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Saturday 10 October 2020 01:08:03 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार (स्वतंत्र प्रभार) राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा है कि केंद्र सरकार ने जो 4 लेबर कोड्स पास किए हैं वे बाल श्रम मुक्ति और श्रमिक कल्याण के लिए भारत के श्रम इतिहास में मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन सरकार की प्राथमिकता है, इसी कारण बाल एवं किशोर श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम-1986 को 4 लेबर कोड्स से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह कानून स्वतंत्र रूपसे कार्य करेगा। श्रम राज्यमंत्री ने कहा कि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं, इनका बचपन बचाना तथा इनके विकास के लिए उचित कदम उठाकर इन्हें सशक्त बनाना सरकार की जिम्मेदारी है, तभी हम देश के कल के आत्मनिर्भर युवाओं का निर्माण करने में सक्षम हो पाएंगे। संतोष कुमार गंगवार ने ये बातें केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की बाल एवं किशोर श्रम पर आयोजित बैठक में कहीं।
श्रम व रोज़गार राज्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़े कुप्रभावों ने बाल श्रम की घटनाओं में वृद्धि की संभावनाओं को भी जन्म दिया है, इन परिस्थितियों में हमें इससे अपने देश के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है तथा और भी सजग रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार बाल श्रम उन्मूलन के प्रति अत्यंत संवेदनशील है, सरकार ने बाल श्रम के पूर्ण उन्मूलन हेतु पिछले कुछ वर्षों में अति महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, इस दिशा में भारत सरकार के 2016 में बाल श्रम कानून में किए गए संशोधन को एक बड़े बदलाव के रूपमें देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम 14 वर्ष के कम आयु के बच्चों से किसी भी व्यवसाय अथवा प्रक्रिया में काम करवाए जाने पर रोक लगाने में सक्षम हुए हैं, साथ ही हमने 14 से 18 वर्ष के किशोरों के खतरनाक उद्योगों में काम करने पर भी प्रतिबंध लगाया है।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि भारत ने बाल श्रम उन्मूलन हेतु अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि 2017 में आईएलओ की सम्मेलन संख्या 138 तथा 182 को अनुमोदित करके की है। उन्होंने कहा कि संयुक्तराष्ट्र ने भी सतत विकास लक्ष्यों का निर्धारण करते हुए 2025 तक पूरे विश्व से बाल श्रम उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय को इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जागरुक तथा समन्वित प्रयास करने के उद्देश्य से संयुक्तराष्ट्र ने वर्ष 2021 को बाल श्रम उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूपमें मनाने का भी संकल्प लिया है। संतोष कुमार गंगवार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना से बाल श्रमिकों के पुनर्वास का कार्य सुचारु रूपसे किया जा रहा है, इसे और अधिक व्यापक तथा युक्ति संगत बनाते हुए बच्चों का एक माह का वेतन 150 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये कर दिया गया है तथा इसका भुगतान मंत्रालय डीबीटी के माध्यम से सीधे बच्चों के खाते में करता है।
संतोष कुमार गंगवार ने बताया कि संशोधित कानून के प्रभावी प्रवर्तन एवं एनसीएलपी योजना के सुचारु क्रियांवयन हेतु पेंसिल पोर्टल बनाया गया है, इस सशक्त करते हुए देश में पहलीबार सभी एनसीएलपी के बच्चों की उपस्थिति को ऑनलाइन दर्ज किया जा रहा है, इसी आधार पर वेतन की धनराशि सीधे बच्चों के खातों में बिना विलम्ब के जाने हेतु यह प्रणाली बनाई गई है। उन्होंने कहा कि हमें एनसीएलपी के अंतर्गत किए गए सर्वे पर एकरूपता लाने की आवश्यकता है तथा सर्वे के लिए दिशा-निर्देश का पालन भी ज़रूरी है, जिससे हम नए एसटीसी खोल सकें। उन्होंने कहा कि पेंसिल पोर्टल को 3 साल पूरे हो गए हैं, ऐसे में यह आवश्यक है कि इस प्रोजेक्ट की समीक्षा हो, साथ ही हमें इसको और अधिक प्रचलित करने की भी आवश्यकता है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस पोर्टल पर बाल श्रम से संबंधित जानकारी या शिकायत दर्ज करवा सकें।
श्रम राज्यमंत्री ने कहा कि पेंसिल पोर्टल के दिशा-निर्देशों के क्रियांवयन की समीक्षा होनी चाहिए, इसमें हमें यह सुनश्चित करना होगा कि एनसीएलपी का दायरा अधिक से अधिक व्यापक हो, एनसीएलपी देश में कैसे कार्य कर रही है, यह फीडबैक तथा विवरण मैं जानना चाहूंगा तथा इसे और बेहतर कैसे बनाया जाए, उसके सुझाव भी हों। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण बच्चों के पुनर्वास में जो भी अवरोध आए हैं, उन्हें हमें दूर करना है, हमें बाल श्रम उन्मूलन के लिए और अधिक विशेष कदम उठाने हैं। उन्होंने कहा कि हमें मिशन मोड में कार्य करने की आवश्यकता है, जिससे हम पहले उन जिलों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे, जिनमें बाल श्रमिकों की संख्या अधिक है। श्रम राज्यमंत्री ने कहा कि श्रम मंत्रालय को संबंधित मंत्रालयों जैसे-गृह मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करने की आवश्यकता है।
संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि हम समन्वित प्रयास करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम के उन्मूलन की अपनी प्रतिबद्धता पूरी कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि 2025 में भारत को पूर्णतया बाल श्रम मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी हमें एक लंबा सफर तय करना है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्य सरकारों एवं सामाजिक संगठनों की भूमिका भी अहम होगी, इसके लिए हमें सीएबी को और अधिक प्रभावी बनाना होगा, सीएबी में हमारे साथ विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिनिधि हैं, जो ज़मीनी स्तरपर कार्य करते हैं, इसीलिए मेरा सीएबी के सदस्यों से अनुरोध है कि वे बाल श्रम उन्मूलन के लिए किए गए प्रयासों का क्या प्रभाव हो रहा है, उससे उन्हें अवगत करवाएं तथा व्यवहारिक समाधान भी बताएं, ताकि हमसब मिलकर अपने देश को सही मायनों में बालश्रम मुक्त करवा सकें।