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Saturday 12 September 2020 12:40:23 PM
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को टिकट देने वाले राजनीतिक दलों के लिए आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रकाशन के मसले पर एक बैठक में विस्तार से विचार-विमर्श किया है, जिसमें चुनाव आयोग ने अपने पूर्व के दिशा-निर्देशों को संशोधित किया है। इन संशोधित निर्देशों की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के साथ-साथ उन्हें चुनाव में उतारने वाले राजनीतिक दलों को उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि होने की स्थिति में विभिन्न तरीके से इसका समाचार पत्रों में प्रकाशन और टेलीविजन पर प्रसारण करना होगा, इसमें पहला प्रकाशन और प्रसारण नाम वापसी की अंतिम तारीख से पहले 4 दिन के भीतर करना होगा, दूसरा प्रकाशन प्रसारण नाम वापसी की अंतिम तारीख से 5 से 8 दिन के भीतर और तीसरा प्रकाशन-प्रसारण 9वें दिन से प्रचार के अंतिम दिन तक करना होगा।
चुनाव आयोग ने अपराधी और अपराधिक छवि के उम्मीदवारों एवं उनको चुनाव में उतारने वाले राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रकाशन से संबंधित निर्देशों को अधिक सुव्यवस्थित करने की कोशिश की है। चुनाव आयोग ने कहा है कि देश में लोकतंत्र की व्यापक बेहतरी के लिए ही इस नैतिक मापदंड पर हमेशा से जोर दिया है। गौरतलब है कि 10 अक्टूबर 2018 और 6 मार्च 2020 को चुनाव आयोग ने अपराधी उम्मीदवारों और उनके राजनीतिक दलों के संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किए थे, यह बैठक उन्हीं आदेशों के अनुपालन को लेकर आयोजित की गई थी, जिसमें निर्देशों को संशोधित करते हुए और ज्यादा बाध्यकारी बनाया गया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनाव में निर्विरोध खड़े होने और जीतने वाले उम्मीदवारों को भी नाम तय करते समय राजनीतिक दलों से संबंधित प्रकाशन की तरह उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को सुझाई गई प्रक्रिया के तहत अपना प्रकाशन व प्रसारण करना होगा।
भारत निर्वाचन आयोग के फैसले के तहत हितधारकों के फायदे के लिए इस मामले में अभी तक सभी निर्देशों और प्रारूपों के संकलन को प्रकाशित किया जारहा है। इससे मतदाताओं और हितधारकों को ज्यादा जागरूक बनाने में सहायता मिलेगी। इस संबंध में सभी निर्देशों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों और उन्हें चुनाव में उतारने वाले राजनीतिक दलों द्वारा संकलन किया जाना चाहिए। ये संशोधित निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि इससे मतदाताओं को ज्यादा सोच समझकर अपनी पसंद तय करने में सहायता मिलेगी।