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Saturday 5 September 2020 03:35:54 PM
मॉस्को/ नई दिल्ली। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के लिए, जहां विश्व की 40 फीसदी आबादी रहती है, विश्वास और सहयोग के माहौल, गैर-आक्रामकता, अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानदंडों के प्रति सम्मान, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता और मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है। रक्षामंत्री ने मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन, सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन और स्वतंत्र देशों के राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों के रक्षामंत्रियों की संयुक्त बैठक में कहा कि यदि मैं प्रधानमंत्री के एक अलग संदर्भ में दिए गए विचार को अपनाऊंगा तो हमारा लक्ष्य 'क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास' होना चाहिए। रक्षामंत्री ने चीन के रक्षामंत्री जनरल वेई फेंगहे के आग्रह पर उनसे मुलाकात भी की, जिसमें दोनों देशों के बीच तनाव के मुद्दे चर्चा में आए और रक्षामंत्री ने साफ कर दिया कि चीन को क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए अपनी सेना पीछे हटानी ही पड़ेगी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दुनिया के सामने मंडराते खतरों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों खासकर आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, सीमा के आरपार अपराध से निपटने के लिए संस्थागत क्षमता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की निंदा करता है और इसके समर्थकों की भी निंदा करता है। उन्होंने कहा कि भारत शंघाई सहयोग संगठन की क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना के कामकाज को महत्व देता है। उन्होंने कट्टरपंथ और उग्रवाद के प्रसार को रोकने के लिए साइबर क्षेत्र में हाल में किए गए आरएटीएस के कामों की हमने सराहना की। रक्षामंत्री ने कहा कि चरमपंथी प्रचार और डी-रेडिकलाइज़ेशन का मुकाबला करने के लिए एससीओ परिषद द्वारा आतंकवाद विरोधी उपायों को अपनाना एक महत्वपूर्ण निर्णय है। रक्षामंत्री ने एससीओ की बैठक के दौरान पाकिस्तान और उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर भी निशाना साधा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने फारस की खाड़ी क्षेत्र की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत का फारस की खाड़ी के सभी देशों के साथ अपना अहम हित है और वहां की सभ्यता और संस्कृति के साथ जुड़ाव है, इस क्षेत्र के सभी देश भारत के प्रिय हैं और हमारे संबंध मित्रवत रहे हैं, इसलिए हम इस क्षेत्र के देशों से परस्पर सम्मान, संप्रभुता और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप के आधार पर बातचीत द्वारा मतभेदों को हल करने का आग्रह करते हैं। अफगानिस्तान की स्थिति पर राजनाथ सिंह ने कहा कि वहां सुरक्षा की स्थिति चिंता का विषय है और भारत अफगानिस्तान की अगुवाई वाली अफगानिस्तान के स्वामित्व वाली और अफगान नियंत्रित समावेशी शांति प्रक्रिया के लिए अफगानिस्तान सरकार के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर एससीओ का संपर्क समूह एससीओ सदस्य देशों के बीच नोटों के आदान-प्रदान के लिए उपयोगी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक सुरक्षा संरचना के विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो सबके लिए खुली, पारदर्शी, समावेशी, नियम-आधारित और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुकूल होगी। रक्षा मंत्री ने वार्षिक आतंकरोधी अभ्यास ‘पीस मिशन’ के आयोजन के लिए रूसी संघ को धन्यवाद दिया, जिसने रक्षाबलों के बीच विश्वास का निर्माण और अनुभव साझा करने में योगदान दिया है। चीन के रक्षामंत्री जनरल वेई फेंगहे की मौजूदगी में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बड़े कूटनीतिक तरीके से बगैर नाम लिए भारत-चीन सीमा पर चीन द्वारा उत्पन्न गंभीर सैन्य तनाव पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि उकसावे का आक्रामक रवैया ठीक नहीं है, मतभेदों को दूर करने के लिए विश्वास बहुत जरूरी है। गौरतलब है कि राजनाथ सिंह रूस के रक्षामंत्री जनरल सर्गेई शोइगू के निमंत्रण पर मॉस्को की आधिकारिक यात्रा गए हुए थे।