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Saturday 19 September 2020 12:47:29 PM
नई दिल्ली। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक विभाग के राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार घरेलू बाँस उद्योग को बढ़ावा दे रही है, जिसकी कोविड के बाद के युग में भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रही है, पूर्वोत्तर का बाँस उद्योग देश के लिए एक शानदार उत्तरदान है। विश्व बाँस दिवस पर डॉ जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय के तहत गन्ना और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र तथा भारतीय उद्योग परिसंघ के वेबिनार को संबोधित करते हुए यह बात कही। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 के बाद के समय में पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से एक होगा और बांस उद्योग आर्थिक गतिविधियों का एक प्रमुख स्तंभ। उन्होंने कहा कि उपयोगी ईंधन के रूपमें बांस का यह क्षेत्र नए भारत का नया इंजन है।
पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कई कारोबारी घराने विशाल कृषि-संसाधनों का फायदा उठाने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की ओर देख रहे हैं और हमें इस अवसर को छोड़ना नहीं चाहिए। डॉ जितेंद्र सिंह ने बांस उद्योग को महामारी के काले बादलों के बीच में एक बड़ी उम्मीद की किरण के रूपमें वर्णित करते हुए कहा कि यह कोविड के बाद के युग में पूर्वोत्तर सहित पूरे देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आकार देने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्र वोकल फॉर लोकल पर ध्यान केंद्रित करते हुए 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को एक नई ऊर्जा प्रदान करेगा। केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने बहुत ही संवेदनशीलता के साथ बांस उद्योग के महत्व को स्वीकार किया है और अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए पुराने भारतीय वन अधिनियम में संशोधन भी किया है, ताकि घरेलू बांस को वन अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जा सके। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि जम्मू क्षेत्र में कटरा, जम्मू और सांबा कस्बों में बांस की टोकरी, अगरबत्ती और बांस चारकोल बनाने के लिए तीन बांस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे जो लगभग 25,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर प्रदान करेंगे।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कच्चे बांस की वस्तुओं पर आयात शुल्क 25 प्रतिशत बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से आजीविका के अवसर बढ़ाने में काफ़ी मदद मिलेगी और साथ ही घरेलू बांस से फर्नीचर, हस्तशिल्प और अगरबत्ती बनाने में बड़े पैमाने पर मदद मिलेगी और भवन निर्माण सामग्री के लिए बांस के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब राष्ट्रीय बांस मिशन का समय आ गया है, जब बांस को आम आदमी की उपयोगिता की वस्तु बनाने के लिए एक बड़ी पहल की जाए और पूर्वोत्तर के इलाक़े में इसकी विशाल संभावनाओं को खोल दिया जाए। उन्होंने कहा कि एक उपयोगी ईंधन के रूपमें बांस का यह क्षेत्र नए भारत का नया इंजन बन सकता है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय ने स्टार्ट-अप के लिए व्यवहार्यता वित्त पोषण के माध्यम से पूर्वोत्तर के युवाओं की कल्पना को थाम लिया है और यह तेजी से देश के युवाओं के लिए बेहद आकर्षक विकल्प बन रही है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा इस क्षेत्र के लिए भूमि आवंटन के दो साल के भीतर ही जम्मू के पास एक मेगा बांस औद्योगिक पार्क और बांस प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण केंद्र भी खोला जाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि गन्ना और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र जम्मू और कश्मीर सरकार के साथ तकनीकी सहयोग और साझेदारी करेगा, जिससे सामान्य सुविधा केंद्र, गन्ना और बांस प्रौद्योगिकी पार्क, गन्ना और बांस औद्योगिक पार्क, एफपीओ, नए समूह और निर्माण परिचालन अंतरण बीओटी पर आधारित उच्च प्रौद्योगिकी वाली नर्सरी की स्थापना नियत समय पर की जा सकेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में सचिव डॉ इंदरजीत सिंह, पूर्वोत्तर क्षेत्र परिषद के सचिव मोशेस के चलाई, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में अपर सचिव डॉ अल्का भार्गव और अभिजीत बरुआ, सीआईआई नॉर्थ ईस्ट काउंसिल एमडी, गन्ना और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र के सहअध्यक्ष शैलेंद्र चौधरी, वरिष्ठ अधिकारियों ने वीडियो कॉंफ्रेंस में भाग लिया।