्तता में संयुक्त गतिविधियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। समीक्षा बैठक में डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, डीबीटी की सचिव डॉ रेणु स्वरूप, सीएसआईआर के महानिदेशक प्रोफेसर शेखर मंडे, एमओईएस के वैज्ञानिक परविंदर मैनी, बर्लिन में भारतीय दूतावास के वैज्ञानिक काउंसलर एन मधुसूदन रेड्डी, डॉ एसके वार्ष्णेय और संबंधित अधिकारी भी शामिल हुए।

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