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Wednesday 26 August 2020 03:24:35 PM
महू/ इंदौर। भारतीय सेना ने भविष्य में होने वाले युद्ध दर्शन पर बाधाकारी प्रौद्योगिकी से पड़ने वाले प्रभाव पर वेब सेमिनार आयोजित किया। युद्ध विद्या के नए आयाम उभरने एवं बाधाकारी तकनीकों के आगमन से युद्ध विद्या में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। सेमिनार में कहा गया है कि तकनीक की एक सुनामी बह रही है और यह सेनाओं को भविष्य में होने वाले युद्धों को नए ढंग से व्यवस्थित और पुनर्गठित करने के लिए विवश करेंगी। बाधाकारी प्रौद्योगिकी से पड़ने वाले प्रभाव के विभिन्न आयामों को समझने के लिए रक्षा एवं रणनीति सेमिनार 2020 के हिस्से के तौरपर महू के आर्मी वॉर कॉलेज में 'भविष्य के युद्ध दर्शन पर बाधाकारी प्रौद्योगिकी की वजह से पड़ने वाला प्रभाव' विषय पर यह सेमिनार हुआ।
कोविड प्रतिबंधों के कारण यह सेमिनार देशभर में फैले 54 स्थानों और 82 आउट स्टेशंस पर एक वेबिनार के तौरपर हुआ, जिसमें शामिल होने वाले पैनल के सदस्यों में विषय विशेषज्ञ, तकनीकविद, विद्याविद एवं विषय के विभिन्न आयामों से सबंधित वक्ता शामिल थे, जो प्रासंगिक विषयों पर चर्चा के माध्यम से विचारों को मंच प्रदान कर उनको औपचारिक पेपर एवं सिद्धांत के रूपमें विकसित करने आए थे। आर्मी ट्रेनिंग कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने प्रभावशाली मुख्य भाषण के साथ सेमिनार का शुभारंभ किया। इस दौरान बाधाकारी प्रौद्योगिकी जैसे क्लाउड कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमता, ऑगमेंटेड रियलिटी व वर्चुअल रियलिटी, रोबोटिक्स, बिग डाटा एनालिटिक्स, साइबर, स्माल सैटेलाइट, 5जी/6जी, क्वांटम कंप्यूटिंग एवं साइबर युद्ध पर विस्तार से चर्चा की गई।
भारतीय सेना के लिए यह सेमिनार विशेष राष्ट्रीय महत्व के सैद्धांतिक एवं रणनीतिक मुद्दों पर विचारों के प्रसार का माध्यम एवं इसका परिणाम जटिल विषयों पर अंतर्दृष्टि की प्राप्ति करने में हुआ। थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकंद नरवणे ने भारतीय सेना को मूल्यवान रणनीतिक दिशानिर्देश प्रदान करने के लिए सेमिनार में भाग लिया। सेना प्रमुख ने युद्ध एवं युद्धविद्या में बाधाकारी प्रौद्योगिकी के प्रभाव को चिह्नांकित किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि आधुनिकीकरण की मौजूदा मुहिम हथियारों की वर्तमान प्रणाली को उन्नत बनाने पर केंद्रित है तथा सशस्त्र बलों को ऐसी उपलब्ध बाधाकारी प्रौद्योगिकी पर पर्याप्त ज़ोर देना होगा जिनका दोहरा इस्तेमाल है एवं जो वाणिज्यिक संस्थाओं व नवाचारों द्वारा संचालित हैं।
सेना प्रमुख ने कहा कि सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की रणनीति में सैन्य अनुप्रयोगों में आवश्यकताओं एवं उत्पादों की पहचान करने वाला व्यापक राष्ट्रीय अभियान शामिल होना चाहिए। सेना प्रमुख ने आर्मी वॉर कॉलेज को इसके सफल आयोजन की बधाई दी। गौरतलब है कि महू मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के इंदौर जिले का एक छोटा सा छावनी कस्बा है और यहां भारतीय थलसेना के कई इकाईयां हैं। यहां पर इंफैंट्री स्कूल, सेना का संचार प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और थलसेना का युद्ध महाविद्यालय है।