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Thursday 15 October 2020 01:10:49 PM
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार में भारत दुनिया में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक बन गया है। केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बताया कि प्रारंभिक चरण में आपातकालीन मामलों में भारत की एचसीक्यू और एज़िथ्रोमाइसिन को कोविड-19 के उपचार हेतु दवाओं में से एक के रूपमें चिन्ह्ति किया गया था। उन्होंने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि भारत ने दवाओं के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूपमें ख्याति अर्जित की है। सदानंद गौड़ा ने बताया कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां अमरीका के बाहर यूएसए-एफडीए के अनुपालन वाले सबसे अधिक फार्मा प्लांट्स (एपीआई सहित 262 से अधिक) हैं, जो अमेरिका एवं यूरोप जैसे उच्च मानक वाले देशों सहित विभिन्न देशों में 20 बिलियन डॉलर मूल्य के फार्मा उत्पादों का निर्यात करते हैं।
रसायन और उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा नई दिल्ली में फिक्की के एलईएडीएस-2020 में 'रीइमेजनिंग डिस्टेंस' विषय पर वर्चुअल लैटिन अमेरिका और कैरेबियन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 2024 तक भारतीय फार्मा उद्योग का कारोबार 65 बिलियन डॉलर का हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में देशभर में सात मेगा पार्क, तीन बल्क ड्रग पार्क और चार मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित करने की योजनाएं शुरु की है, नए निर्माता प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना के लिए पात्र होंगे, जिसके तहत वे पहले 5-6 वर्ष के लिए अपनी बिक्री के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगे। सदानंद गौड़ा ने कहा कि भारत में फार्मा क्षेत्र में निवेश करने और विनिर्माण का आधार स्थापित करने का यह बहुत अच्छा समय है, जहां तक फार्मा क्षेत्र का संबंध है, संयुक्त उद्यम के माध्यम से भारत के बाज़ार में प्रवेश किया जा सकता है, इसका लाभ यह है कि भारतीय बाजार, अमेरिका, जापान, यूरोपीय संघ और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे बड़े बाजारों तक पहुंच कायम कर सकते हैं।
रसायन मंत्री ने कहा कि भारतीय फार्मा क्षेत्र में रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति उनके कार्यालय से संपर्क कर सकता है, वे हर संभव सुविधा और सहायता प्रदान करेंगे। सदानंद गौड़ा ने कहा कि भारत में रसायन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र का बाजार कारोबार लगभग 165 बिलियन डॉलर है, वर्ष 2025 तक यह कारोबार बढ़कर 300 बिलियन डॉलर तक होने की संभावना है, यह भारत के रासायनिक क्षेत्र में एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है, उदाहरण के लिए बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत को 2025 तक 5 सफल उद्योगों और 2040 तक अतिरिक्त 14 सफल उद्योगों की आवश्यकता होगी, केवल इन उद्योगों को 65 बिलियन डॉलर के कुल निवेश की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि विदेशी भागीदारी को आकर्षित करने के लिए भारत सरकार रासायनिक और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र के लिए नीतियों पर फिरसे विचार कर रही है।
केंद्रीय रसायन मंत्री ने कहा कि भारत सरकार अपने फार्मास्युटिकल क्षेत्र में बिक्री के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है, हम अपने रासायनिक औद्योगिक क्लस्टर को मजबूत करने के लिए नीतियों को भी बदल रहे हैं, जिसे हम पीसीपीआईआर और प्लास्टिक पार्क कहते हैं, साथ ही जहां तक रसायन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र का संबंध है, सरकार की इन सहायक नीतियों से भारत में कारोबार करने के लिए सबसे अच्छे वातावरण तैयार होगा। उन्होंने कहा कि भारत में उर्वरक क्षेत्र भी एक आकर्षक क्षेत्र है, हमारे किसानों में हर साल उर्वरकों की भारी मांग है, हालांकि घरेलू उत्पादन खुद उर्वरकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, हम यूरिया और पी एंड के उर्वरकों के बड़े आयातक हैं, उदाहरण के लिए 2018-19 में भारत ने 7.5 मिलियन टन यूरिया, 6.6 मिलियन टन डीएपी, 3 मिलियन टन एमओपी और 0.5 मिली टन टन एनपीके उर्वरक का आयात किया है।
सदानंद गौड़ा ने कहा कि लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देश भी रासायनिक उर्वरकों के अच्छे आयातक हैं, खरीदारों के रूपमें बाजार में प्रतिस्पर्धा के बजाय हमें आपूर्ति श्रृंखलाओं को और अधिक कुशल बनाने के लिए सहयोग करना चाहिए, ताकि प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पर्याप्त मात्रा में इसका उत्पादन हो सके। सदानंद गौड़ा ने कहा कि नैनो उर्वरकों जैसे वैकल्पिक उर्वरकों के विकास में सहयोग की आवश्यकता है, जिससे उर्वरकों की आवश्यकता या इस्तेमाल में कमी होने के साथ ही आयातों पर निर्भरता भी कम हो। उन्होंने कहा कि मैं वैकल्पिक उर्वरकों के विकास के लिए संयुक्त अनुसंधान एवं विकास सहयोग के अपने प्रस्ताव पर किसी भी प्रतिक्रिया और सुझाव का स्वागत करूंगा और आवश्यकतानुसार देश में सभी संभव सहायता प्रदान की जाएगी।