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दूसरों की भलाई में ही अपनी भलाई-माँ जसजीत

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Friday 12 April 2013 11:15:07 AM

maa jasjit

लखनऊ। सांसारिक प्राणी आज परमात्मा से दूर है, परमात्मा के नियमों को नहीं जानता, परमात्मा की बनाई गई सृष्टि को नहीं पहचानता, यही कारण है कि एक परमपिता परमेश्वर की संतान होने के बावजूद आज संसार में अनेकों मतभेद हैं, दूरियां हैं, रागद्वेष है, इंसान बंटा है विचारों में। एलडीए कालोनी स्थित माँ निवास दरबार में एकता दिवस समारोह 2013 में उपस्थित संगत को संबोधित करते हुए सद्गुरू सचस्वरूपा माँ जसजीत ने कहा कि जिस प्रकार सूर्य को अंधकार नहीं दिखता, उसी प्रकार रूहानियत के मार्ग पर चलने वाले मनुष्य बुराई को नहीं जानते।
यूनिवर्सल ट्रूथ चेरिटेबल ट्रस्ट बंथरा लखनऊ के आयोजन में सद्गुरू माँ ने कहा कि कोई भी धर्म बंटकर रहना नहीं सिखाता, सभी धर्म हमें हृदय शुद्ध करने और परमात्मा के समीप जाने की बात करते हैं, जब तक मनुष्य सत्संग में नहीं जाता, तब तक वो परमात्मा के गुण नहीं जान पाता। ईश्वर के गुण आते हैं, तभी दुनियां की सच्चाइयां दिखती हैं, मन में स्थिरता आने से स्वतः हृदय से भेद-भाव मिट जाता है।
सचस्वरूपा माँ ने कहा कि गुरू से प्रेम करके उनकी वाणी पर अमल करके, सेवा करके, धर्म के अनुयायी बनकर ही मनुष्य बुरे कर्मों और विचारों से बच सकता है और अपने अंदर उदारता, ईमानदारी, विवेक, संतोष जैसे ईश्वरीय गुणों का समावेश कर सकता है। कार्यक्रम में सुदूर प्रांतों से आए भक्तों एवं श्रद्धालुओं को सद्गुरू माँ ने उनको दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हुए उनसे संकल्प लेने के लिए कहा कि वे आध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए सदैव दूसरों का हित सोचेंगे और हृदय में समभाव जागृत करेंगे।

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