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Monday 12 October 2020 04:42:20 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज भारत के पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं पर संवेदनशील क्षेत्रों में सड़कों और पुलों की कनेक्टिविटी में एक नए युग की शुरुआत करते हुए 44 प्रमुख स्थायी पुल राष्ट्र को समर्पित किए। ये पुल रणनीतिक महत्व के हैं और दूरदराज़ क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। रक्षामंत्री ने महानिदेशक और सीमा सड़क संगठन के सभी रैंकों को इस उपलब्धि पर बधाई दी है और कहा है कि एक ही बार में 44 पुलों का समर्पण एक रिकॉर्ड है। राजनाथ सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण समय और पाकिस्तान एवं चीन से सीमा तनाव व विवादों के बावजूद भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास के सभी क्षेत्रों में युगांतकारी और ऐतिहासिक बदलाव ला रहा है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका के लिए बीआरओ की सराहना की और कहा कि इन पुलों ने पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्व क्षेत्रों के दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार एवं स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि इनसे पूरे वर्ष सशस्त्र बलों की परिवहन और रसद संबंधी आवश्यकताएं पूरी होंगी। रक्षामंत्री ने कहा कि सड़कें और पुल किसी भी राष्ट्र की जीवनरेखा हैं और सुदूरवर्ती क्षेत्रों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने कहा कि सभी परियोजनाओं की प्रगति की नियमित रूपसे निगरानी की जा रही है और उनके समय पर निष्पादन के लिए पर्याप्त धन भी उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीआरओ का वार्षिक बजट 3,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,600 करोड़ रुपये हो गया है, इतना ही नहीं 2020-21 में यह धनराशि 11,000 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई, कोविड-19 के बावजूद इस बजट में कोई कमी नहीं की गई।
राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि सरकार ने बीआरओ के इंजीनियरों और श्रमिकों को उच्च ऊंचाई वाले कपड़े के प्रावधान किए हैं। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग की सड़क पर रणनीतिक रूपसे महत्वपूर्ण नेचिपु सुरंग की आधारशिला भी रखी गई है, यह 450 मीटर लंबी दो लेन वाली सुरंग नेचिपु पास में सभी मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगी। बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि 30 मीटर से लेकर 484 मीटर तक के विभिन्न आकार के 44 पुल जम्मू-कश्मीर (10), लद्दाख (8), हिमाचल प्रदेश (2), पंजाब (4), उत्तराखंड (8), अरुणाचल प्रदेश (8) और सिक्किम (4) में हैं, ये सामरिक महत्व के हैं और सीमा क्षेत्रों में नागरिक और सैन्य यातायात की भारी आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप ये पुल सुदूर सीमा क्षेत्रों के समग्र आर्थिक विकास में योगदान करेंगे और रणनीतिक रूपसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की शीघ्र तैनाती में भी सहायता करेंगे।
लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि सड़क निर्माण में तेजी लाने के अलावा बीआरओ ने पिछले साल 28 प्रमुख पुलों को पूरा करके पुलों के निर्माण पर विशेष जोर दिया है, जबकि इस वर्ष 102 प्रमुख पुलों का निर्माण पूरा किया जा रहा है, इनमें से 54 पुल पहले ही पूरे हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बीआरओ ने 60 से अधिक बेली पुलों का भी निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि बीआरओ ने रणनीतिक महत्व के कार्यों जैसेकि प्रमुख पुल और सड़क, अटल सुरंग रोहतांग, सेला सुरंग आदि के निर्माण और सामरिक पर्वतीय मार्ग के उद्घाटन के लिए स्नो क्लीयरेंस के साथ कोविड-19 महामारी संबंधी प्रतिबंधों के दौरान भी लगातार काम किया है। उन्होंने बताया कि अभूतपूर्व बर्फबारी के बावजूद उद्घाटन की तारीखों से लगभग एक महीने पहले ही यहां के यातायात को मंजूरी दे दी गई थी।
सीमा सड़क संगठन ने सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को राहत पहुंचाई और सैनिकों एवं रसद की तेजी से आवाजाही को सुनिश्चित किया है। वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से समर्पण समारोह में केंद्रीय पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत, चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल एमएम नरवणे और रक्षा सचिव अजय कुमार, खेलमंत्री किरेन रिजिजू, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, सिक्किम और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, संसद सदस्यों, सैन्य अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों ने भी भाग लिया।