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Wednesday 12 August 2020 02:34:03 PM
नई दिल्ली। आयकर विभाग ने राजधानी दिल्ली में कुछ चीनी व्यक्तियों और उनके भारतीय सहयोगियों की जाली संस्थाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से मनी लॉंडरिंग और हवाला जैसे लेन-देन में शामिल होने की विश्वसनीय जानकारी के आधार इन चीनी संस्थाओं के विभिन्न परिसरों, इनके करीबियों और इनसे जुड़े बैंक कर्मचारियों के खिलाफ एक गहन तलाशी अभियान चलाया, जिसमें पता चला है कि इन चीनी व्यक्तियों के इशारे पर भारत में विभिन्न फर्जी संस्थाओं के 40 से भी अधिक बैंक खाते खोले गए थे और एक निश्चित समयावधि के भीतर ही इनमें 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि भी जमा की गई थी। भारत-चीन के बीच संबंध खराब हुए तो ऐसे भंडाफोड़ किए जा रहे हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि इनमें बड़े-बड़े लोग धड़ल्ले से शामिल हैं।
आयकर विभाग ने पता लगाया है कि चीनी कंपनी की एक सहायक इकाई और उससे संबंधित जाली संस्थाओं ने भारत में खुदरा शोरूम खोलने के कारोबार केलिए जाली संस्थाओं से 100 करोड़ रुपये से अधिक की अग्रिम धनराशि प्राप्त की है। आयकर विभाग को तलाशी के दौरान हवाला लेन-देन और मनीलॉंडरिंग के दस्तावेजों को नष्ट करने में कुछ बैंक कर्मचारियों और सनदी लेखाकारों के सक्रिय रूपसे संलिप्त होने की भी जानकारी मिली। इसमें हांगकांग और अमेरिकी डॉलर के विदेशी हवाला लेन-देन के सबूतों का भी खुलासा हुआ है। इस मामले में आगे की जांच प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है। आयकर विभाग ने यह कहकर अपनी जांच और छापेमारी का दायरा बढ़ा दिया है। यद्यपि यह भी बहुत कुछ सामने है कि भारत-चीन संबंधों की मधुरता के दौरान कौन-कौन सफेदपोश इस धंधे में संलिप्त हैं।
गौरतलब है कि भारत और चीन की ऐसी संस्थाओं के बीच हवाला और फर्जीवाड़ा कोई आज से नहीं चल रहा है, बल्कि इन पांच-छह वर्षों में इसमें बहुत ज्यादा विस्तार होता सामने आया है। कहा जाता है कि यह सब सरकार की जानकारी में भी रहा है और भारत-चीन संबंधों के खराब होने के बाद भारत ने चीन की कंपनियों पर डंडा चलाया हुआ है, उनमें इन संस्थाओं की भी फाइल खुल गई है। इनमें भारत-चीन के बीच में चलने वाले कुछ एनजीओ और बैंक भी हैं, जो सामाजिक सेवा की आड़ में अपने दूसरे बड़े धंधों और आर्थिक लेनदेन को धड़ल्ले से चला रहे हैं। वास्तविकता यह है कि ये भारत विरोधी अभियान हैं, जो चीन ही नहीं बल्कि और भी दूसरे देश चला रहे हैं और जिनमें स्थानीय संलिप्तता बड़े ही खतरनाक स्तर पर है। यह भी एक तथ्य है कि इसमें भारत के ही अनेक स्वनामधन्य लोग शामिल हैं, जिनकी उच्च राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों एवं कारोबारियों तक मजबूत पकड़ है।
जानकारी मिल रही है कि इस संबंध में विभिन्न नामों से रह रहे एक चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया गया है। यह व्यक्ति मणिपुर में रहकर मनी लॉंडरिंग और हवाला कारोबार कर रहा था। बताया जा रहा है कि यह चीन के अलावा पाकिस्तान कनाडा और अमेरिका के लिए भी यह काम कर रहा था। इसे दूसरी बार गिरफ्तार किया गया है। इस मामले की जांच ईडी को सौंपे जाने की खबर है और यह भी खबर है कि इस मामले में कई स्थानों पर छापेमारी भी की गई है। यहां पर एक सवाल आयकर अधिकारियों एवं आर्थिक अपराध पर निगरानी रखने वालों से यह जवाब मांग रहा है कि वे अबतक क्या कर रहे थे? क्या भारत सरकार के आयकर विभाग के संबंधित अधिकारी भी इसके साथ शामिल हैं, जिनसे किसी लेनदेन के विवादस्वरूप यह भांडाफोड़ किया गया? आर्थिक अपराध विशेषज्ञ मानते हैं कि इसमें आयकर अधिकारियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता और यह लेनदेन के झगड़े का परिणाम लगता है। बहरहाल यह बात स्थापित होती है कि यह भारत सरकार के आयकर विभाग की एक बड़ी विफलता का मामला है और ऐसा एक जगह नहीं, बल्कि कई जगहों पर संलिप्तता का यह धंधा चलता आ रहा है।