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Tuesday 15 September 2020 05:25:33 PM
नई दिल्ली। चीन ने लद्दाख में भारत की लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अनधिकृत रूपसे कब्जा किया हुआ है, इसके अलावा 1963 में एक तथाकथित सीमा-समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके की 5180 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि अवैध रूपसे चीन को सौंपी हुई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में आज भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर मौजूदा स्थिति बयान करते हुए यह जानकारी दी। रक्षामंत्री ने स्पष्ट कहा कि हम शांतिपूर्ण संबंध एवं समाधान चाहते हैं और हमारी सेना कहीं से भी पीछे नहीं हटेगी और एलएसी पर हर स्थिति का सामना करने को तैयार है। रक्षामंत्री ने कहा कि एलएसी का सम्मान करना और उसका कड़ाई से पालन किया जाना ही सीमा क्षेत्रों में शांति और अभिव्यक्ति का आधार है जिसे 1993 और 1996 के समझौतों में स्पष्ट रूपसे स्वीकार किया गया है।
रक्षामंत्री ने लोकसभा में बताया कि इस साल अप्रैल महीने से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन सेना के सैनिकों की संख्या और उनके आयुध में वृद्धि देखी गई है, जिससे स्पष्ट है कि चीन की यह कार्रवाई हमारे विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों की अवहेलना है। उन्होंने कहा कि सीमा पर चीनी सैनिकों की भारी मात्रा में तैनाती 1993 और 1996 के समझौतों का स्पष्ट उल्लंघन है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि मई के प्रारंभ में चीन ने गलवान घाटी में हमारे सैनिकों के सामान्य, पारंपरिक गश्त पैटर्न में व्यवधान शुरू किया, जिसके कारण सामना करने की स्थिति उत्पन्न हुई। उन्होंने कहा कि बीते समय में भी कई बार चीन के साथ हमारे सीमा क्षेत्रों में लम्बे स्टैंड-ऑफ की स्थिति बनी है, जिसका शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया गया था। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं और हम चाहते हैं कि इस मामले में चीनी पक्ष हमारे साथ मिलकर काम करे। उन्होंने कहा कि हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
रक्षामंत्री ने भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा मुद्दों का हल बातचीत और परामर्श के जरिए हल किए जाने की प्रतिबद्धता को बार-बार दोहराया है। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य से ही मैं अपने चीनी समकक्ष से 4 सितंबर को मास्को में मिला और उनसे गहन चर्चा की। राजनाथ सिंह ने बताया कि उन्होंने स्पष्ट तरीके से चीनी पक्ष के समक्ष भारत की संबंधित चिंताओं को रखा जिनमें बड़ी संख्या में चीन के सैनिकों की तैनाती, उनका आक्रामक व्यवहार और एकतरफा स्थिति को बदलने की कोशिश है जो द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है। राजनाथ सिंह ने बताया जब ये चर्चा चल ही रही थी, तब चीन की तरफ से 29 और 30 अगस्त की रात को उत्तेजक सैनिक कार्रवाई की जा रही थी, जो पैंगोंग झील के साउथ बैंक क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने का प्रयास था। राजनाथ सिंह ने कहा कि लेकिन एक बार फिर हमारी सेना ने समय पर कार्रवाई की जिस कारण चीन सेना के ये प्रयास सफल नहीं हो पाए।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह समय है जब यह सदन अपनी सशस्त्र सेनाओं के साहस और वीरता पर पूर्ण विश्वास जताते हुए उनको यह संदेश भेजे कि यह सदन और सारा देश सशस्त्र सेनाओं के साथ है, जो भारत की संप्रभुता एवं सम्मान की रक्षा में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैं सदन से यह आग्रह करना चाहता हूं कि हमें एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि हम अपने वीर जवानों के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़े हैं, जोकि अपनी जान की बगैर परवाह किए हुए देश की चोटियों पर विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत माता की रक्षा कर रहे हैं। रक्षामंत्री ने बताया कि सैनिकों के लिए बर्फीली ऊंचाइयों के अनुरूप विशेष प्रकार के गरम कपड़े, उनके रहने के विशेष तम्बू तथा उनके सभी अस्त्र-शस्त्र एवं गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों की सीमा की रक्षा की प्रतिज्ञा सराहनीय है और मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे सशस्त्र बलों का जोश एवं हौसला बुलंद है।
रक्षामंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहादुर जवानों के बीच जाने के बाद हमारे कमांडर तथा जवानों में जोश से भरा यह संदेश गया है कि 130 करोड़ देशवासी सेना के साथ हैं, सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारे सशस्त्र बल इस चुनौती का सफलता से सामना करेंगे और इसके लिए हमें उनपर गर्व है। रक्षामंत्री ने कहा कि सदन की एक गौरवशाली परम्परा रही है कि जब भी देश के समक्ष कोई बड़ी चुनौती आई है तो सदन ने भारतीय सेनाओं की दृढ़ता और संकल्प के प्रति अपनी एकता और भरोसा दिखाया है, हालांकि इस वर्ष की स्थिति पहले से बहुत अलग है, फिरभी हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अभी जो स्थिति बनी हुई है उसमें संवेदनशील परिचालन मुद्दे शामिल हैं, इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहूंगा। उन्होंने बताया कि चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारे सशस्त्र बलों ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त जवाबी तैनाती की है, ताकि भारत के सुरक्षा हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जा सके।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि अभी की स्थिति के अनुसार चीनी पक्ष ने एलएसी और अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोलाबारूद लामबंद किया हुआ है। पूर्वी लद्दाख और गोगरा, कोंगका ला और पैंगोंग झील का उत्तरी और दक्षिणी तट कई घर्षण क्षेत्रों में हैं। दोनों पक्षों को एलएसी का सम्मान और कड़ाई से पालन करना चाहिए, किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति का उल्लंघन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए और दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों और समझ का पूर्णतया पालन होना चाहिए। रक्षामंत्री ने कहा कि हम मौजूदा स्थिति का संवाद के जरिए समाधान चाहते हैं, हमने चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक और सैन्य जुड़ाव बनाए रखा है। इन चर्चाओं में तीन प्रमुख सिद्धांत हमारे दृष्टिकोण को तय करते हैं, एक ओर किसी को भी हमारी सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे दृढ़ निश्चय के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए, वहीं भारत यह भी मानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता आवश्यक है।