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'जम्मू-कश्मीर में आरटीआई क्रियाशील'

'आरटीआई की निपटान दर महामारी से अप्रभावित रही है'

राज्यमंत्री की सीआईसी व राज्य सूचना आयुक्तों संग बैठक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 25 August 2020 02:59:54 PM

rti is fully functional in jammu and kashmir: dr.jitendra singh

नई दिल्ली। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आरटीआई निपटान दर महामारी से अप्रभावित रही है और समय के कुछ अंतरालों को देखते कुछ महीने में तो सामान्य से भी अधिक रही है। सीआईसी और राज्य सूचना आयुक्तों की बैठक में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब से नरेंद्र मोदी सरकार है, पारदर्शिता और नागरिक केंद्रीयता गवर्नेंस मॉडल की कसौटी बन गई है। उन्होंने कहा कि छह वर्ष में सूचना आयोगों की स्वतंत्रता एवं संसाधनों को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रत्येक प्रबुद्ध निर्णय लिया गया और जितना शीघ्र संभव हुआ, सारे रिक्त पदों को भर दिया गया। सांख्यिकी के आंकड़ों को संदर्भित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आरटीआई निपटान दर महामारी से अप्रभावित रही है और मार्च से जुलाई 2020 तक केंद्रीय सूचना आयोग के मामलों का निपटान इससे पिछले वर्ष के लगभग समान था।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि जून 2020 में आरटीआई निपटान दर जून 2019 की तुलना में अधिक थी और सबने इस बात पर गौर किया। उन्होंने कहा कि समाज एवं राष्ट्र को प्राप्त इस प्रबलता ने साबित किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशीलता को कुछ भी नहीं डिगा सकता। डॉ जितेंद्र सिंह ने यह सुझाव भी दिया कि सूचना प्राधिकारियों को बचे जा सकने वाले आरटीआई से बचने पर विचार करना चाहिए और रेखांकित किया कि लगभग सभी सूचनाएं सार्वजनिक कार्यक्षेत्र में मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दुहराव और दिग्भ्रमित आरटीआई से बचने पर लंबित मामलों और कार्य के बोझ में कमी आएगी तथा दक्षता बढ़ेगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयोग और इसके पदाधिकारियों को इसका श्रेय जाता है कि इस वर्ष 15 मई को केंद्रीय सूचना आयोग ने वर्चुअल माध्यमों के जरिये जम्मू एवं कश्मीर में आरटीआई पर ध्यान देना, उनकी सुनवाई करना और निपटान करना आरंभ कर दिया था।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि अब भारत का कोई भी नागरिक जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख से संबंधित मामलों के संबंध में आरटीआई दायर कर सकता है जो 2019 के पुनर्गठन अधिनियम से पहले जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व राज्य के नागरिकों के लिए ही आरक्षित था। यहां यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि 2019 के जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के अनुवर्ती वहां जम्मू एवं कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम 2009 और उसके तहत नियम निरस्त कर दिए गए और वहां सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और उसके तहत नियम 31.10.2019 से प्रभावी कर दिए गए। इस कदम की जम्मू एवं कश्मीर के लोगों तथा यूटी के प्रशासन ने बहुत सराहना की है। मुख्य सूचना आयुक्त बिमल जुल्का ने कहा कि आयोग ने बहुत प्रभावी तरीके से लॉकडाउन एवं उसके बाद अपनी परस्पर संवाद मूलक एवं लोकसंपर्क गतिविधियों को जारी रखा। उन्होंने कहा कि इनमें सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों एवं भारत के राष्ट्रीय सूचना आयोग फेडेरेशन के सदस्यों के साथ वीडियो कॉंफ्रेंसिंग शामिल है।

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