स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 14 September 2020 03:47:27 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज हिंदी दिवस पर कहा है कि हमें अपनी भाषाई विविधता पर गर्व होना चाहिए, हमारी भाषाएं हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं और उनका समृद्ध साहित्यिक इतिहास है। उपराष्ट्रपति अपने निवास से 'मधुबन एजुकेशनल बुक्स' के समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन 1949 में हमारी संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूपमें स्वीकार किया था। उपराष्ट्रपति ने 1946 में गांधीजी के लेख को उद्धृत करते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की नींव पर ही राष्ट्रभाषा की भव्य इमारत खड़ी होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभाषा और क्षेत्रीय भाषाएं एक दूसरे की पूरक हैं विरोधी नहीं। वेंकैया नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी और डॉ राजेंद्र प्रसाद का सुझाया मार्ग ही हमारी भाषाई एकता को सुदृढ़ कर सकता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि हमारी हर भाषा वंदनीय है, कोई भी भाषा हमारे संस्कारों की तरह शुद्ध और हमारी आस्थाओं की तरह पवित्र होती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि न कोई भाषा थोपी जानी चाहिए न किसी भाषा का कोई विरोध होना चाहिए। उन्होंने बल दिया कि समावेशी और स्थायी विकास के लिए शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी ही चाहिए, इससे बच्चों को स्वयं अभिव्यक्त करने में और विषय को समझने में आसानी हो, पढ़ने में रुचि पैदा हो। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय भाषाओं और संस्कृति के महत्व को स्वीकार किया गया है। वेंकैया नायडू ने कहा कि इसके लिए हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अच्छी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करानी होंगी और इसमें प्रकाशकों की भी अहम भूमिका रहेगी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं का विकास साथ ही हो सकता है, हम अन्य भारतीय भाषाओं के कुछ न कुछ मुहावरे, शब्द या गिनती जरूर सीखें।
वेंकैया नायडू ने सलाह दी कि हिन्दी में भी छात्रों को अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य और प्रख्यात साहित्यकारों से परिचित कराया जाए तथा हिंदी के साहित्यकारों, उनकी कृतियों से अन्य भाषाई क्षेत्रों को परिचित कराया जाए। वेंकैया नायडू ने कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को सीखना आसान होगा, क्योंकि राष्ट्र के संस्कार और विचार तो समान ही हैं। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी मातृभाषा का सम्मान करें, रोजमर्रा के कामों में उसका प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि हिंदी और देश की भाषाओं का साहित्य पढ़ें, उसमें लिखे, तभी हमारी भाषाओं का विकास होगा, वे समृद्ध होगीं। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने हिंदी शिक्षकों का अभिनंदन भी किया।