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भारत-रूस एक दूसरे की प्रौद्योगिकी अपनाएंगे

भारत-रूस प्रौद्योगिकी व त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम शुरू

दोनों देश साझेदारी में इस कार्यक्रम को धन उपलब्‍ध कराएंगे

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 25 July 2020 04:00:57 PM

india-russia joint technology assessment and accelerated commercialization programme

नई दिल्ली। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और रूस के लघु नवीन उद्योगों की सहायता के लिए फाउंडेशन (एफएएसआईई) की साझेदारी के साथ भारत-रूस संयुक्त प्रौद्योगिकी आकलन और त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संचालित भारत-रूस एसएमई और स्टार्टअप को प्रौद्योगिकी विकास के लिए और एक-दूसरे देश की प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए संयुक्त अनुसंधान एवं विकास हेतु जोड़ेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा है कि भारत-रूस के बीच लंबे समय से द्विपक्षीय वैज्ञानिक सहयोग है और दोनों के बीच संयुक्त प्रौद्योगिकी आकलन और त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक और मजबूत कदम है।
प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि यह पहल बहुत ही सामयिक है, जिसमें हम वैसी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए संयुक्त बौद्धिक और वित्तीय संसाधनों का लाभ उठा सकते हैं, जो कल के लिए समाधान प्रदान करेंगे। रूस में भारतीय राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा ने कहा कि भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में से एक है और इनकी बड़ी संख्या देश की जबरदस्त प्रतिभा का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी वाले नवाचार और उद्यमिता दोनों देशों की प्राथमिकताएं हैं और यह एजेंडे पर एक महत्वपूर्ण बिंदु होगा, क्योंकि इस साल के अंत में भारत की यात्रा पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आने की संभावना है। डीबी वेंकटेश वर्मा ने कहा कि भारत-रूस के बीच वैज्ञानिक सहयोग का इतिहास है और इस पहल के साथ हम व्यावसायीकरण की दिशा में अगला कदम बढ़ाने जा रहे हैं। रूस के लघु नवीन उद्योगों की सहायता के लिए फाउंडेशन के महासचिव सर्गेई पॉलिअकोव ने कहा कि हम भारत-रूस संयुक्त प्रौद्योगिकी आकलन और त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम शुरू करके बेहद खुश हैं।
फाउंडेशन के महासचिव सर्गेई पॉलिअकोव ने कहा कि हम बड़े विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेष और उद्यमशीलता पारिस्थितिक तंत्र में भारत के ज्ञान और विशेषज्ञता से अवगत हैं और इस कार्यक्रम में भारत के साथ भागीदारी करने के लिए हम बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कार्यक्रम के माध्यम से लाभांवित नवाचारों और प्रौद्योगिकियों से हमें नई सामान्य चुनौतियों का सामना करने और उनसे निपटने में काफी मदद मिलेगी। फिक्की के महासचिव दिलीप चेनॉय ने कहा कि भारत-रूस संयुक्त प्रौद्योगिकी आकलन और त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग को और मजबूत बनाने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इस पहल से विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संचालित भारत-रूस एसएमई और स्टार्ट-अप के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जाएगा, जिसमें सभी मिलकर नए तकनीकी समाधान विकसित कर सकें। उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह आश्वस्त हैं कि इस तरह के सहयोग स्थायी विकास की ओर अग्रसर दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में जान फूंकने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेंगे।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के सलाहकार और प्रमुख एसके वार्ष्णेय ने कहा कि दोनों देश कई दशक से विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग के क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप ज्ञान सृजन, आदर्श विकास और संस्थान का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि अब ज्ञान को उत्पादों में परिवर्तित करने की आवश्यकता है और इस तरह के कार्यक्रम से भारत-रूस के वैज्ञानिक और प्रोडक्शन हाउसेज, शोधकर्ताओं और उद्यमियों को न सिर्फ दोनों देशों, बल्कि विश्वस्तर पर सामाजिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि यह कार्यक्रम दो वार्षिक चक्रों के माध्यम से चलेगा, जिसमें प्रत्येक चक्र के तहत पांच परियोजनाओं को वित्तपोषित किया जाएगा। इसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रित परियोजनाएं चलेंगी, जिनमें आईटी एवं आईसीटी (एआई, एआर, वीआर सहित), मेडिसिन एंड फार्मास्युटिकल्स, अक्षय ऊर्जा, एयरोस्पेस, वैकल्पिक प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, नवीन सामग्री, जैव प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स और ड्रोन शामिल हैं, लेकिन ये इन्हीं तक सीमित नहीं हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से देश में कार्यक्रम का कार्यांवयन फिक्की करेगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग दो साल की अवधि में दस भारतीय एसएमई/ स्टार्टअप को 15 करोड़ रुपये तक का फंड देगा और रूस के लघु नवीन उद्योगों की सहायता के लिए फाउंडेशन भी रूसी परियोजनाओं को इतना ही धन मुहैया कराएगा। इसके तहत भारत से कम से कम एक स्टार्ट-अप/ एसएमई और रूस से एक एसएमई की भागीदारी के साथ संयुक्त रूपसे चयनित परियोजनाओं के लिए आंशिक सार्वजनिक धन तक पहुंच प्रदान कराया जाएगा। चयनित परियोजनाओं को आंशिक धन के साथ-साथ स्वयं के धन या धन के वैकल्पिक स्रोतों के माध्यम से खर्च वहन करने की आवश्यकता होगी। वित्तीय सहायता के अलावा, टीमों को क्षमता निर्माण, संरक्षण और व्यावसायिक विकास के माध्यम से भी मदद दी जाएगी। कार्यक्रम के लिए दो व्यापक श्रेणियों अर्थात संयुक्त भागीदारी परियोजनाओं और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/ अनुकूलन के तहत आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। कॉल के पहले दौर के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2020 है। इस उद्देश्य के लिए एक समर्पित पोर्टल www.indiarussiainnovate.org विकसित किया गया है।

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